अलवर:दिल्ली में प्रदूषण की मार का असर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में शामिल अलवर जिले पर भी पड़ा है. दिल्ली एवं एनसीआर में एक्यूआई का स्तर 400 के पार पहुंचने से यहां कड़े नियम लागू किए गए हैं. इससे अलवर व भिवाड़ी के उद्योग धंधों पर असर पड़ा है. लोगों के रोजगार में कमी आई है. प्रदूषण के स्तर में सुधार नहीं हुआ तो सर्दी में अलवर को भी कई पाबंदियां झेलनी पड़ सकती हैं.
दीपावली त्योहार के साथ ही अलवर, भिवाड़ी सहित दिल्ली व एनसीआर के अन्य स्थानों पर हवा में प्रदूषण का स्तर बढ़ने लगा था. अलवर में एक्यूआई 300 के पास तो भिवाड़ी में 450 के करीब पहुंच चुका है. एनसीआर में शामिल बड़े शहरों की हवा में प्रदूषण के घुलते जहर में कमी लाने के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग नई दिल्ली ने अलवर, भिवाड़ी समेत एनसीआर क्षेत्र में ग्रेडेड रेस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) का चतुर्थ चरण लागू कर दिया है.
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हजारों लोगों का रोजगार प्रभावित: ग्रेप चतुर्थ की पाबंदी के चलते हर दिन अलवर जिले में कई हजार लोगों के रोजगार पर संकट गहराने लगा है. इसमें सबसे ज्यादा रोजगार निर्माण क्षेत्र, खनन क्षेत्र, स्टोन क्रशर, ईंट भट्टे, सड़क निर्माण व मरम्मत से जुड़े लोगों का प्रभावित हुआ है. जिले में निर्माण कार्यों पर रोजगार के लिए दौसा, भरतपुर और हरियाणा तक के लोग आते हैं. वहीं, भवन निर्माण सामग्री व्यवसाय से बड़ी संख्या में लोग जुड़े हैं. ग्रेप की पाबंदी के चलते इन कार्याें को बंद कराने पर हर दिन कई हजार लोगों के समक्ष रोजगार का संकट खड़ा हो गया है.
ग्रेप चतुर्थ की करा रहे पालना: प्रदूषण नियंत्रण मंडल के क्षेत्रीय अधिकारी दीपेन्द्र झारवाल ने बताया कि दिल्ली एवं एनसीआर में प्रदूषण के बढ़ते स्तर के कारण अलवर सहित पूरे एनसीआर में ग्रेप चतुर्थ की पाबंदी लागू की गई है. इस कारण जिले में खनन, क्रशर, ईंट भटटे, निर्माण कार्य आदि पर रोक लगाई गई है. जिले में संबंधित विभाग समन्वय स्थापित कर ग्रेप चतुर्थ की पालना कराने में जुटे हैं. जिला कलेक्टर के मार्गदर्शन से सम्बन्धित विभागों की बैठक आयोजित की गई है.प्रदूषण का स्तर कम करने के लिए एंटी स्मॉग गन से पानी का छिड़काव कराया जा रहा है.
ग्रेप की पाबंदी हटने का इंतजार:अलवर के बिजली घर चौराहे पर मजदूरी के इंतजार में खड़े मजदूरों ने बताया कि सरकारी व गैर सरकारी क्षेत्र में ग्रेप के चलते निर्माण कार्यों पर रोक लगाई गई है. इस कारण मजदूरी का काम मिलना मुश्किल हो गया है. मजबूरी में श्रमिकों को कम मजदूरी में खेतों में प्याज निकालने के लिए जाना पड़ रहा है. कई लोग रोजगार नहीं मिलने से गांवों से नहीं आ रहे हैं.