नई दिल्ली: जमात-ए-इस्लामी हिंद ने शनिवार को प्रेस वार्ता कर देश के चार अलग-अलग मुद्दों पर अपनी राय को रखा. इस दौरान असम हिरासत कैंप पर विरोध जताया गया. इसके अलावा देश में अलग-अलग हिंसात्मक घटनाओं पर विरोध जताते हुए कहा गया कि इस पर रोक लगनी चाहिए. साथी जो नफरत की बयान है और जो लोग उच्च पदों पर बैठे हैं उनके द्वारा दिया जाता है ऐसे बयानों पर भी इस दौरान एतराज जताया गया.
नेशनल सेक्रेटरी सफी मदनी ने कहा की हम असम के बारपेटा जिले के 28 बंगाली मुसलमानों को ‘विदेशी ट्रिब्यूनल’ द्वारा विदेशी घोषित कर ट्रांजिट कैंपों में भेजे जाने की निंदा करते हैं. उन्हें ‘अवैध’ और ‘संदेहास्पद मतदाता’ करार देना मुस्लिम समुदाय के समक्ष भेदभावपूर्ण और अमानवीय दोनों है. उन्हें विदेशी घोषित करने और ट्रांजिट कैंपों में भेजने के लिए कानून की उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया. यह उनके मौलिक अधिकारों का घोर उल्लंघन है. उनमें से अधिकांश अशिक्षित, गरीब और हाशिए के तबके से हैं. उन्हें अपने खिलाफ दर्ज मामलों की जानकारी भी नहीं थी.
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संसाधनों की कमी के कारण उन्होंने गुवाहाटी उच्च न्यायालय में मामले को चुनौती नहीं दी, जिसके परिणामस्वरूप इन लोगों को अवैध रूप से हिरासत में लिया गया. हमारा मानना है कि विदेशी ट्रिब्यूनल पक्षपातपूर्ण तरीके से कार्य कर रहा है तथा उसके निर्णय मनमाने एवं राजनीति से प्रेरित है. वर्तमान स्थिति दर्शाती है कि मुस्लिम समुदाय, विशेषकर मिया बंगाली मुसलमानों को असंगत रूप से निशाना बनाया जा रहा है.