वाराणसी : ज्ञानवापी मामले में अज्ञात लोगों के खिलाफ धार्मिक भावनाएं भड़काने व 'कथित शिवलिंग' के साथ छेड़छाड़ कर दंगा कराने की धाराओं में एफआईआर दर्ज कर विवेचना कराने के लिए पुलिस को निर्देशित करने के प्रार्थना पत्र पर शुक्रवार को बहस पूरी हो गई. अपर जिला जज (चतुर्दश) देवकांत शुक्ला की अदालत ने दोनों पक्षों की बहस पूरी होने के बाद आदेश के लिए अगली तिथि 23 फरवरी नियत कर दी.
अधिवक्ता ने बताया था ज्योतिर्लिंग के बारे में : बजरडीहा भेलुपुर निवासी विवेक सोनी व चितईपुर के जयध्वज श्रीवास्तव के 156 (3) सीआरपीसी के तहत प्रार्थना पत्र अधिवक्ता देशरत्न श्रीवास्तव व नित्यानन्द राय के जरिए कोर्ट में दिया था. कहा गया था कि द्वादश ज्योतिर्लिंग में प्रमुख काशी विश्वनाथ मंदिर अनादि काल से काशी में स्थित है. ज्योतिर्लिंग को प्राण प्रतिष्ठा करने के उपरांत स्थापित किया गया था. यह जीवित स्वरूप है. उसका कभी विध्वंश नहीं हुआ है, बल्कि मात्र मंदिर के स्वरूप को क्षतिग्रस्त किया गया था. मंदिर के मलबे से ही कथित मस्जिद के भवन का स्वरूप बनाया गया.
हर स्थिति में ज्योतिर्लिंग अपने स्थान पर कायम रहा है. कुछ अज्ञात लोग जो औंरगजेब के धर्म को मानने वाले हैं, उन्होंने ज्योतिर्लिंग को कूप बनाकर ढंकने के उपरांत एक पोखरी का निर्माण कर वजू का स्थान असंवैधानिक तरीके से बना दिया. काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग को नुकसान पहुंचाकर हिंदू भावना भड़काने, शिवलिंग के ऊपरी भाग में सिमेंटनुमा पदार्थ जमाकर शिवलिंग को ड्रिलिंग मशीन से छेदकर फव्वारे का रूप देने का प्रयास किया गया. जिससे हिन्दू जनभावनाएं आहत हुई हैं.