जबलपुर: फर्जी नर्सिंग कॉलेजों के मामले में मध्यप्रदेश हाई कोर्ट में सुनवाई जारी है. कुछ कॉलेजों को राहत देते हुए हाई कोर्ट ने अपना पक्ष समिति के सामने पेश करने की मोहलत दी है. गौरतलब है कि सीबीआई जांच के आधार पर साल 2024-25 के लिए मान्यता समाप्त किये जाने तथा काउंसलिंग में शामिल नहीं किये जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. याचिका में कहा गया कि कमियां दूर करने के लिए हाईकोर्ट द्वारा गठित उच्च स्तरीय समिति ने कुछ कॉलेजों को पक्ष प्रस्तुत करने बुलाया. लेकिन कई कॉलेजों को पक्ष प्रस्तुत करने का अवसर नहीं दिया गया.
24 नर्सिंग कॉलेजों ने दायर की याचिका
हाईकोर्ट जस्टिस एस धर्माधिकारी तथा जस्टिस अनुराधा शुक्ला की युगलपीठ ने याचिकाकर्ता कॉलेजों को समिति के समक्ष पक्ष प्रस्तुत करने आदेश जारी किए हैं. मामले के अनुसार मंदसौर स्थित पशुपति कॉलेज ऑफ नर्सिंग सहित 27 अन्य नर्सिंग कॉलेजों की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा कि सीबीआई द्वारा की गयी प्रथम जांच में वे पात्र पाये गये थे. सीबीआई की दूसरी जांच में उनके कॉलेजों को एमपी नर्सिंग शिक्षण संस्थान मान्यता नियम 2018 के लिए पूरी तरह से अनुकूल नहीं पाया गया. सीबीआई द्वारा 27 नवम्बर 2024 को पेश की गयी रिपोर्ट के अनुसार उनके कॉलेज में कुछ कमियां पाई गईं, उन्हें दूर किया जा सकता है.
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सीबीआई ने सभी नर्सिंग कॉलेजों को जारी नहीं किया पत्र
याचिका में कहा गया कि दूर की गईं कमियों की जांच करने के लिए हाईकोर्ट द्वारा उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है. समिति ने कुछ नर्सिंग कॉलेजों को जानकारी पेश करने के लिए पत्र दिया जबकि कुछ को पत्र जारी नहीं किए गए. याचिकाकर्ता नर्सिंग कॉलेज की साल 2024-2025 के लिए मान्यता निरस्त करते हुए काउंसलिंग से बाहर कर दिया गया है. सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से कहा गया कि काउंसलिंग 15 जनवरी तक पूर्व होनी है. याचिकाकर्ता नर्सिंग कॉलेजों ने राहत के लिए देर से याचिका दायर की है, जो खारिज करने योग्य है.