कोरबा: देश भर में छत्तीसगढ़ के जंगलों की जैव विविधता को बेजोड़ माना जाता है. कोरबा के जंगल वनोपज के मामले में भी काफी समृद्ध रहे हैं. कोरबा के जंगल में पाए जाने वाले दुर्लभ जड़ी बूटियों को प्रोसेस कर अब दवाएं बनाई जा रही हैं. दवाओं के साथ साथ खाने पीने के सामान और सौंदर्य प्रसाधन के सामान भी बनाए जा रहे हैं. जड़ी बूटियों से बनने वाली दवाओं और अन्य उत्पादों को संजीवनी केंद्र से बेचा जा रहा है. 11 महिला समूहों को भी हर्बल उत्पादों के निर्माण कार्य से जोड़ा गया है. संजीवनी केंद्र से ये हर्बल उत्पाद अब लोगों के घरों तक पहुंच रहे हैं.
शुगर, बीपी, कब्ज से हैं परेशान तो हर्बल दवाएं करेगी समाधान: संजीवनी केंद्र से हर्बल दवाओं और उत्पादों को बेचा जा रहा है. वर्तमान में कटघोरा वनमंडल की 11 महिला समूहों को भी इससे जोड़ा गया है. संजीवनी केंद्र में आने वाले मरीजों की जांच के लिए एक एक्सपर्ट वैद्य भी उपलब्ध रहते हैं. ये प्रशिक्षत वैद्य मरीजों की नाड़ी को देखकर उनका मर्ज और दवाएं बताते हैं. इलाज कराने वाले मरीजों को यहां से जड़ी बूटी से बनी दवाएं दी जाती हैं. दावा किया जाता है कि इन दवाओं से मरीज की बीमारी ठीक हो जाती है.
संजीवनी केंद्र में मिलने वाली दुर्लभ जड़ी बूटियों से बनी दवाएं: संजीवनी केंद्र में दुर्लभ जड़ी बूटियों से बनी बिलवादी चूर्ण, अश्वगंधा, कालमेघ, मलकानगिरी, सफेद मूसली चूर्ण उपलब्ध है. संजीवनी केंद्र में दुर्लभ निर्गुंडी तेल, महाविषगर्भ तेल, कौंच चूर्ण, आमला चूर्ण उपलब्ध है. इन आयुर्वेदिक दवाओं को लेकर दावा किया जाता है कि इनके इस्तेमाल से बीपी, शुगर, कब्ज, चर्म रोग, मलेरिया, पुरानी खांसी जैसी बीमारियां ठीक हो जाती हैं.