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By ETV Bharat Delhi Team

Published : 5 hours ago

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गाजियाबाद के इन दो मंदिरों में नहीं लगेगा बाजार की मिठाई का भोग, पीठाधीश्वर ने कही ये बात - SWEETS BANNED IN GHAZIABAD TEMPLES

MARKET SWEETS BANNED IN GHAZIABAD TEMPLES: तिरुपति मंदिर में लड्डू विवाद के बाद पूरे भारत में प्रसिद्ध मंदिरों में प्रसाद को लेकर जांच हो रही है. वहीं, अब गाजियाबाद के दो मंदिरों में बाजार की मिठाई का भोग न लगाए जाने का निर्णय लिया गया है. आइए जानते हैं मंदिर के पीठाधीश्वर श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने क्या कहा...

गाजियाबाद की इन मंदिरों में नहीं लगेगा बाजार की मिठाई का भोग
गाजियाबाद की इन मंदिरों में नहीं लगेगा बाजार की मिठाई का भोग (ETV Bharat)

नई दिल्ली:गाजियाबाद में स्थित सिद्धपीठ श्री दूधेश्वरनाथ महादेव मंदिर और प्राचीन हनुमान मंदिर चौपला में भोग को लेकर बड़ा निर्णय लिया है. यहां अब बाहर की किसी भी मिठाई का भोग नहीं लगाया जाएगा. यह नियम श्री दूधेश्वरनाथ मंदिर में सोमवार और प्राचीन हनुमान मंदिर चौपला में अगले मंगलवार से लागू हो जाएगा.

मंदिर के पीठाधीश्वर श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने बताया कि तिरुपति बालाजी के मंदिर के प्रसाद में मिलावट और आए दिन मिठाई आदि में मिलावट के वीडियो सामने आने के बाद यह निर्णय लिया गया है कि अब श्री दूधेश्वरनाथ मंदिर में बाजार में बनी किसी भी प्रकार की मिठाई का भोग नहीं लगाया जाएगा. मंदिर में गौशाला है और गौशाला की देसी गायों के दूध से बने शुद्ध पदार्थो का भोग प्रातः, दोपहर, सांय व रात्रि में लगाया जाता है.

इन मिठाइयों को छूट: उन्होंने कहा कि यदि कोई भक्त घर से मिठाई बनाकर लाता है तो उसका भोग लगाया जा सकेगा. आगामी सोमवार से भक्त फल, मेवे या घर की बनी मिठाइयों का भोग ही लगा सकेंगे. साथ ही मंदिर में गाड़ी के पूजन के लिए आने वाले भक्त, प्रसाद के लिए धागे वाली मिश्री, साबुत धनिया व गुड लेकर आ सकते हैं. मंगलवार से प्राचीन हनुमान मंदिर चौपला में भी बाजार के लड्डू या अन्य किसी मिठाई का भोग नहीं लगेगा. गुड़ चना, धागे वाली मिश्री या फल का प्रसाद ही हनुमान जी को लगाया जा सकेगा.

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इसलिए लिया गया निर्णय: उन्होंने आगे कहा, आजकल मिठाइयों में इतनी मिलावट हो रही है और उनकी जांच भी सही तरह से नहीं हो रही है. ऐसी मिठाइयों का भोग लगाना सनातन धर्म में शास्त्रों के विरुद्ध है और यह मंदिर की पवित्रता को भंग करने जैसा है. मंदिरों की पवित्रता को बरकरार रखने के लिए यह निर्णय लिया गया है.

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