आगरा :सुप्रीम कोर्ट में आज आगरा रेलवे के गधापाड़ा माल गोदाम और माथुर फार्म में पेड़ काटने की याचिका पर सुनवाई होगी. इससे पहले ही गुरुवार को सेंट्रल इम्पावर्ड कमेटी (सीईसी) ने रेलवे के गधापाड़ा माल गोदाम में पेड़ काटने के मामले में अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की. सीईसी की रिपोर्ट में 115 पेड़ काटे जाने का दावा करके इसमें बिल्डर को दोषी माना है.
CECने इस मामले में बिल्डर पर प्रति पेड़ 1 लाख रुपये के हिसाब से 1.15 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया, इसके साथ ही 2.3 हेक्टेयर भूमि में सिटी फारेस्ट विकसित करने के लिए 2300 पौधे लगाने और इसे राज्य सरकार के माध्मम से संरक्षित वन घोषित करने की संस्तुति की है. सीईसी ने इसका अनुपालन नहीं होने तक कोई काम नहीं करने की रिपोर्ट भी दी है. रिपोर्ट में लिखा है कि रेलवे को रेल भूमि विकास प्राधिकरण के उन अधिकारियों के विरुद्ध उचित कार्रवाई करनी चाहिए. जिन्हें इस भूमि की सुरक्षा का दायित्व सौंपा गया है.
बता दें कि रेल भूमि विकास प्राधिकरण ने गधापाड़ा माल गोदाम की 90,304 वर्ग मीटर जमीन को 99 वर्षों के लिए पट्टे पर गणपति इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कंपनी लिमिटेड और गणपति लीजिंग इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड को दी गई थी. जिस बिल्डर ने इस जमीन पर आवासीय प्रोजेक्ट शुरू करने की तैयारी की. इसमें ही इस जमीन पर खडे़ पेड़ों को काटकर जलाया गया. आगरा के पर्यावरण कार्यकर्ता डॉ. शरद गुप्ता ने सैकड़ों पेड़ काटने की शिकायत सीईसी से की थी. शिकायत पर 19 दिसंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर वन विभाग, रेल भूमि विकास प्राधिकरण, रेलवे और याचिकाकर्ता डॉ. शरद गुप्ता ने जमीन का निरीक्षण किया था. जब टीम ने अपनी रिपोर्ट सीईसी को सौंपी थी. जिसमें 23 पेड़ काटे जाने के सबूत मिलने का जिक्र किया था.
CECने माना- 115 पेड़ काटे गए :सीईसी कमेटी की रिपोर्ट पर वन विभाग और रेलवे ने 23 पेड़ काटे जाने का मामला बिल्डर के विरुद्ध दर्ज किया था. 13 जनवरी को सीईसी के सदस्य चंद्रप्रकाश गोयल और डॉ. जेआर भट्ट ने गधापाड़ा माल गोदाम का निरीक्षण किया था. सीईसी टीम ने 0.94 हेक्टेयर भूमि में बची हरियाली और यहां मौजूद 62 पेड़ों के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला है कि गधापाड़ा माल गोदाम में 115 पेड़ काटे गए हैं. बिल्डर ने लगवाए गए आवासीय योजना के होर्डिंग और जेसीबी चलने के आधार पर बिल्डर को दोषी माना है.