लखनऊ :भारतीय जनता पार्टी की नेता और सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव को हाल ही में महिला आयोग में उपाध्यक्ष बनाया गया है, जबकि आगरा की बबीता चौहान को अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी गई है. सूत्र बताते हैं कि पार्टी के इस फैसले से अपर्णा यादव नाखुश हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि यह जिम्मेदारी उनके कद से कहीं छोटी है. बताया यह भी जा रहा है कि अपर्णा ने गुरुवार को महिला एवं बाल विकास विभाग की मंत्री बेबी रानी मौर्य से मिलकर अपनी नाखुशी जाहिर की है. इस संबंध में अपर्णा यादव से बात करने का प्रयास किया गया, लेकिन उन्होंने बात नहीं की. व्हाट्सएप मैसेज देखने के बाद उसका भी कोई रिप्लाई नहीं आया. इस बीच खबर आई है कि अपर्णा भाजपा के शीर्ष नेताओं से मिलने के लिए दिल्ली रवाना हो चुकी हैं.
यूं बढ़ी भाजपा से नजदीकी :दरअसल, वर्ष 2011 में मुलायम सिंह यादव के छोटे बेटे प्रतीक यादव से अपर्णा यादव का विवाह हुआ था. अपर्णा यादव शुरुआत से ही समाज सेवा के क्षेत्र में सक्रिय थीं. गोशाला और एनजीओ के माध्यम से सेवा कार्यों को लेकर मीडिया में सुर्खियों में आती रहती थीं. वह बहुमुखी प्रतिभा की धनी हैं. समाजसेवा ही नहीं, वह संगीत और गायन के क्षेत्र में भी दखल रखती हैं. हालांकि उनकी महत्वाकांक्षा कहीं बड़ी रही है. 2017 के विधानसभा चुनावों में अपर्णा यादव लखनऊ की कैंट विधानसभा सीट से सपा के टिकट पर भाजपा प्रत्याशी रीता बहुगुणा जोशी के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरीं, लेकिन उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा. इसके बाद यादव परिवार में कुछ आपसी मतभेद भी सामने आए. इसके बाद अपर्णा को लगा कि शायद 2022 के विधानसभा चुनावों में सपा से उन्हें टिकट नहीं मिलेगा. साथ ही प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से उनके अच्छे रिश्ते थे. साथ ही वह सार्वजनिक तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करने में हिचकिचाती नहीं थीं. ऐसे में उनका भाजपा में जाने का रास्ता आसान था.
जनवरी 2022 में भाजपा की सदस्य बनीं :जनवरी 2022 में अपर्णा यादव ने दिल्ली में भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली. उन्हें लगता था कि भाजपा में उन्हें जल्दी ही कोई जिम्मेदारी मिल जाएगी, जिससे वह समाज के लिए कुछ कर सकें. हालांकि ऐसा हुआ नहीं. 2022 के विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें टिकट तक नहीं दिया. हालांकि वह प्रचार में सक्रिय रहीं. इसके बाद उन्होंने दो साल इंतजार किया. लोगों को उम्मीद थी कि 2024 के लोकसभा चुनावों शायद पार्टी उन्हें कोई मौका दे, लेकिन वह भी नहीं हुआ. इस दौरान विधान परिषद की कई सीटों पर चुनाव हुए, वहां भी अपर्णा का नाम नहीं आया. इसके बाद चर्चा होने लगी कि शायद अपर्णा को भाजपा से ऐसी उम्मीद नहीं थी और वह निराश हैं. इस दौरान उनकी सक्रियता भी कम देखी गई.