नई दिल्ली:दिल्ली सरकार ने हाल ही में एक बड़ा दावा किया है कि राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण के प्रमुख कारणों में से एक हैं पड़ोसी राज्य हरियाणा और उत्तर प्रदेश. आम आदमी पार्टी (AAP) के अनुसार, केंद्र सरकार की एजेंसी इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट (आईएआरआई) के आंकड़ों से यह स्पष्ट हुआ है कि इन राज्यों में पराली जलाने की घटनाओं में वृद्धि हो रही है, जो सीधे तौर पर दिल्ली के वायुमंडल को प्रभावित कर रही है.
पराली जलाने की घटनाओं में बढ़ोतरी:AAP के मुताबिक, पिछले वर्ष के मुकाबले 1 से 14 अक्टूबर तक पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में 27% की कमी आई है. हालांकि, हरियाणा में यह आंकड़ा 23% और उत्तर प्रदेश में 71% की वृद्धि दिखा रहा है. यह स्पष्ट करता है कि पड़ोसी राज्य प्रदूषण नियंत्रण के प्रति गंभीर नहीं हैं और इसके समाधान के लिए कोई प्रभावी योजना नहीं बना रहे हैं.
दिल्ली का वायु गुणवत्ता इंडेक्स (AQI) पिछले तीन दिनों से 200 के पार जा चुका है, जो उसके खराब श्रेणी में आता है. विशेषज्ञों का मानना है कि इस स्थिति का एक मुख्य कारण भी पराली जलाना है. पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में हो रही पराली जलाने की घटनाएं दिल्ली में वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं.
दिल्ली सरकार के प्रयास:दिल्ली सरकार ने पिछले दस वर्षों में प्रदूषण को कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं. पार्टी ने यह भी कहा कि राजधानी में लगभग 2,000 इलेक्ट्रिक बसें चलाई जा रही हैं, जो पूरे देश में सर्वाधिक हैं. इसके विपरीत, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में इलेक्ट्रिक बसों की संख्या शून्य है. इसके अलावा, दिल्ली सरकार ने प्रदूषण के कारण अपने सभी थर्मल पावर प्लांट बंद कर दिए हैं. जबकि, पड़ोसी राज्यों ने ऐसा कोई कदम नहीं उठाया है.