ब्यावर. जिले का सुप्रसिद्ध बादशाह का मेला मंगलवार को आयोजित किया गया. शान-ओ-शौकत के ब्यावर में बादशाह की सवारी निकली गई. बादशाह की सवारी के बीच बीरबल नाचते गाते शामिल हुए. बादशाह से खर्ची पाने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा. प्रजा रूपी जनता में बादशाह ने खर्ची रूपी खूब गुलाल उड़ाई. इससे ब्यावर शहर गुलाल से अट गया. बादशाह की सवारी ब्यावर एसडीएम कार्यालय के सामने से गुजरी तो बादशाह ने एसडीएम को फरमान दे डाला. आइए जानते हैं क्या है इस बार का बादशाह का फरमान.
बादशाह सवारी मेला समिति के संयोजक भरत मंगल ने बताया कि ब्यावर में सुप्रसिद्ध बादशाह की सवारी मंगलवार को धूमधाम से निकाली गई. बादशाह की सवारी देखने और खर्ची लूटने के लिए बड़ी संख्या में लोग उमड़ पड़े. बादशाह की सवारी के दौरान हर तरफ गुलाल ही गुलाल उड़ती हुई नजर आई. 173 वर्ष पहले ब्यावर में शुरू हुई बादशाह की सवारी की परंपरा को स्थानीय लोग पूरी शिद्दत के साथ निभाते हैं. होली के दूसरे दिन यानी मंगलवार को बादशाह की सवारी का आयोजन हुआ. अग्रवाल समाज की ओर से बादशाह को तैयार किया गया. परंपरागत वस्त्र पहन कर बादशाह का मनमोहक श्रृंगार किया गया. इस बार रोशन प्रकाश सिंहल को बादशाह और वजीर श्यामसुंदर गर्ग को बनाया गया. बीरबल की भूमिका मुकेश उपाध्याय ने निभाई. बादशाह की सवारी आने पर कई सामाजिक, राजनीतिक, व्यापारिक संगठनों के कार्यकर्ताओं ने गर्म जोशी के साथ स्वागत किया. बादशाह के आगमन पर जमकर लाल गुलाल उड़ाई गई. इस दौरान बादशाह ने भी प्रजा रूपी जनता पर खूब खर्ची लुटाई. बादशाह की सवारी निकलने से पहले जैन समाज की ओर से सवारी में शामिल हजारों लोगों को ठंडाई पिलाई गई.
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तिजोरी या गल्ले में रखते हैं बादशाह से मिली खर्ची :बादशाह की सवारी के दौरान लोगों में खर्ची लूटने की होड़ मची रहती है. दरअसल, सवारी के दौरान बादशाह गुलाल रूपी पुड़िया अशर्फियां के रूप में जनता पर लुटाते हैं और जिसके हाथ में गुलाल रूपी पुड़िया आती है, वह उसे सहेज कर रखते हैं. बादशाह से मिली खर्ची को लक्ष्मी का रूप मानकर लोग इसकी पूजा भी करते हैं. यही वजह है कि बादशाह से मिली खर्ची को लोग तिजोरी और गल्ले में रखते हैं. लोगों को विश्वास है कि ऐसा करने से उनके व्यापार में बरकत होगी. यही वजह है कि बादशाह से मिली खर्ची को पाने के लिए लोग लालायित रहते हैं. बताया जाता है कि नगर भ्रमण के दौरान बादशाह करीब सवा लाख गुलाल की पुड़िया खर्ची के रूप में जनता में लुटा देते हैं. देर शाम तक बादशाह की सवारी निकली गई. बादशाह की सवारी के दौरान तीन टन से भी अधिक लाल गुलाल का उपयोग होता है. ऐसा माना जाता है कि लाल रंग लक्ष्मी माता को पसंद है. यही वजह है कि बादशाह की सवारी में लाल के अलावा अन्य किसी भी रंग की गुलाल का उपयोग नहीं होता. सवारी के दौरान इतनी लाल रंग की गुलाल उड़ाई जाती है कि हवा के साथ आसपास के घरों और इमारतो में ही नहीं सड़क पर भी गुलाल की मोटी परत जम जाती है.