लाइब्रेरियन एसोसिएशन का प्रदर्शन पटनाः बिहार के कई कॉलेजों और स्कूलों में लाइब्रेरी तो है लेकिन लाइब्रेरियन नहीं है, क्योंकि2008 से राज्य में लाइब्रेरियनकी एक भी नियुक्ति नहीं हुई है. ऐसे में खाली पदों को भरने और नये पद सृजित करने की मांग को लेकर लाइब्रेरियन राजधानी पटना की सड़क पर उतरे और विरोध-प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों ने सरकार से अविलंब भर्ती प्रक्रिया शुरू करने की मांग की.
2008 से नहीं हुई बहालीः राज्य के अलग-अलग हिस्सों से आए सैकड़ों लाइब्रेरियन पटना के कारगिल चौक पर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया.इस मौके पर ऑल बिहार ट्रेंड लाइब्रेरियन एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष विकास चंद्र सिंह ने कहा कि, "बिहार में 2008 से लाइब्रेरियन की बहाली नहीं हुई है. ऐसे में बिहार ट्रेड लाइब्रेरियन एसोसिएशन की सरकार से मांग है कि बिहार में लाइब्रेरियन बहाली की प्रक्रिया शुरू जल्द से जल्द की जाए".
"किसी ने हमारी बात नहीं सुनी": विकास चंद्र सिंह ने आरोप लगाया कि "पिछले 10 साल के दौरान वे लोग विधायक-मंत्री से लेकर वीसी, मुख्यमंत्री और राज्यपाल से मिल चुके हैं, लेकिन लाइब्रेरियन की बहाली की बात अभी तक शुरू ही नहीं है. सरकार कह रही है कि रोजगार देंगे,शिक्षकों की बहाली हो रही है, क्या लाइब्रेरियन को रोजगार पाने का हक नहीं है"?
बिहार में 5 लाख ट्रेंड लाइब्रेरियन हैंःऑल बिहार ट्रेंड लाइब्रेरियन एसोसिएशन का कहना है कि राज्य में करीब 5 लाख ट्रेंड लाइब्रेरियन हैं. एसोसिएशन का कहना है कि "अभी तक सरकार ने उन्हें सिर्फ आश्वासन की घुट्टी ही पिलाई है. अब तो हालत ये है कि कई लोगों की बहाली की उम्र भी खत्म हो चुकी है. ऐसे में सरकार जल्द से जल्द बहाली प्रक्रिया शुरू करे. एसोसिएशन ने चेतावनी दी कि बहाली प्रक्रिया नहीं शुरू होती है तो आंदोलन तेज किया जाएगा"
2008 से लागू है पुस्तकालय अधिनियमःलाइब्रेरियन एसोसिएशन के मुताबिक बिहार में 2008 से ही पुस्तकालय अधिनियम लागू है, जिसके अनुसार स्कूल-कॉलेज की लाइब्रेरी में लाइब्रेरियन होना अनिवार्य है. लेकिन सच्चाई ये है कि अधिकतर जगहों पर दूसरे कर्मचारी ही लाइब्रेरी का संचालन कर रहे हैं. ऐसोसिएशन की मांग है कि पूरे राज्य में खाली पड़े 10 हजार पद भरने के साथ ही सरकार नये पदों का सृजन करे ताकि लाइब्रेरियन के 16 सालों का इंतजार खत्म हो और उन्हें रोजगार मिल सके.
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