पटना : कहते हैं वक्त जब बुरा हो तो हर कोई साथ छोड़ देता है. कुछ ऐसा ही हाल फिलहाल आरएलजेपी अध्यक्ष पशुपति पारस के साथ हो रहा है. 2021 का वो दौर था जब एलजेपी के पांच सांसद उनके साथ खड़े थे. अब ये दौर है, जब एक भी कोई साथ नहीं दिख रहा. ऐसे में जब अपने साथ छोड़ गए तो दूसरे पर क्या भरोसा.
चारो सांसदों ने छोड़ा पशुपति पारस का साथ : मंगलवार को जब पशुपति पारस केन्द्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दिए और संवाददाताओं को संबोधित करने पहुंचे तो उनके साथ कोई भी सांसद मौजूद नहीं था. प्रिंस राज से लेकर चंदन सिंह तक पास में दिखाई नहीं पड़े. वीणा देवी और महबूब अली कैसर तो पहले ही साथ छोड़ चुके थे. ऐसे में पारस अलग-थलग दिखाई पड़ने लगे हैं.
अब समझौते की गुंजाइश नहीं- अमित शाह : पशुपति पारस अब क्या करेंगे यह भी स्पष्ट नहीं हो पा रहा है, क्योंकि महागठबंधन से भी उनके लिए हरी झंडी नहीं मिली है. एनडीए ने तो पहले ही किनारा कर लिया है. केन्द्रीय गृह मंत्री व बीजेपी के चाणक्य अमित शाह ने तो यहां तक कह दिया है कि, ''अब समझौते की गुंजाइश कम रह गई है. लगभग नहीं समझिए. अच्छा था पूरा परिवार साथ रहता.''
'कहीं टूट ना जाएं पशुपति पारस' :कुल मिलाकर पशुपति पारस के लिए एनडीए का दरवाजा पूरी तरह से बंद हो चुका है. अब हाजीपुर से ताल ठोकने की बात करने वाले पशुपति पारस क्या करते हैं इसपर निगाह टिकी हुई है. कहीं ऐसा ना हो जाए कि तीन साल पहले एलजेपी को दो भागो में तोड़ने वाले चाचा पशुपति पारस 2024 के लोकसभा चुनाव में कहीं राजनीतिक रूप से खुद ना टूट जाएं.