भरतपुर: उत्तर प्रदेश के अकोला गांव के अग्निवीर सत्येंद्र ने अपनी मेहनत और साहस से परिवार का सिर गर्व से ऊंचा किया था, लेकिन गुरुवार को एक दर्दनाक हादसे में अग्निवीर सत्येंद्र अपने परिवार को हमेशा के लिए अकेला छोड़ गया. जिले लुधावई टोल के पास एक तेज रफ्तार ट्रैक्टर-ट्रॉली ने बाइक को टक्कर मार दी, जिससे सत्येंद्र की मौके पर ही मौत हो गई और जीजा घायल हो गया. सत्येंद्र हाल ही में ट्रेनिंग पूरी कर घर लौटा था और बहनों से मिलकर अपने गांव लौट रहा था.
परिजन हरिकिशन ने बताया कि सत्येंद्र मार्च 2024 अग्निवीर के रूप सलेक्ट हुआ. बेंगलुरु में सेना की ट्रेनिंग पूरी कर 21 दिसंबर को पहली बार घर लौटा था. एक जवान बेटे को सेना की वर्दी में देखने का सपना लिए उसकी मां की आंखों में आंसू नहीं, बल्कि गर्व था, लेकिन इस गर्व को किस्मत ने चकनाचूर कर दिया.
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चार बहनों का इकलौता सहारा : सत्येंद्र अपने माता-पिता की चार बेटियों और दो भाइयों में से एक था. उसके परिवार में पहले से ही कठिनाइयों की कमी नहीं थी. करीब डेढ़ साल पहले उसका एक बड़ा भाई बीमारी से चल बसा था. सत्येंद्र के पिता का भी ढाई साल पहले निधन हो गया था. इन परिस्थितियों में सत्येंद्र अपने परिवार के लिए एक उम्मीद की किरण बनकर उभरा था.
हादसे का काला दिन : 21 दिसंबर को ट्रेनिंग पूरी करने के बाद घर लौटने पर सत्येंद्र भरतपुर जिले के गांव धनौला में अपनी बहनों से मिलने आया था. गुरुवार दोपहर बाद वो अपने जीजा सोनू के साथ बाइक पर सवार होकर आगरा के अपने गांव अकोला लौट रहा था, लेकिन लुधावई टोल के पास एक ट्रैक्टर ने पीछे से उनकी बाइक को जोरदार टक्कर मारी. इस भीषण टक्कर में सत्येंद्र का शरीर ट्रैक्टर में फंस गया और मौके पर ही उसकी मौत हो गई. उसका जीजा सोनू गंभीर रूप से घायल हो गया. सत्येंद्र के मौत की खबर उसके परिवार पर दुखों का पहाड़ बनकर टूटी.
घर में अब अग्निवीर सत्येंद्र की केवल बूढ़ी मां बची हैं. चार बहनों का भाई और मां की अंतिम उम्मीद, सत्येंद्र, अब इस दुनिया में नहीं रहा. सत्येंद्र की मौत की सूचना से परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है. अब शुक्रवार को सैन्य अधिकारियों की मौजूदगी में अग्निवीर का पोस्टमार्टम कराकर शव परिजनों को सौंपा जाएगा.