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महाकुंभ 2025 में इलाहाबाद संग्रहालय की खास तैयारी, श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र होगा अमृत कलश - MAHAKUMBH 2025

MAHAKUMBH 2025 : सम्राट अशोक के स्तंभ और उस पर लिखी सम्राट समुद्रगुप्त की प्रयाग प्रशस्ति से परिचित होंगे श्रद्धालु.

महाकुंभ 2025 में इलाहाबाद संग्रहालय की खास तैयारी
महाकुंभ 2025 में इलाहाबाद संग्रहालय की खास तैयारी (Photo credit: ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 29, 2024, 6:43 PM IST

प्रयागराज :संगम नगरी में शुरू होने जा रहे महाकुम्भ में देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं को इलाहाबाद संग्रहालय भारत के महान सम्राट अशोक के स्तंभ और उस पर लिखी सम्राट समुद्रगुप्त की प्रयाग प्रशस्ति से परिचित कराने जा रहा है. महाकुम्भ के दौरान शामिल होने वाले श्रद्धालुओं का यह पल अविस्मरणीय बनाने के लिए इससे जुड़े विभाग, संस्था कोई कसर नहीं छोड़ना चाह रहे हैं. इसी क्रम में प्रयागराज स्थित इलाहाबाद संग्रहालय ने महाकुम्भ के दौरान आगंतुकों के लिए अशोक स्तंभ की छोटी प्रतिकृति स्मृति चिह्न के रूप बनाने का फैसला किया है. जिससे देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु गंगा स्नान के साथ न केवल इसकी अलौकिक आभा को निखर सकें, बल्कि साथ ले जाकर उसकी ऐतिहासिकता का अनुभव भी कर सकेंगे.

महाकुंभ 2025 में इलाहाबाद संग्रहालय की खास तैयारी (Video credit: ETV Bharat)

इलाहाबाद संग्रहालय, प्रयागराज के डिप्टी क्यूरेटर डॉ. राजेश मिश्र कहते हैं कि सरकार के संकल्प को अमली जामा पहनाने और दुनिया के सबसे बड़े सांस्कृतिक आयोजन को नव्य, भव्य और अविस्मरणीय बनाने के लिए तैयारियां जोरों पर हैं. संग्रहालय भी इस अभियान में शामिल है. महाकुम्भ के दौरान सम्राट अशोक के स्तंभ की रेप्लिका (प्रतिकृति) बनाकर देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए रखा जाएगा. स्तंभ पर अंकित अभिलेख प्रयाग प्रशस्ति के नाम से इतिहास प्रसिद्ध है. इसमें सम्राट अशोक की पत्नी कारुवाकी का जिक्र मिलता है. इसमें लिखा है कि सम्राट अशोक की पत्नी ने कौशांबी में बौद्धों को आम के बाग दान किए थे. इसके बाद सम्राट समुद्रगुप्त के अभिलेख मिलते हैं. यह अभिलेख चम्पू शैली और संस्कृत भाषा में उकेरे गए हैं. उन्होंने कहा कि अमृत कलश हमारे पंडाल में आकर्षण का केंद्र होगा.

उन्होंने बताया कि सम्राट समुद्रगुप्त के संधिविग्रहिक हरिषेण ने इसे चम्पू शैली में लिखवाया था. जिसमें गद्य व पद्य दोनों विधा शामिल हैं. इस स्तंभ में सम्राट समुद्रगुप्त की उपलब्धियों का विशेष रूप से वर्णन किया गया है. बता दें कि अखंड भारत की कल्पना को सबसे पहले साकार करने वाले सम्राट के रूप में समुद्रगुप्त को ही जाना जाता है. लगभग चौथी शती ईसवी में प्रयाग प्रशस्ति में सम्राट समुद्रगुप्त की विजय गाथा का वर्णन किया गया है. समुद्रगुप्त को ऐसे योद्धा के रूप में जाना जाता है, जिसे कोई भी युद्ध में नहीं हरा सका है. अखंड भारत के निर्माण के लिए ही समुद्रगुप्त ने ये सभी युद्ध किए थे. इलाहाबाद संग्रहालय की यह तैयारी अंतिम पड़ाव में है.

चीफ क्यूरेटर राजेश मिश्र ने बताया कि मेले में लगने वाली प्रदर्शनी में इसके अलावा देश की आजादी की लड़ाई में बलिदान देने वाले क्रांतिकारियों की प्रदर्शनी भी शामिल होगी और प्रयाग से हिन्दी के महान कवियों और वार्ता के अंश भी श्रद्धालुओं को सुनने को मिलेंगे. इसके लिए संग्रहालय आकाशवाणी और दूरदर्शन के आर्काइव से सहयोग ले रहा है, जिसकी औपचारिकताएं पूरी हो चुकी हैं.

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