जयपुर: विश्वविद्यालयों में वाइस चांसलर चांसलर और शैक्षणिक स्टाफ की नियुक्ति को लेकर यूजीसी के नए नियमों के ड्राफ्ट पर विवाद बढ़ने लगा है. राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि विश्वविद्यालयों में नियुक्ति के नए नियम देश की उच्च शिक्षा को बर्बाद कर देंगे. इससे अयोग्य लोगों के विश्वविद्यालयों में काबिज होने का खतरा है. उन्होंने यह भी कहा कि यूजीसी के नए नियम का ड्राफ्ट आरएसएस के विचारकों को विश्वविद्यालयों में स्थापित करने का प्रयास है.
अशोक गहलोत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर बयान जारी कर कहा, 'ऐसा लगता है कि यूजीसी द्वारा विश्वविद्यालयों में वाइस चांसलर एवं शैक्षणिक स्टाफ की नियुक्ति के लिए बनाया गया नियमों का ड्राफ्ट आरएसएस विचारकों को विश्वविद्यालयों में स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए बनाया गया है.'
चहेते लोगों को प्रोफेसर बनाना होगा आसन : गहलोत बोले- इस ड्राफ्ट के अनुसार अब वाइस चांसलर बनने के लिए एकेडमिशियन होने की बाध्यता भी नहीं रहेगी और राज्य के विश्वविद्यालयों में भी वाइस चांसलर की नियुक्ति केंद्र सरकार ही करेगी. इन नियमों से विश्वविद्यालयों में अनुबंधित प्रोफेसरों की संख्या 10 फीसदी भी हो सकेगी, यानी चहेते लोगों को प्रोफेसरों की तरह लगाना आसान होगा.
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देश की संघीय व्यवस्था से भी खिलवाड़ : गहलोत ने कहा- ऐसे नियम हमारी उच्च शिक्षा को बर्बाद कर देंगे, क्योंकि इससे अयोग्य लोगों के विश्वविद्यालयों में काबिज होने का खतरा होगा. यह देश की संघीय व्यवस्था के साथ खिलवाड़ होगी, क्योंकि इससे राज्यों के अधिकार कम होंगे. सभी राज्य सरकारों एवं एकेडमिशियन कम्युनिटी को ऐसे नियमों का विरोध करना चाहिए. जो उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को खराब करेंगे एवं देश के भविष्य के साथ खिलवाड़ करेंगे.