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कम बारिश होने पर भी होगी धान की बंपर पैदावार, बस अपनाएं ये उपाय - Increase paddy production

Paddy production in Jharkhand. झारखंड के किसान कुछ बातों को ध्यान में रखकर अगर धान की खेती करें तो उनकी अच्छी पैदावार हो सकती है. जिन जिलों में कम बारिश हुई है, वहां के किसान अभी भी धान की खेती कर सकते हैं.

Paddy production in Jharkhand
कॉन्सेप्ट इमेज (ईटीवी भारत)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Aug 15, 2024, 8:54 AM IST

Updated : Aug 15, 2024, 9:50 AM IST

रांची: राज्य में हो रही जोरदार मानसूनी बारिश ने राज्य के किसानों के चेहरों पर खुशी ला दी है. राज्य में धान आच्छादन का आंकड़ा हर दिन तेजी से बढ़ रहा है. 14 अगस्त 2024 तक के आंकड़ों के मुताबिक राज्य में 11 लाख 99 हजार हेक्टेयर (66.62%) जमीन पर धान का आच्छादन हो चुका है. ऐसे में किसान क्या करें कि उन्हें इस बार धान की बंपर पैदावार मिल सके, इसके लिए ईटीवी भारत ने झारखंड कृषि निदेशालय में उप निदेशक मुकेश कुमार सिन्हा और संयुक्त निदेशक पौधा संरक्षक शशि भूषण अग्रवाल से बात की.

कृषि विशेषज्ञों की राय (ईटीवी भारत)

जिन जिलों में कम बारिश हुई है वे अपनाएं ये उपाय

कृषि निदेशालय में उप निदेशक व कृषि विशेषज्ञ मुकेश कुमार सिन्हा का कहना है कि इस बार राज्य में मानसून देरी से आया, लेकिन जुलाई के अंत और अगस्त में अच्छी बारिश होने से वर्षा की कमी दूर हो गई है. राज्य में धान की रोपाई भी तेजी से हो रही है और उम्मीद है कि जल्द ही धान आच्छादन का लक्ष्य पूरा हो जाएगा. लेकिन जिन 8-9 जिलों में कम वर्षा हुई है, वहां के किसानों को धान रोपनी की उम्मीद छोड़ देनी चाहिए और सीधी बुआई कर लेनी चाहिए. इससे समय प्रबंधन होगा और जब कटाई का समय आएगा तो अधिक ठंड नहीं पड़ेगी और किसान को रोपी गई फसल के बराबर उपज भी मिलेगी.

उन्होंने बताया कि धान की खेती करने वाले किसानों को दो पौधों के बीच सीधी लाइन और पर्याप्त जगह छोड़कर धान के बीज को सीधे जमीन में बो देना चाहिए, क्योंकि अब रोपनी और फिर रोपाई का समय लगभग खत्म हो गया है. कृषि उपनिदेशक ने कहा कि जिन क्षेत्रों में अभी भी वर्षा कम हुई है, वहां किसानों को अब सहभागी, अभिषेक जैसी धान की किस्मों की बुवाई करनी चाहिए, जो कम समय और कम वर्षा में तैयार हो जाती हैं.

दो बीमारियों से धान के पौधे को खतरा

झारखंड राज्य कृषि निदेशालय में संयुक्त निदेशक (पौधा संरक्षण) शशि भूषण अग्रवाल कहते हैं कि अभी सब कुछ ठीक है, धान की रोपाई तेजी से हो रही है और अगले 07 से 10 दिनों में धान आच्छादन का लक्ष्य पूरा होने की संभावना है. ऐसे में अगले 10-15 दिनों में जिन दो बीमारियों से धान के पौधों को बचाना है, ये दोनों बीमारी हैं, पत्र लपेटक कीट और तना छेदक.

ऐसे करें पौधों की रक्षा

'पत्र लपेटक कीट' रोग में कीट धान के हरे पौधों को लपेट कर उसके अंदर अपनी संख्या बढ़ाता है. फिर धान के पौधे के मुलायम हरे भाग को खाकर पूरे पौधे को सुखा देता है. ऐसे में धान की खेती करने वाले किसानों को अगर लपेटे हुए पत्ते दिखने लगें तो बिना समय गंवाए साइपरमेथ्रिन 25 ईसी दवा की 01 एमएल मात्रा को 01 लीटर पानी में मिलाकर हर 15 दिन पर छिड़काव करें.

इस मौसम में धान की फसल को प्रभावित करने वाला दूसरी आम बीमारी 'तना छेदक' है. इस रोग के प्रकोप की स्थिति में किसानों को एसीफेट 75 एसपी नामक दवा की 01 ग्राम मात्रा को 01 लीटर पानी में मिलाकर फसल पर छिड़काव करना चाहिए. डॉ. अग्रवाल ने बताया कि दवा के छिड़काव की संख्या रोग की तीव्रता के अनुसार तय की जाती है, लेकिन आमतौर पर 15 दिन के अंतराल पर दवा का छिड़काव करने की सलाह दी जाती है.

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Last Updated : Aug 15, 2024, 9:50 AM IST

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