झांसीःजज्बा और जुनून हो तो कुछ भी किया जा सकता है और बड़े से बड़ा लक्ष्य हासिल किया जा सकता है. ऐसा ही कुछ जज्बा मध्य प्रदेश के राजगढ़ की रहने वाली आशा मालवीय का है. 26 वर्षीय आशा मालवीय साइकिल से ही पूरे देश का भ्रमण कर रही हैं.
साइकिलिस्ट आशा मालवीय 15 हजार किलोमीटर साइकिल चलाकर कन्याकुमारी से सियाचिन होते हुए झांसी पहुंचीं. आशा ने झांसी तक का सफर 147 दिनों में पूरा किया. औसतन आशा मालवीय प्रतिदिन 100 किलोमीटर साइकिल चलाई. झांसी पहुंचकर उन्होंने एसएसपी सुधा सिंह से मुलाकात की. वहीं, झांसी आर्मी के अधिकारियों ने भी मुलाकात कर उनका सम्मान किया. इस दौरान आशा मालवीय ने ईटीवी भारत से बात करते हुए अपने इस हौसले भरे सफर के अनुभव को साझा किया. आशा ने कन्याकुमारी से सियाचनी तक का सफर लगभग 147 दिनों में पूरा किया.
नेशनल साइकिलिस्ट आशा मालवीय से खास बातचीत. (VIDEO Credit; ETV Bharat)
कारगिल विजय दिवस पर शुरू की यात्राःआशा ने बताया कि कारगिल विजय दिवस की रजत जयंती पर उन्होंने कन्याकुमारी से सियाचिन के बीच यात्रा शुरू की. 26 जुलाई 2024 को वह कारगिल पहुंचीं. यहां शहीदों को श्रद्धा सुमन अर्पित किए. इसके बाद 15 अगस्त को सियाचिन पहुंची. यहां से 6 सितंबर को दुनिया के सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित मोटरेबल रोड पहुंची. यहां से होते हुए वह झांसी आईं.
सीएम योगी के साथ आशा मालवीय. (Photo Credit; ETV Bharat) पहली बार 26 हजार किलोमीटर साइकिल चलाईःआशा ने बताया ये उनकी दूसरे यात्रा है. पहली यात्रा में वह 26 हजार किलोमीटर की यात्रा महिला सहाशक्तिकरण के उद्देश्य को लेकर कर चुकी है. अकेली यात्रा पर निकली आशा ने कहा कि पूरे देश में 28 राज्य है, कई राज्यों से वह गुजरी हैं. ज्यादातर राज्यों में उन्हें महिला सुरक्षा के जो इंतजाम सरकारों के द्वारा किए गए हैं, वह काबिले तारीफ है. एक दो राज्यों उन्हें कुछ अपनी खुद की सुरक्षा को लेकर असुविधा हुई. इन राज्यों में उन्हें ऐसा लगा कि भारत में होते हुए भी भारत में नहीं है. जिसके लिए उन्होंने वहां के रहनुमाओं से बातचीत भी की. लगातार हमारे शासन प्रशासन के लोग महिला सुरक्षा के लिए प्रयासरत हैं.
तेलगांना के सीएम रेवंत रेड्डी के साथ आशा मालवीय. (Photo Credit; ETV Bharat) जब टारगेट दिखता है, तो परेशानी नहीं दिखतीःआशा ने बताया कि पहली यात्रा में उनको अपने सहयोग के लिए लोगों से कहना पड़ता था. लेकिन इस कन्याकुमारी से सियाचीन की 15 हजार 5 सौ किलोमीटर की यात्रा में पूरे भारत के लोगों ने सहयोग किया है. इंडियन आर्मी ने बहुत सहयोग किया है. आर्मी सुरक्षा या महिला शसक्तीकरण के अलावा हर क्षेत्र में काफी सराहनीय काम कर रही है, महिला साइकिलिस्ट ने बताया कि इस यात्रा के पूर्ण होने के बाद वह उनके द्वारा लिखी हुई किताब पर काम करेंगी. देश युवाओं के लिए उन्होंने कहा कि युवाओं को एक गोल बनाकर काम करना चाहिए. क्योंकि जब टारगेट दिखता है, तो परेशानी नहीं दिखती और जब परेशानी दिखती है तो टारगेट से भटक जाते हैं.
बण्डारू दत्तारेय के साथ आशा मालवीय. (Photo Credit; ETV Bharat) इसे भी पढ़ें-साइकिल से तीर्थ यात्रा पर निकला युवक, एक साल में तय करेगा 18000 किलोमीटर का सफर