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जनवरी माह के दूसरे पखवाड़े में ऐसे करें अपनी फसलों-सब्जियों की देखभाल, किसानों के लिए एडवाइजरी जारी - ADVISORY FOR CROP AND VEGETABLES

किसान मौसम पूर्वानुमान ही अनुसार सब्जी उत्पादन से संबंधित कार्य करें. इसके लिए कृषि वैज्ञानिकों ने एडवाइजरी जारी की है.

फसलों की देखभाल के लिए कृषि विवि पालमपुर ने जारी की एडवाइजरी
फसलों की देखभाल के लिए कृषि विवि पालमपुर ने जारी की एडवाइजरी (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jan 18, 2025, 1:10 PM IST

सिरमौर: हिमाचल प्रदेश सहित जिला सिरमौर में किसान मौसम के पूर्वानुमान ही अनुसार कृषि कार्य करें. चौधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्विद्यालय पालमपुर प्रसार शिक्षा निदेशालय ने जनवरी 2025 महीने के दूसरे पखवाड़े में किए जाने वाले कृषि कार्यों से संबंधित एडवाइजरी जारी की है, जो किसानों के लिए लाभदायक साबित हो सकती है.

कृषि विज्ञान केंद्र धौलाकुआं के प्रभारी एवं प्रधान वैज्ञानिक डॉ. पंकज मित्तल ने बताया कि किसान उन्नत खेती के लिए इन विधियों को अपनाकर लाभान्वित हो सकते हैं. अच्छी खेती के लिए कृषि विश्वविद्यालय की ओर से माह में दो बार एडवाइजरी और मार्गदर्शिका जारी की जा रही है, ताकि किसान मौसम के पूर्वानुमान के हिसाब से कृषि कार्यों को कर सकें.

गेहूं को पीला रतुआ से ऐसे बचाएं

दूसरे पखवाड़े के लिए जारी की गई एडवाइजरी के मुताबिक गेहूं के पत्तों के ऊपर पीले रंग की दानेदार सीधी धारियों व दूसरी ओर पत्तों में धारीदार पीलापन दिखाई देता है, जिससे प्रभावित पौधे बौने रह जाते हैं. दाने या तो बनते नहीं या छोटे व झुर्रीदार बनते हैं, जिससे पैदावार प्रभावित होती है. इसके नियंत्रण के लिए गेहूं की फसल में टिल्ट-प्रोपिकोनाजोल 25 ईसी या टेबुकोनाजोल 25 ईसी या बेलाटॉन 25 डब्ल्यूपी का 0.1 प्रतिशत घोल यानी 60 मिली दवाई 60 लीटर पानी में घोलकर प्रति बीघा की दर से छिड़काव करें और 15 दिन के अन्तराल पर इसे फिर से दोहराएं.

खतपतवारों पर करें इन दवाइयों का छिड़काव

सिंचित गेहूं की 30 से 35 दिन की फसल में जहां खरपतवारों में 2-3 पत्तियां आ गई हों, संकरी एवं चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों के नियंत्रण के लिए वेस्टा (मेटसल्फयूरॅान मिथाईल 20 डव्ल्यू पी. क्लोडिनाफॉप प्रोपार्जिल 15 डव्ल्यू पी.) 16 ग्राम प्रति 30 लीटर पानी में मिलाकर खेतों में छिड़काव करें. अगर फसल में सिर्फ चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार हों तो उसके नियंत्रण के लिए 2,4-डी की 50 ग्राम मात्रा या मेटसल्फयूरॉन मिथाईल 20 डब्ल्यूपी 80 मिली ग्राम को 30 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें. छिड़काव के लिए फ्लैट फैन नोजल का इस्तेमाल करें. गेहूं के साथ अगर चौड़ी पत्ती वाली फसल की खेती की गई हो तो 2-4-डी या मेटसल्फयूरॉन मिथाईल का प्रयोग न करें. छिड़काव से दो-तीन दिन पहले एक हल्की सिंचाई करने के बाद ही छिड़काव करें.

आलू की बुआई के लिए अपनाएं ये किस्में

मध्यवर्ती क्षेत्रों में आलू की बुआई के लिए कुफरी ज्योति, कुफरी गिरिराज, कुफरी चन्द्रमुखी व कुफरी हिमालिनी किस्मों का चयन करें. बुआई के लिए स्वस्थ, रोग-रहित, साबुत या कटे हुए कन्द, वजन लगभग 30 ग्राम, कम से कम 2-3 आंखें हों, का प्रयोग करें. बुआई से पहले कन्दों को डाईथेन एम-45 (25 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी) के घोल में 20 मिनट तक उपचारित करें. कंद को छाया में सुखाने के बाद अच्छी तरह से तैयार खेतों में 45-60 सेंटीमीटर पंक्तियों की दूरी और कन्द को 15-20 सेंटीमीटर के अंतर पर पंक्ति में मेड़े बनाकर बिजाई करें. बिजाई से पहले 20 क्विंटल गोबर की खाद के अतिरिक्त 20 किग्रा इफको (12:32:16) मिश्रण खाद और 5 किग्रा यूरिया प्रति बीघा अंतिम जुताई के समय खेतों में डालें. आलू की रोपाई के एक सप्ताह बाद खरपतवार नियंत्रण के लिए ऑक्सीफ्लुराफेन 12 ग्राम प्रति बीघा या 3 से 4 सप्ताह बाद मेट्रीब्यूजीन 60 ग्राम प्रति बीघा (60 लीटर पानी में घोलकर) का छिड़काव करें. छिड़काव करते समय खेत में नमी होनी चाहिए. इसके अलावा आलू का 5 प्रतिशत अंकुरण होने पर खरपतवार नियंत्रण के लिए ग्रामेक्सॉन 180 मिली लीटर प्रति बीघा (60 लीटर पानी) का छिड़काव किया जा सकता है.

इन सब्जियों की करें निराई व गुड़ाई

इस समय खेत में पहले से लगी हुई सब्जियों फूलगोभी, बन्दगोभी, गांठगोभी, ब्रॉकली, चाईनीज-बन्दगोभी, पालक, मैथी, मटर, प्याज व लहसुन इत्यादि में निराई-गुड़ाई करें और नाइट्रोजन के रूप में यूरिया 4 कि.ग्रा. प्रति बीघा निराई गुड़ाई करते हुए खेतों में डालें.

साग वाली फसलों पर न छिड़कें कीटनाशक

सरसों वर्गीय तिलहनी फसलों में तेला यानि एफिड़ के नियंत्रण के लिए डाईमिथोएट 30 ईसी या ऑक्सीडेमेटोन मिथाईल 25 ईसी की 1.0 मिलीलीटर मात्रा प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें. प्रभावी नियंत्रण के लिए एक बीघा में 60 लीटर घोल का छिड़काव अवश्य करें. छिड़काव सुबह 9ः00 बजे से पहले करें, ताकि मधुमक्खी जैसे मित्र कीटों को क्षति न हो. साग वाली फसलों में इन कीटनाशकों का छिड़काव न करें.

50 से 55 दिनों में तैयार कर सकते हैं मूली की फसल

मूली की पूसा हिमानी किस्म उगाकर किसान 50 से 55 दिनों में फसल तैयार कर सकते हैं. निचले पर्वतीय क्षेत्र जहां सिंचाई की सुविधा है वहां मूली की खेती की जा सकती है. बिजाई के लिए पूसा हिमानी बेहतरीन किस्म है, जो लगभग दो माह के भीतर उगकर तैयार हो जाती है. लिहाजा किसान इसका चयन कर सकते हैं. मूली की बिजाई हल्की मिट्टी में समतल क्यारी या फिर भारी मिट्टी में मेड़ बनाकर 15-20 सेंटीमीटर की दूरी पर की जा सकती है.

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