हल्द्वानी: नैनीताल जिले में स्थित तराई पूर्वी वन प्रभाग में बेखौफ वन तस्कर जंगलों की बेशकीमती लकड़ी को काटकर खुलेआम तस्करी कर रहे हैं. स्थानीय गुर्जरों का आरोप है कि इन तस्करी के पीछे वन विभाग के कर्मचारियों की सीधी मिलीभगत है, जिसका नतीजा है कि तस्कर जंगल के अंदर प्लॉट सफाई के नाम पर जंगल के बेशकीमती लकड़ियों की तस्करी कर रहे हैं. यही नहीं, आरोप है कि लकड़ी तस्करी की शिकायत करने वाले स्थानीय गुर्जरों को भी तस्कर धमकी दे रहे हैं. हालांकि, मामले सामने आने के बाद इस पूरे मामले पर चीफ कंजरवेटर फॉरेस्ट धीरज पांडे ने सख्त कार्रवाई की बात कही है.
पूरे मामले में स्थानीय गुर्जर अब्दुल गलनी, गुलाम रसूल, अब्बास अली का आरोप है कि तराई पूर्वी वन प्रभाग के रनसाली रेंज के जंगलों से लकड़ियों की तस्करी काफी दिनों से चल रही है. तस्करी रोकने के लिए गुर्जर समुदाय के लोगों ने सूचना विभागीय कर्मचारियों को दी. लेकिन उल्टा कर्मचारियों ने गुर्जर समुदाय के लोगों को ही धमकाना शुरू कर दिया. गुर्जरों ने इसकी शिकायत विभागीय अधिकारियों के साथ-साथ उच्च अधिकारियों की, लेकिन तस्करों पर किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं हुई.
ईटीवी भारत इस पूरे मामले की पड़ताल करने ग्राउंड जीरो पर पहुंचा तो देखा कि भारी मात्रा में बेशकीमती खैर के पेड़ को काटकर छोटे-छोटे टुकड़े में रखा गया है. इस दौरान स्थानीय गुर्जरों ने आरोप लगाते हुए कहा कि पिछले काफी दिनों से वन विभाग के कर्मचारियों के साथ मिलीभगत कर तस्कर लकड़ियों को काट रहे हैं. उन्होंने लकड़ी तस्करी का विरोध किया तो उल्टा वन विभाग के कर्मचारी ही तस्करों के साथ मिलकर झूठे मुकदमे में फंसाने की धमकी दे रहे हैं.