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आगरा की 139 साल पुरानी ऐतिहासिक श्रीराम बरात; बैलगाड़ी से शुरू अब चांदी के रथ पर सवार हुए प्रभु राम - Agra Historical Ram Baraat

सन 1885 में राम बरात की शुरुआत हुई थी. तब हंडे की रोशनी में बैलगाड़ी पर श्रीराम बरात निकली थी. साल दर साल श्रीराम बरात की भव्यता बढ़ती गई और ये उत्तर भारत की एतिहासिक राम बरात बन गई. 139 में बैलगाड़ी से शुरू हुई राम बरात हाथी के बाद अब चांदी के रथ पर सवार होकर निकलती है. आइए जानते हैं राम बरात का इतिहास और कैसे ये उत्तर भारत की भव्य और ऐतिहासिक राम बरात बनी.

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आगरा की 139 साल पुरानी ऐतिहासिक श्रीराम बरात. (Photo Credit; ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 28, 2024, 2:44 PM IST

आगरा: उत्तर भारत की सुप्रसिद्ध श्रीराम बरात ताजनगरी आगरा में आज धूमधाम से निकलेगी. सन 1885 में राम बरात की शुरुआत हुई थी. तब हंडे की रोशनी में बैलगाड़ी पर श्रीराम बरात निकली थी. साल दर साल श्रीराम बरात की भव्यता बढ़ती गई और ये उत्तर भारत की एतिहासिक राम बरात बन गई. 139 में बैलगाड़ी से शुरू हुई राम बरात हाथी के बाद अब चांदी के रथ पर सवार होकर निकलती है.

जैसे-जैसे समय बदला आधुनिकता के युग में राम बरात से लोग जुड़ते गए. इस साल राम बरात में 12 बैंड अपनी धुनों से लोगों को नाचने और थिरकने को मजबूर करेंगे तो राम बरात की 121 झांकियां भी लोगों को अपनी ओर आकर्षित करेंगी.

आगरा की ऐतिहासिक राम बरात पर संवाददाता की खास रिपोर्ट. (Video Credit; ETV Bharat)

आगरा में राम बरात को लेकर शनिवार शाम से ट्रैफिक डायवर्ट किया गया है. जिससे लोगों को परेशानी ना हो. इसके साथ ही राम बरात की सुरक्षा में तीन हजार से अधिक पुलिस कर्मी तैनात किए गए हैं. घुड़सवार पुलिस भी साथ चलेगी. राम बरात की निगरानी ड्रोन से की जाएगी.

राम बरात की शुरुआत 139 साल पहले हुई थी:आगरा के पुराने शहर रावतपाड़ा के व्यापारियों ने रामलीला और राम बरात की शुरुआत की थी. सन 1885 में रामलीला का मंचन लाला चन्नोमल की बारहदरी श्री मनकामेश्वर मंदिर गली में पहली बार हुआ था. तभी पहली बार बैलगाड़ी पर राम बरात निकाली गई थी. इस साल ताजनगरी में 28 सितंबर यानी शनिवार शाम को राम बरात निकलेगी. इस बार जनकपुरी महोत्सव कोठी मीना बाजार में हो रहा है.

आगरा की 139 साल पुरानी ऐतिहासिक श्रीराम बरात. (Photo Credit; ETV Bharat)

रामलीला का स्थान बदला:1930 से आगरा किला के सामने मैदान पर रामलीला का मंचन आगरा में रामलीला महोत्सव की महत्वता बढ़ने के साथ-साथ इसका स्थान भी बदल गया और लाला चन्नोमहल की बारहदरी के बाद रामलीला का मंचन रावतपाड़ा चौराहे पर होने लगा.

रामलीला कार्यक्रम के लिए बनी श्री रामलीला कमेटी ने 1930 में छावनी परिषद से रामलीला मैदान को रामलीला मंचन के लिए ले लिया और मैदान में एक मंच तैयार किया गया जिसके बाद से अब तक रामलीला का मंचन वहीं होता है. शुरुआत में रामलीला का सामान रखने के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था. ऐसे में कमेटी ने 1940 में बारादरी में एक भवन बनाया जहां पर रामलीला का सामान रखा जाने लगा.

आगरा की 139 साल पुरानी ऐतिहासिक श्रीराम बरात. (Photo Credit; ETV Bharat)

बैलगाड़ी पर निकली थी पहली राम बरात:रामलीला कमेटी के पदाधिकारी बताते हैं कि, जब 1885 में राम बरात निकलने की शुरुआत हुई तब बिजली की व्यवस्था नहीं थी. ऐसे में हंडे की रोशनी में बैलगाड़ी पर राम बरात निकलती थी. जैसे-जैसे समय बदला और आज के आधुनिक युग में राम बरात की भव्यता और धूमधाम देखने लायक हो गई है. पहली बार राम बरात लाला चन्नोमल की बारहदरी मनकामेश्वर मंदिर से शुरू होकर रावतपाड़ा, अग्रसेन मार्ग, सुभाष बाजार, दरेसी नंबर एक, दरेसी नंबर दो, छत्ता बाजार, बेलनगंज, पथवारी, धूलियागंज, सेव का बाजार, किनारी बाजार, कसरेट बाजार होकर फिर से रावतपाड़ा में चन्नोमल की बारहदरी पर समाप्त हुई थी. इसी तरह से कई सालों तक राम बरात निकलती रही थी.

पहले हाथियों पर बैठते थे श्री राम:स्थानीय निवासी डॉ. हरिनारायण चतुर्वेदी बताते हैं कि आगरा किला के सामने रामलीला मैदान पर रामलीला का मंचन होता है. 139 साल से ये राम बरात निकल रही है. पहले राम बरात बैलगाड़ी पर निकाली थी. इसके बाद भरतपुर नरेश की ओर से भेजे गए हाथियों पर प्रभु श्री राम के साथ उनके चारों भाइयों के स्वरूप बैठा कर राम बरात निकाली जाने लगी.

आगरा की 139 साल पुरानी ऐतिहासिक श्रीराम बरात. (Photo Credit; ETV Bharat)

मगर, सन 2011 में हाथियों के राम बरात में शामिल करने पर प्रतिबंध लगा तो राम बरात रथ पर निकलने लगी. ये रथ बेहद आकर्षक होते हैं. राम बरात को लेकर राजा जनक और राजा दशरथ की अलग-अलग व्यवस्था रहती है. राम बरात और जनकपुरी देखने के लिए आगरा के साथ ही आसपास के जिलों से भी लोग आते हैं.

तीन साल नहीं निकली राम बरात:सन 1885 से अब तक राम बरात 139 साल में तीन बार नहीं निकली. सन 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय पहली बार राम बरात नहीं निकली थी. इसके बाद 2020 और 2021 में कोरोना महामारी के चलते रामलीला व राम बरात का आयोजन जिले में नहीं किया गया था.

121 झांकियां रहेंगी राम बरात में खास:रामलीला कमेटी अध्यक्ष व भाजपा विधायक पुरुषोत्तम खंडेलवाल ने बताया कि पहले दिन में राम बरात निकाली जाती थी. मगर, समय के साथ इसमें बदलाव हुए. इस बार भी राम बरात दोपहर दो बजे शुरू होगी. ये राम बरात रात दो बजे तक जनकपुरी में पहुंचेगी. इस राम बरात में 121 झांकियां हैं. जो मेरठ, उज्जैन, कानपुर, वाराणसी, इंदौर, दिल्ली और अरुणाचल प्रदेश से आईं हैं. झांकियों में इस बार मुख्य आकर्षण बाबा नीम करोरी, बैल पर सवार भगवान शंकर, खाटू श्यामजी, ओलिंपिक में भारत को मिले शूटिंग के गोल्ड मेडल, 110 फीट की तिरंगा यात्रा, प्रेम मंदिर और शहीद कैप्टन शुभम गुप्ता के बलिदान की झांकी खास रहेगी.

ऐरावत हाथी के रूप में होगा रथ:रामलीला कमेटी अध्यक्ष व भाजपा विधायक पुरुषोत्तम खंडेलवाल ने बताया कि राम बरात में ऐरावत हाथी के रूप वाले रथ पर सवार होकर निकलेंगे. इसके साथ ही कमल की आकृति के रथ पर भरत और शत्रुघ्न सवार होंगे. लक्ष्मण का रथ शेषनाग की आकृति का है. राम बरात में चारों भाइयों के आगे प्रमुख बैंड चलेंगे. इसके साथ ही राम बरात में चांदी का बना रथ चार चांद लगाने का काम करेगा. जिस पर भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी विराजमान हैं.

सांप्रदायिक सौहार्द का संदेश:आगरा की राम बरात सांप्रदायिक सौहार्द का संदेश देती है. राम बरात में इस बार 12 बैंड शामिल हैं. जो जगदीश बैंड, सुधीर, मिलन, कुमार, श्री जी, प्रह्लाद, चावला, मोहन, आनंदा, महाराजा, फौलाद बैंड समेत अन्य हैं, जो बिना रुपये लिए ही राम बरात में धुनें बजाते हैं. इस बार ये बैंड राम बरात में साथ साथ चलेंगे. दरअसल इन सभी बैंड में अधिकतर कर्मी मुस्लिम समुदाय से हैं. जो करीब दो माह से राम बरात के लिए धुन तैयार करने में लगे हैं. इस बार बैंड “राम को लाये हैं, हम उनको लाएंगे” “हर हर शम्भू” और “रामजी की निकली सवारी” गाने की धुनें खूब बजेंगीं.

जनक महल में दिखेगी अयोध्या के श्रीराम मंदिर की झलक: रामलीला कमेटी से जुडे़ चंद्रवीर फौजदार ने बताया कि, जनक महल कोठी मीना बाजार भव्य बनाया गया है. इस महल में अयोध्या में बने श्रीराम मंदिर और आबूधाबी में बने हिंदू मंदिर की झलक दिखाई देगी. कोलकाता से आए 100 से अधिक कारीगरों ने करीब 15 हजार बल्लियों से पूरा जनक महल बनाया है. महल को भव्य बनाने में थर्माकोल, फाइबर, पीओपी, प्लाईवुड का इस्तेमाल किया गया है. महल के आगे 5000 लोगों के बैठने की व्यवस्था रहेगी. जनकपुरी में आकर्षक झांकियां देखने को मिलेंगी.

राम बारात देगी नेत्रदान और देहदान का संदेश:संतोष शर्मा ने बताया कि, रामलीला कमेटी ने मुझे दशरथ के लिए चुना है. मेरे यहां पर लगातार प्रभु श्रीराम के जन्म से लेकर विवाह की तैयारी की है. राम बरात के लिए खरीदारी की है. राम बरात भव्य और दिव्य होगी. नेत्रदान, देहदान और पर्यावरण समेत अन्य आकर्षक झांकियां देखने के लिए मिलेंगी. जनक महल भी बेहद खास बनाया गया है.

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