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राजस्थान सरकार ने दिया सरपंचों को तोहफा, एमपी मॉडल के तहत बढ़ेगा कार्यकाल - TERM OF SARPANCHS EXTENDED

राजस्थान में सरपंचों के कार्यकाल को लेकर बड़ा फैसला लिया गया है. एमपी मॉडल के तहत सरपंचों का कार्यकाल बढ़ेगा.

Term of Sarpanchs extended
सरपंचों का बढ़ेगा कार्यकाल (ETV Bharat Jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 16, 2025, 9:15 PM IST

जयपुर: प्रदेश की भजनलाल सरकार में सरपंचों के कार्यकाल को लेकर बड़ा फैसला लिया है. एमपी मॉडल के तहत सरपंचों का कार्यकाल बढ़ेगा. जिसको लेकर सरकार ने आदेश जारी किए है. अब 'वन स्टेट, वन इलेक्शन' का मार्ग प्रशस्त हुआ है. सरपंचों को दिए गए अधिकार और कार्यकाल के तोहफे पर प्रदेश भर के सरपंचों में खुशी की लहर छा गई है. इसके लिए सभी सरपंचों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, पंचायत राज मंत्री मदन दिलावर, ग्रामीण विकास मंत्री करोड़ी लाल मीणा सहित सभी मंत्रियों और विधायकों का धन्यवाद किया है.

प्रदेश के 6759 ग्राम पंचायतों का 31 जनवरी को कार्यकाल समाप्त होने जा रहा है. सरकार ने चुनाव नहीं कराकर मौजूदा सरपंचों को ही प्रशासक नियुक्त करने का फैसला किया है. पंचायती राज विभाग ने सरपंचों को प्रशासक नियुक्त करने और प्रशासनिक समिति बनाने के लिए अधिसूचना जारी की है, जिसके तहत सरपंचों की सहायता के लिए हर ग्राम पंचायत लेवल पर एक प्रशासकीय कमेटी का गठन किया जाएगा. सरकार के इस फैसले से प्रदेशभर के सरपंचों में खुशी की लहर है. अधिसूचना जारी होने के बाद सरपंचों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, मंत्री मदन दिलावर और किरोड़ी लाल मीणा का आभार जताया है. गौरतलब है कि प्रदेश में 11000 से ज्यादा ग्राम पंचायतें हैं. इनका कार्यकाल अलग-अलग समय पर पूरा हो रहा है. वन स्टेट वन इलेक्शन के तहत सभी पंचायती राज संस्थाओं का एक साथ चुनाव करवाने के लिए प्रशासक लगाने जरूरी थे. 6759 ग्राम पंचायत का कार्यकाल जनवरी में पूरा हो रहा है, 704 पंचायत का कार्यकाल मार्च में में पूरा हो रहा है, वहीं 3847 पंचायतों का कार्यकाल सितंबर-अक्टूबर में पूरा हो रहा है. चुनाव के इस गैप को कम करने के लिए प्रशासक लगाने का फैसला किया गया है.

सरपंच संघ ने जताया सीएम का आभार (ETV Bharat Jaipur)

पढ़ें: सीएम भजनलाल शर्मा से मिला सरपंच संघ का प्रतिनिधिमंडल, कई मुद्दों पर हुई सकारात्मक वार्ता - CM WITH SARPANCH SANGH

सरपंच संघ ने जताई खुशी: सरपंच संघ राजस्थान के मुख्य प्रवक्ता रफीक पठान ने बताया कि सरपंचों के कार्यकाल बढ़ाने की मांग को लेकर सरपंच संघ राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर गढ़वाल के नेतृत्व में लंबा संघर्ष किया गया. इसके तहत मुख्यमंत्री और अन्य मंत्री गणों से समय-समय पर मुलाकात करके इस मांग को प्रमुखता से रखते हुए सरपंचों का कार्यकाल बढ़ाने की बात रखी गई थी. इसके तहत पंचायत समिति, जिला व प्रदेश स्तर पर समय-समय पर ज्ञापन दिए गए. इतना ही नहीं धरना-प्रदर्शन कर सरकार से मांग मनवाने के लिए लंबा संघर्ष किया गया था. उसी के परिणामस्वरूप प्रदेश के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने सरपंच संघ के पदाधिकारियों के साथ कई बार मुलाकात की और उन मुलाकातों में सकारात्मक रिजल्ट के संकेत दिए थे. गत बुधवार को मुख्यमंत्री आवास पर सरपंच संघ राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर गढ़वाल के नेतृत्व में 21 सदस्य प्रतिनिधि मंडल ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से मुलाकात की थी और शीघ्र आदेश निकालने का आग्रह किया था. इसके बाद मुख्यमंत्री ने गुरुवार को कार्यकाल को लेकर फाइल का अनुमोदन किया और पंचायत राज विभाग ने उसके आदेश जारी करते हुए सरपंचों को बहुत बड़ा तोहफा दिया.

पढ़ें: सीएम से मुलाकात के बाद सरपंच संघ का महापड़ाव स्थगित, 17 दिसंबर के बाद समाधान का मिला आश्वासन - SARPANCH ASSOCIATION DEMAND

सरकार ने लिया ये निर्णय: दरअसल, ग्रामीण एवं पंचायती राज विभाग ने सरपंचों को प्रशासक नियुक्त करने और प्रशासनिक समिति बनाने के नोटिफिकेशन जारी कर दिए हैं. इस आदेश के बाद 6759 ग्राम पंचायतों में जनवरी में चुनाव कराने की जगह सरकार ने मौजूदा सरपंचों को ही प्रशासक नियुक्त करने का फैसला किया है. सरपंचों की सहायता के लिए हर ग्राम पंचायत लेवल पर एक प्रशासकीय कमेटी भी बनेगी. इसमें उप सरपंच और वार्ड पंच मेंबर होंगे. भजनलाल सरकार ने मध्य प्रदेश मॉडल पर यह फैसला किया है. पहले मध्य प्रदेश सहित कई भाजपा शासित राज्य भी इसी तरह सरपंचों को प्रशासक बना चुके हैं. प्रदेश की सभी पंचायती राज संस्थाओं के एक साथ चुनाव करवाने के लिए इसे काफी अहम माना जा रहा है.

सरपंच समिति से लेंगे सलाह : पंचायत में प्रशासक के रूप में कार्य करने वाले सरपंचों को समिति से सलाह लेकर काम करना होगा. जिन पंचायतों का कार्यकाल पूरा हो गया है, उनमें सरपंच प्रशासक का काम करेंगे, लेकिन उन्हें प्रशासनिक समिति से राय लेनी होगी. कलेक्टर हर ग्राम पंचायत में प्रशासक लगाने और प्रशासनिक समिति बनाना काम करेंगे. पंचायती राज विभाग की अधिसूचना के अनुसार स्भी जिलों के कलेक्टर अपने-अपने इलाके में जिन ग्राम पंचायत का कार्यकाल पूरा हो रहा है, उनमें प्रशासक लगाने और प्रशासनिक समिति बनाने का काम करेंगे.

सरपंच समिति से सलाह लेकर काम करेंगे:

  1. जिन पंचायतों का कार्यकाल पूरा हो गया है, उनमें सरपंच प्रशासक का काम करेंगे, लेकिन उन्हें प्रशासनिक समिति से राय लेनी होगी.
  2. कलेक्टर हर ग्राम पंचायत में प्रशासक लगाने और प्रशासनिक समिति बनाने का काम करेंगे.
  3. पंचायती राज विभाग की अधिसूचना के अनुसार सभी जिलों के कलेक्टर जिन ग्राम पंचायत का कार्यकाल पूरा हो रहा है, उसमें प्रशासक लगाने और प्रशासनिक समिति बनाने का काम करेंगे.

पढ़ें: सरपंच चुनाव की झूठी सूचना सोशल मीडिया पर वायरल, निर्वाचन आयोग ने दर्ज करवाई FIR - SARPANCH ELECTION CONTROVERSY

मध्य प्रदेश के मॉडल पर फैसला : राज्य सरकार ने मध्य प्रदेश मॉडल पर यह फैसला किया है. पहले मध्य प्रदेश सहित कई भाजपा शासित राज्य भी इसी तरह सरपंचों को प्रशसक बना चुके हैं. प्रदेश की सभी पंचायती राज संस्थाओं के एक साथ चुनाव करवाने के लिए इसे काफी अहम माना जा रहा है. जाहिर है कि राज्य की 6759 ग्राम पंचायत का कार्यकाल इसी महीने खत्म हो रहा है. इन पंचायतों के चुनाव 31 जनवरी से पहले करवाने जरूरी थे. सरकार वन स्टेट वन इलेक्शन के लिए उनके चुनाव नहीं करवा रही है. पिछले दिनों सरकार ने पंचायती राज संस्थाओं के पुनर्गठन का फैसला किया था, जब तक पुनर्गठन नहीं होता, तब तक चुनाव नहीं होंगे.

प्रशासक लगाने की समय सीमा तय नहीं : सरपंचों को ग्राम पंचायत का प्रशासक नियुक्त करने की समय-सीमा भी अधिसूचना में भी तय नहीं है. जब तक पंचायत राज चुनाव का ऐलान नहीं होगा, सरपंच ही प्रशासक के रूप में काम करेंगे. इस अधिसूचना के तहत एक प्रशासनिक कमेटी में मौजूदा उप सरपंच और वार्ड पंच ही शामिल होंगे. इसके पहले ग्राम सचिव ही प्रशासक लगते रहे हैं. लेकिन राज्य सरकार ने सरपंचों की नाराजगी डालने के लिए उन्हें प्रशासक के रूप में लगाया है. इस बार प्रदेश में अलग मॉडल अपनाया गया है और सरपंचों को ही प्रशासक की जिम्मेदारी दे दी है.इस नए मॉडल के पीछे सरपंचों की नाराजगी टालने और सियासी समीकरण साधने की कोशिश को मुख्य कारण माना जा रहा है. सरपंच संघ लंबे समय से वन स्टेट वन इलेक्शन का समर्थन करने के साथ मौजूदा सरपंचों का कार्यकाल ही बढ़ाए जाने की मांग कर रहा था.

20 जनवरी से शुरू होगा पुनर्गठन : पंचायत से लेकर पंचायत समितियां और जिला परिषदों के पुनर्गठन का खाका तैयार हो गया है. प्रदेश में 20 जनवरी से लेकर 15 अप्रैल के बीच पंचायतो राज संस्थाओं के पुनर्गठन का काम होगा. इसमें नई ग्राम पंचायत और पंचायत समितियां बनाने के साथ-साथ मौजूदा पंचायती राज संस्थाओं की सीमाओं में भी बदलाव होगा. इसके लिए जनसंख्या और दूरी के पुराने मापदंडों में छूटदी गई है. जन्म- मृत्यु प्रमाण पत्र जैसे कामों के लिए अब अधिक दूर नहीं जाना पड़ेगा. नई ग्राम पंचायत और पंचायत समितियां के लिए कलस्टर 20 जनवरी से 18 फरवरी तक कलेक्टर प्रस्ताव तैयार करेंगे.

जयपुर: प्रदेश की भजनलाल सरकार में सरपंचों के कार्यकाल को लेकर बड़ा फैसला लिया है. एमपी मॉडल के तहत सरपंचों का कार्यकाल बढ़ेगा. जिसको लेकर सरकार ने आदेश जारी किए है. अब 'वन स्टेट, वन इलेक्शन' का मार्ग प्रशस्त हुआ है. सरपंचों को दिए गए अधिकार और कार्यकाल के तोहफे पर प्रदेश भर के सरपंचों में खुशी की लहर छा गई है. इसके लिए सभी सरपंचों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, पंचायत राज मंत्री मदन दिलावर, ग्रामीण विकास मंत्री करोड़ी लाल मीणा सहित सभी मंत्रियों और विधायकों का धन्यवाद किया है.

प्रदेश के 6759 ग्राम पंचायतों का 31 जनवरी को कार्यकाल समाप्त होने जा रहा है. सरकार ने चुनाव नहीं कराकर मौजूदा सरपंचों को ही प्रशासक नियुक्त करने का फैसला किया है. पंचायती राज विभाग ने सरपंचों को प्रशासक नियुक्त करने और प्रशासनिक समिति बनाने के लिए अधिसूचना जारी की है, जिसके तहत सरपंचों की सहायता के लिए हर ग्राम पंचायत लेवल पर एक प्रशासकीय कमेटी का गठन किया जाएगा. सरकार के इस फैसले से प्रदेशभर के सरपंचों में खुशी की लहर है. अधिसूचना जारी होने के बाद सरपंचों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, मंत्री मदन दिलावर और किरोड़ी लाल मीणा का आभार जताया है. गौरतलब है कि प्रदेश में 11000 से ज्यादा ग्राम पंचायतें हैं. इनका कार्यकाल अलग-अलग समय पर पूरा हो रहा है. वन स्टेट वन इलेक्शन के तहत सभी पंचायती राज संस्थाओं का एक साथ चुनाव करवाने के लिए प्रशासक लगाने जरूरी थे. 6759 ग्राम पंचायत का कार्यकाल जनवरी में पूरा हो रहा है, 704 पंचायत का कार्यकाल मार्च में में पूरा हो रहा है, वहीं 3847 पंचायतों का कार्यकाल सितंबर-अक्टूबर में पूरा हो रहा है. चुनाव के इस गैप को कम करने के लिए प्रशासक लगाने का फैसला किया गया है.

सरपंच संघ ने जताया सीएम का आभार (ETV Bharat Jaipur)

पढ़ें: सीएम भजनलाल शर्मा से मिला सरपंच संघ का प्रतिनिधिमंडल, कई मुद्दों पर हुई सकारात्मक वार्ता - CM WITH SARPANCH SANGH

सरपंच संघ ने जताई खुशी: सरपंच संघ राजस्थान के मुख्य प्रवक्ता रफीक पठान ने बताया कि सरपंचों के कार्यकाल बढ़ाने की मांग को लेकर सरपंच संघ राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर गढ़वाल के नेतृत्व में लंबा संघर्ष किया गया. इसके तहत मुख्यमंत्री और अन्य मंत्री गणों से समय-समय पर मुलाकात करके इस मांग को प्रमुखता से रखते हुए सरपंचों का कार्यकाल बढ़ाने की बात रखी गई थी. इसके तहत पंचायत समिति, जिला व प्रदेश स्तर पर समय-समय पर ज्ञापन दिए गए. इतना ही नहीं धरना-प्रदर्शन कर सरकार से मांग मनवाने के लिए लंबा संघर्ष किया गया था. उसी के परिणामस्वरूप प्रदेश के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने सरपंच संघ के पदाधिकारियों के साथ कई बार मुलाकात की और उन मुलाकातों में सकारात्मक रिजल्ट के संकेत दिए थे. गत बुधवार को मुख्यमंत्री आवास पर सरपंच संघ राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर गढ़वाल के नेतृत्व में 21 सदस्य प्रतिनिधि मंडल ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से मुलाकात की थी और शीघ्र आदेश निकालने का आग्रह किया था. इसके बाद मुख्यमंत्री ने गुरुवार को कार्यकाल को लेकर फाइल का अनुमोदन किया और पंचायत राज विभाग ने उसके आदेश जारी करते हुए सरपंचों को बहुत बड़ा तोहफा दिया.

पढ़ें: सीएम से मुलाकात के बाद सरपंच संघ का महापड़ाव स्थगित, 17 दिसंबर के बाद समाधान का मिला आश्वासन - SARPANCH ASSOCIATION DEMAND

सरकार ने लिया ये निर्णय: दरअसल, ग्रामीण एवं पंचायती राज विभाग ने सरपंचों को प्रशासक नियुक्त करने और प्रशासनिक समिति बनाने के नोटिफिकेशन जारी कर दिए हैं. इस आदेश के बाद 6759 ग्राम पंचायतों में जनवरी में चुनाव कराने की जगह सरकार ने मौजूदा सरपंचों को ही प्रशासक नियुक्त करने का फैसला किया है. सरपंचों की सहायता के लिए हर ग्राम पंचायत लेवल पर एक प्रशासकीय कमेटी भी बनेगी. इसमें उप सरपंच और वार्ड पंच मेंबर होंगे. भजनलाल सरकार ने मध्य प्रदेश मॉडल पर यह फैसला किया है. पहले मध्य प्रदेश सहित कई भाजपा शासित राज्य भी इसी तरह सरपंचों को प्रशासक बना चुके हैं. प्रदेश की सभी पंचायती राज संस्थाओं के एक साथ चुनाव करवाने के लिए इसे काफी अहम माना जा रहा है.

सरपंच समिति से लेंगे सलाह : पंचायत में प्रशासक के रूप में कार्य करने वाले सरपंचों को समिति से सलाह लेकर काम करना होगा. जिन पंचायतों का कार्यकाल पूरा हो गया है, उनमें सरपंच प्रशासक का काम करेंगे, लेकिन उन्हें प्रशासनिक समिति से राय लेनी होगी. कलेक्टर हर ग्राम पंचायत में प्रशासक लगाने और प्रशासनिक समिति बनाना काम करेंगे. पंचायती राज विभाग की अधिसूचना के अनुसार स्भी जिलों के कलेक्टर अपने-अपने इलाके में जिन ग्राम पंचायत का कार्यकाल पूरा हो रहा है, उनमें प्रशासक लगाने और प्रशासनिक समिति बनाने का काम करेंगे.

सरपंच समिति से सलाह लेकर काम करेंगे:

  1. जिन पंचायतों का कार्यकाल पूरा हो गया है, उनमें सरपंच प्रशासक का काम करेंगे, लेकिन उन्हें प्रशासनिक समिति से राय लेनी होगी.
  2. कलेक्टर हर ग्राम पंचायत में प्रशासक लगाने और प्रशासनिक समिति बनाने का काम करेंगे.
  3. पंचायती राज विभाग की अधिसूचना के अनुसार सभी जिलों के कलेक्टर जिन ग्राम पंचायत का कार्यकाल पूरा हो रहा है, उसमें प्रशासक लगाने और प्रशासनिक समिति बनाने का काम करेंगे.

पढ़ें: सरपंच चुनाव की झूठी सूचना सोशल मीडिया पर वायरल, निर्वाचन आयोग ने दर्ज करवाई FIR - SARPANCH ELECTION CONTROVERSY

मध्य प्रदेश के मॉडल पर फैसला : राज्य सरकार ने मध्य प्रदेश मॉडल पर यह फैसला किया है. पहले मध्य प्रदेश सहित कई भाजपा शासित राज्य भी इसी तरह सरपंचों को प्रशसक बना चुके हैं. प्रदेश की सभी पंचायती राज संस्थाओं के एक साथ चुनाव करवाने के लिए इसे काफी अहम माना जा रहा है. जाहिर है कि राज्य की 6759 ग्राम पंचायत का कार्यकाल इसी महीने खत्म हो रहा है. इन पंचायतों के चुनाव 31 जनवरी से पहले करवाने जरूरी थे. सरकार वन स्टेट वन इलेक्शन के लिए उनके चुनाव नहीं करवा रही है. पिछले दिनों सरकार ने पंचायती राज संस्थाओं के पुनर्गठन का फैसला किया था, जब तक पुनर्गठन नहीं होता, तब तक चुनाव नहीं होंगे.

प्रशासक लगाने की समय सीमा तय नहीं : सरपंचों को ग्राम पंचायत का प्रशासक नियुक्त करने की समय-सीमा भी अधिसूचना में भी तय नहीं है. जब तक पंचायत राज चुनाव का ऐलान नहीं होगा, सरपंच ही प्रशासक के रूप में काम करेंगे. इस अधिसूचना के तहत एक प्रशासनिक कमेटी में मौजूदा उप सरपंच और वार्ड पंच ही शामिल होंगे. इसके पहले ग्राम सचिव ही प्रशासक लगते रहे हैं. लेकिन राज्य सरकार ने सरपंचों की नाराजगी डालने के लिए उन्हें प्रशासक के रूप में लगाया है. इस बार प्रदेश में अलग मॉडल अपनाया गया है और सरपंचों को ही प्रशासक की जिम्मेदारी दे दी है.इस नए मॉडल के पीछे सरपंचों की नाराजगी टालने और सियासी समीकरण साधने की कोशिश को मुख्य कारण माना जा रहा है. सरपंच संघ लंबे समय से वन स्टेट वन इलेक्शन का समर्थन करने के साथ मौजूदा सरपंचों का कार्यकाल ही बढ़ाए जाने की मांग कर रहा था.

20 जनवरी से शुरू होगा पुनर्गठन : पंचायत से लेकर पंचायत समितियां और जिला परिषदों के पुनर्गठन का खाका तैयार हो गया है. प्रदेश में 20 जनवरी से लेकर 15 अप्रैल के बीच पंचायतो राज संस्थाओं के पुनर्गठन का काम होगा. इसमें नई ग्राम पंचायत और पंचायत समितियां बनाने के साथ-साथ मौजूदा पंचायती राज संस्थाओं की सीमाओं में भी बदलाव होगा. इसके लिए जनसंख्या और दूरी के पुराने मापदंडों में छूटदी गई है. जन्म- मृत्यु प्रमाण पत्र जैसे कामों के लिए अब अधिक दूर नहीं जाना पड़ेगा. नई ग्राम पंचायत और पंचायत समितियां के लिए कलस्टर 20 जनवरी से 18 फरवरी तक कलेक्टर प्रस्ताव तैयार करेंगे.

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