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बिहार के इस शहर में बनता है 'एटम बम', मुंह में फूटते ही आ जाता है मजा

'एटम बम' विनाशकारी होता है ,लेकिन बिहार में बनने वाला 'एटम बम' लोगों की जिंदगी में रस घोल देता है.

BIHAR ATOM BOMB SWEET
बिहार का एटम बम (ETV Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : 4 hours ago

सारण: जिले के मांझी प्रखंड का ताजपुर इलाका अपने एटम बम के लिए प्रसिद्ध है. आप सोच रहे होंगे कि आखिर इस 'एटम बम' में ऐसा क्या है, जिसकी तारीफ हो रही है. दरअसल सारण में एटम बम की मिठाईबनती है. वैसे इस इलाके में लगभग हर दुकान में एटम बम बनाया जाता है, लेकिन जो 'एटम बम मिठाई' स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व बिंदेश्वर सिंह उर्फ भाई की दुकान का होता है, वैसा स्वादिष्ट जायका किसी अन्य दुकान का नहीं होता है.

मीठा और रसीला है बिहार का 'एटम बम':यही कारण है कि आज 70 साल से यहां का जायका और स्वाद पूरी तरह से कायम है और इस एटम बम की पहचान बिहार ही नहीं पूरे देश में और विश्व में भी है. यहां से लोग एटम बम मिठाई का एडवांस में ऑर्डर देकर देश के विभिन्न हिस्सों में साथ ही विदेश में भी ले जाते हैं. इस मिठाई की सबसे बड़ी खासियत है यह है कि यह लगभग एक हफ्ते से ज्यादा समय तक खराब नहीं होता है.

देश विदेश में एटम बम मिठाई की डिमांड (ETV Bharat)

"दुकान की स्थापना 1953 में हुई थी. इसका स्वाद अनोखा है. एटम बम मिठाई छेने से बनाई जाती है. शुद्धता से बनाया जाता है. हमारी कोई रेसिपी नहीं है, बस शुद्ध छेना का इस्तेमाल करते हैं. मेरे दादाजी जो स्वतंत्रता सेनानी भी थे, ने इस मिठाई दुकान की शुरुआत की थी. ये काम हम पीढ़ी दर पीढ़ी कर रहे हैं. दूसरे देशों में भी एटम बम भेजा जाता है. जीआई टैग के लिए कोशिश की जा रही है."- राहुल कुमार सिंह, दुकानदार

कितनी चुकानी होगी कीमत?: एटम बम मिठाई 320 रुपये प्रति किलो की दर से यह मिलती है. अगर पीस की बात करें तो 10 रुपये पीस यह मिलती है. प्रत्येक दिन लगभग 60-70 किलो की बिक्री होती है. मतलब हर दिन 20 हजार रुपये की बिक्री होती है.

देश-विदेश में एटम बम मिठाई की डिमांड (ETV Bharat)

70 साल पहले खोला गया था दुकान:ताजपुर के एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय बिंदेश्वरी सिंह उर्फ भाई जी ने 70 साल पहले इस दुकान की स्थापना की थी और उन्होंने ही एटम बम नाम की मिठाई बनाना शुरू किया था. उसके बाद उनके पुत्र स्वर्गीय विजय सिंह ने इस व्यवसाय को आगे बढ़ाया. आज स्वर्गीय विजय सिंह के पुत्र इस व्यवसाय को आगे बढ़ा रहे हैं.

"ऐसी मिठाई कहीं नहीं मिलेगी. यहां मिठाई कभी बचती ही नहीं है. सब बिक जाती है. पहले से भी लोग लाइन लगाकर रखते हैं ताकि मिठाई खरीद सकें. एक मिठाई खाते ही आपको मन करेगा कि एक और मिठाई खाएं."-अनिल सिंह, स्थानीय

मीठा और रसीला है बिहार का 'एटम बम' (ETV Bharat)

देसी तकनीक से तैयार की जाती है मिठाई: पूरी तरह से देसी तकनीक से और शुद्धता के साथ यह मिठाई बनाई जाती है. इस मिठाई के दीवानगी इस कदर है कि शाम को 3:00 बजे से यह मिठाई बिक्री के लिए उपलब्ध होती है और 5 बजते बजते इस मिठाई का एक पीस भी नहीं बचता है. यह ताजपुर कस्बे की एक साधारण सी छोटी सी दुकान है, लेकिन इस दुकान की एटम बम की मिठाई का स्वाद ही कुछ अलग होता है. यह विशुद्ध रूप से छेने से बनाई जाती है और 70 साल से वही स्वाद आज भी बरकरार है.

"सालों पुरानी दुकान है. भाई जी ने इस दुकान की स्थापना की थी. देश-विदेश तक यहां तैयार होने वाली मिठाई की डिमांड है."-संत कुमार सिंह, ग्रामीण

डीएम ने जीआई टैग कराने का दिया आश्वासन: इस मिठाई की इतनी चर्चा है कि सारण के जिलाधिकारी अमन समीर ने जब इस मिठाई की कहानी सुनी तो वह भी अपने आप को रोक नहीं सके. वह भी ताजपुर कस्बे पहुंच गए और उन्होंने यहां पहुंचकर विस्तृत जानकारी ली और कहा कि जल्द ही इस मिठाई को जीआई टैग के लिए नामित किया जाएगा.

"ये दुकान लगभग 70 साल पुरानी है. स्वतंत्रता सेनानी ने इसकी शुरुआत की थी. एटम बम के कारण दूसरे दुकानों की मिठाई बिकती नहीं है. जब यहां मिठाई खत्म हो जाती है तब दूसरे दुकानों की मिठाई की बिक्री होती है. लोग एटम बम बड़े चाव से खाते हैं."-सुनील कुमार सिंह, स्थानीय

ताजपुर इलाका अपने एटम बम के लिए प्रसिद्ध (ETV Bharat)

भेजी गई संस्तुति.. जीआई टैग का इंतजार : एटम बम को जीआई टैग के लिए नामित करने के लिए कार्रवाई अभी तक चल रही है. इस मिठाई को जीआई टैग तो भी नहीं मिला है लेकिन जिलाधिकारी अमन समीर के द्वारा इसकी संस्तुति कर भेजी जा चुकी है.

कैसे बनती है एटम बम मिठाई? :यह मिठाई शुद्ध दूध की बनाई जाती है. सबसे पहले दूध को गर्म करके उससे छेना निकाला जाता है. तैयार छेना को अच्छे से फेटा जाता है और उसका सारा पानी निकाल दिया जाता है. इसके बाद छेने की लोई बनाई जाती है और उसे वनस्पति तेल में छान लिया जाता है. छानने के बाद उसे चीनी की चाशनी में डाल दिया जाता है. इसके बाद एटम बम खाने के लिए तैयारी हो जाती है.

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