रायपुर:किसी भी शख्स की सफलता और भाग्य उदय का दिशा से गहरा संबंध होता है. जातक का भाग्योदय किस दिशा में जाने से संभव है, यह जानना जातक के विकास के लिए काफी जरूरी है. उसके सुख, यश और प्रतिष्ठा के लिए ये जानना बेहद आवश्यक है. ज्योतिष सूत्रों के मुताबिक नवम भाव भाग्य का भाव है. इसका स्वामी जिस राशि में बैठता है. उस राशि की दिशा में जातक का भाग्य उदय होता है.
ज्योतिष में दिशा का महत्व: दिशा के साथ साथ किस ग्रह के कितने बिंदु हैं, यह भी देखा जाता है. यदि जातक के भाग्य भाव का स्वामी मेष, सिंह या धनु राशि में स्थित है, तो जातक का भाग्य उदय पूर्व दिशा में होगा. इसी तरह से अन्य राशिवाले लोगों का भाग्योदय दिशा से जुड़ा होता है. ग्रह और राशि के अनुसार भी लोग दिशा को मान्यता देते हैं.
जानिए क्या कहते हैं ज्योतिष:इस बारे में अधिक जानकारी के लिए ईटीवी भारत ने ज्योतिष डॉ. महेंद्र कुमार ठाकुर से बातचीत की है. डॉ. महेंद्र कुमार ठाकुर ने बताया, "वृषभ, कन्या और मकर राशि का संबंध दक्षिण दिशा से है. अतः यदि नवम भाव का स्वामी इन राशियों में स्थित है. उसका विकास दक्षिण दिशा की ओर होगा. यदि नवम भाव का स्वामी मिथुन, तुला या कुंभ राशि में स्थित है, तो उसका भाग्य उदय अपने जन्म स्थान से या निवास स्थान से पश्चिम दिशा में होगा."
"कर्क वृश्चिक और मीन राशि में यदि भाग्य भाव का स्वामी स्थित है, तो जातक का विकास उत्तर दिशा में होगा. इस प्रकार दिशा का निर्धारण राशियों के आधार पर किया जाता है. इसके साथ ही उसके भाग्य भाव के स्वामी पर किन-किन ग्रहों का प्रभाव है, यह भी देखा जाता है. भाग्य भाव के स्वामी से उसका क्या संबंध है. षटबल में ग्रहों की बल के आधार पर भी भाग्य की उन्नति का आकलन किया जाता है."-डॉ. महेंद्र कुमार ठाकुर, ज्योतिष