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'नारी सम्मान की उदाहरण हैं अहिल्याबाई होलकर': त्रिशताब्दी समारोह में बोले, राज्यपाल - AHILYABAI HOLKAR

मगध विश्वविद्यालय की ओर से अहिल्याबाई होलकर की त्रिशताब्दी समारोह का आयोजन हुआ. राज्यपाल मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए.

Governor Rajendra Vishwanath Arlekar.
राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर. (ETV Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : 6 hours ago

गया: बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर गुरुवार को बोधगया पहुंचे. यहां मगध विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित अहिल्याबाई होलकर की 300 वीं जयंती के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए. समारोह को संबोधित करते हुए राज्यपाल सह कुलाधिपति ने कहा कि यह गौरव की बात है कि जिन्होंने विष्णुपद मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था, उनकी त्रिशताब्दी समारोह मनाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि अहिल्याबाई होलकर ने पूरा जीवन अपने लिए नहीं राष्ट्र निर्माण के कार्यों में लगाया था.

"हमारे देश में नारी का सम्मान क्या है यह अहिल्याबाई होलकर के जीवन चरित्र से देखा जा सकता है.पश्चिमी देशों द्वारा हमारे देश के विरुद्ध हमेशा एक नकारात्मक एजेंडा चलाया जाता है कि यहां नारी का शोषण सदियों से किया जाता रहा है, इतना ही नहीं भारत का एक वर्ग भी सामाजिक और राजनीतिक फायदे के लिए एजेंडा बनाते हैं."-राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर, राज्यपाल सह कुलाधिपति

राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर. (ETV Bharat)

2047 तक विकसित होगा भारतः राज्यपाल ने कहा कि स्वतंत्रता का 100 साल 2047 में पूरा होगा. प्रधानमंत्री मोदी ने देश के विकास का लक्ष्य निर्धारित किया है. 2047 तक दुनिया में भारत सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के साथ सुपर पावर होगा. उन्होंने इस अवसर पर जोर देते हुए कहा कि लोकमाता अहिल्याबाई होलकर के जीवन चरित्र का पाठन करें. कुलाधिपति से कहा कि अहिल्याबाई होलकर के नाम से मगध विश्वविद्यालय में पीठ की स्थापना हो और राजभवन उसमें सहयोग करेगा.

कार्यक्रम में शामिल राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर. (ETV Bharat)

भारत की अखंडता सब की सोच से होगाः अहिल्याबाई होलकर त्रिशताब्दी समारोह की सचिव डॉक्टर माला ठाकुर ने कहा कि भारत की अखंडता तभी रहेगी जब सब इसकी चिंता करेंगे. उन्होंने कहा कि अहिल्याबाई होल्कर ने भारत के पुनर्जागरण का कार्य किया था. देश की सांस्कृतिक समृद्धि और मंदिरों के पुनर्निर्माण के कार्य किए थे. अहिल्याबाई ने टीपू सुल्तान के राज्य में जाकर भी मंदिर का निर्माण कराया था, यह सामान्य साहस की बात नहीं है. राज्यपाल ने मंदिर के गर्भगृह में भगवान बुद्ध को नमन किया और पवित्र बोधिवृक्ष का दर्शन किया.

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