रुद्रप्रयाग: भगवान केदारनाथ की यात्रा का आगाज केदारपुरी के क्षेत्र रक्षक बाबा भैरव पूजन के साथ होगा. युगों से चली आ रही परंपरा के अनुसार भगवान केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली के शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर से धाम रवाना होने से पूर्व शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर में भैरव पूजन की परंपरा है.
केदारनाथ के कपाट खुलने से पूर्व बाबा भैरव की पूजा:कल भगवान केदारनाथ के शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर में भैरव पूजन के साथ केदारनाथ यात्रा का आगाज होगा. भैरवनाथ को केदारपुरी का क्षेत्र रक्षक माना जाता है. लोक मान्यताओं के अनुसार भैरवनाथ पूजन के बाद बाबा भैरवनाथ केदार पुरी के लिए रवाना हो जाते हैं. केदारपुरी से लगभग एक किमी दूर सुरम्य मखमली बुग्यालों के मध्य भैरवनाथ की तपोस्थली है. केदारनाथ की तर्ज पर बाबा भैरवनाथ के कपाट खोलने व बंद करने की परंपरा युगों पूर्व की है. मंदिर समिति की ओर से बाबा भैरव पूजन की सभी तैयारियां शुरू कर दी गयी हैं. पूजन में शामिल होने के लिए विभिन्न राज्यों के श्रद्धालुओं ने ऊखीमठ की ओर रुख कर दिया है.
अतीत से निभाई जा रही परंपरा:जानकारी देते हुए मंदिर समिति कार्याधिकारी आरसी तिवारी ने बताया कि बाबा भैरवनाथ पूजन की सभी तैयारियां शुरू कर ली गयी हैं और कल सायं लगभग सात बजे से प्रधान पुजारियों व विद्वान आचार्यों द्वारा वेद ऋचाओं के साथ परंपरानुसार पूजन किया जायेगा. जिसमें देश-विदेश व स्थानीय श्रद्धालु शामिल होकर दस मई से शुरू होने वाली केदारनाथ यात्रा के निर्विघ्न संपन्न होने तथा विश्व समृद्धि व क्षेत्र की खुशहाली की कामना करेंगे. उन्होंने बताया कि उच्चाधिकारियों के निर्देश पर भगवान केदारनाथ के शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर को आठ कुंतल तथा भगवान विश्वनाथ के मंदिर (गुप्तकाशी) को आठ कुंतल फूलों से सजाया जा रहा है.