साइबर फ्रॉड गैंग का पर्दाफाश (ETV Bharat Ajmer) अजमेर : शहर में कॉल सेंटर संचालित कर अमेरिकी नागरिकों को ठगी का शिकार बनाने के मामले में गिरफ्तार 18 आरोपियों को गंज थाना पुलिस ने मंगलवार को रिमांड अवधि खत्म होने पर कोर्ट में पेश किया. कोर्ट ने 14 आरोपियों को न्यायिक अभिरक्षा में भेजा है, जबकि 4 आरोपियों को कोर्ट से पीसी रिमांड पर लिया गया है. आरोपियों से पूछताछ में कई राज खुले हैं. चार आरोपी मुख्य सरगना बताए जा रहे हैं.
गंज थाना प्रभारी महावीर सिंह ने बताया कि गिरफ्तार ठग गिरोह से पूछताछ में सामने आया है कि माइक्रो एसआईपी आईबीएम एक्सलेट सॉफ्टवेयर के नाम से एक कंपनी बनाकर यह ठग अमेरिका में सोशल मीडिया पर विज्ञापन देते थे कि 'कंप्यूटर और लैपटॉप में किसी भी तरह की सॉफ्टवेयर और ब्राउजिंग संबंधी समस्या होने पर संपर्क करें, कंपनी की ओर से उसका सॉल्यूशन निकाला जाएगा'. विज्ञापन देखकर कई लोग इनसे संपर्क करते थे. यह ठग गिरोह अलग-अलग टीमों में काम करते थे. एक टीम विज्ञापन के जरिए आए संपर्क व्यक्ति से बातचीत करते थे और उसके लैपटॉप या कंप्यूटर को रिमोट के जरिए एक्सेस करते थे. इसके बाद पीड़ित को एक सॉफ्टवेयर डाउनलोड करने के लिए कहा जाता था.
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पीड़ित के सॉफ्टवेयर डाउनलोड करने के बाद उसके कंप्यूटर का पूरा सिस्टम हैक कर लिया जाता था. उन्होंने बताया कि टीम पीड़ित को बताती थी कि उसके कंप्यूटर में बड़ी प्रॉब्लम है, दूसरी टीम इसको सॉल्व करेगी. इसके बाद दूसरी टीम पीड़ित को उसका डाटा लेप्स होने या करेप्ट होने का डर बताती थी. साथ ही समस्या का हल निकालने के लिए डरा धमकाकर अलग-अलग खातों में पीड़ित से पैसा ट्रांसफर करवा कर उन्हें ठगा जाता था. ठगों ने अपना कॉल सेंटर एक विवाह समारोह स्थल को किराए पर लेकर संचालित किया था. अजमेर स्पेशल टीम की कार्रवाई में ठग पकड़े गए थे.
ऑनलाइन एड देकर करते थे भर्ती :गंज थाना प्रभारी महावीर सिंह ने बताया कि कथित कंपनी ऐड देकर भर्ती निकलती थी. बाकायदा इसके लिए एचआर नियुक्त करते थे, जो आईटी के विद्यार्थी रहे युवक-युवतियों का इंटरव्यू लेकर उन्हें नौकरी पर रख लेते थे. इनमें अधिकांश नए कर्मचारियों को ठगी के बारे में पता तक नहीं चलता था. उनका काम कॉल सेंटर के माध्यम से समस्या का हल लेने के लिए आई कॉल्स को अटेंड करना और उसे दूसरी टीम को ट्रांसफर करना था. इन युवक-युवतियों में जो ठगों के साथ देते थे, वह साथ बने रहते थे, नहीं तो कुछ महीनों बाद उनकी छुट्टी कर दी जाती थी.
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ठिकाने और नाम बदलकर कर करते थे ठगी :थाना प्रभारी महावीर सिंह ने बताया कि ठगी के सरगना अपना और कंपनी का नाम और ठिकाने बदलते रहते थे. साथ ही कॉल सेंटर के लिए कर्मचारी भी बदलते रहते थे. उन्होंने बताया कि इस मामले में तकनीकी अड़चन यह है कि इन आरोपियों की ठगी के शिकार हुए लोग सभी विदेशी नागरिक हैं, जिन्होंने स्थानीय स्तर पर कोई शिकायत नहीं की है. उन्होंने बताया कि 18 आरोपियों में चार आरोपी सरगना हैं. इनमें उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में किदवई नगर निवासी शिवम, यूपी के पुरंदरपुर में महाराजगंज निवासी इरफान, जम्मू का जयपुर निवासी अक्षित शर्मा, चंडीगढ़ निवासी नेहा शामिल हैं. रिमांड अवधि के दौरान इन आरोपियों से गहनता से पूछताछ की जाएगी.
यह था मामलाःअजमेर पुलिस की स्पेशल टीम ने पुष्कर रोड स्थित एक शादी समारोह स्थल पर 10 अगस्त को दबिश दी थी. यहां कमरो में कॉल सेंटर संचालित किया जा रहा था. पड़ताल में सामने आया कि 15 दिन पहले कुछ लोग समीप ही एक होटल में आकर ठहरे थे. उसके 8 दिन बाद ही उन लोगों ने यहां कॉल सेंटर को संचालित किया था. कॉल सेंटर में 14 लड़के और चार लड़कियां काम कर रहे थे. यह सभी दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, बिहार से थे. कॉल सेंटर पर काम करने वाले और युवक युवतियों से 29 लैपटॉप, 40 मोबाइल जब्त किए गए थे. आरोपियों ने कॉल सेंटर संचालित करने के लिए किराए पर यह प्रॉपर्टी ली थी. इंटरनेट कनेक्शन भी लिया था. पुलिस की जांच में सामने आया कि कॉल सेंटर के माध्यम से आरोपी अमेरिकी नागरिकों को ठगी का शिकार बनाते थे.