नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल फरवरी में खत्म होने जा रहा है. चुनाव की तारीख का ऐलान होने वाला है. राजनीतिक दल अपनी-अपनी तैयारियों में जुट चुके हैं. विधानसभा चुनाव के लिए जब आम आदमी पार्टी प्रत्याशियों के नाम का ऐलान करने वाली थी, तभी दिल्ली विधानसभा में अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल को एक पत्र लिखा था. उस पत्र में उन्होंने लिखा था कि वे सक्रिय राजनीति से संन्यास लेना चाहते हैं, वह चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं. दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष पद की गत 10 सालों से जिम्मेदारी संभाल रहे रामनिवास गोयल के इस पत्र को पार्टी के संयोजक केजरीवाल ने स्वीकार कर लिया.
दरअसल, 4 दिसंबर को विधानसभा सत्र का समापन हो चुका है. अब विधानसभा अध्यक्ष का कार्यकाल भी चंद दिनों का शेष है. ऐसे में ईटीवी भारत के दिल्ली ब्यूरो चीफ आशुतोष झा ने उनसे खास बातचीत की. जिसमें उन्होंने अपने दो कार्यकाल के 10 वर्षों की खट्टी-मीठी यादों को साझा किया. उन्होंने कहा कि विधानसभा की कार्यवाही चलाने से लेकर विधानसभा को सजाने-संवारने, और इसे आम जनता के लिए खोलने को लेकर जो भी योजनाएं बनाई, सब मन-मुताबिक हुआ. लेकिन, उन्हें कुछ चीजों का ऐसा मलाल है कि वह जिंदगी भर उनके जेहन से नहीं जाएंगी.
अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने कहा; ''अध्यक्ष के तौर पर जो जिम्मेदारी मिली, जो दायित्व मिला था, उसे हमने पूरा किया. सत्ता पक्ष हो या विपक्ष, सबकी बातें सुनीं और अपनी जिम्मेदारी निष्पक्ष होकर निभाने की कोशिश की. उन्होंने कहा कुछ खट्टी-मीठी अनुभव रहे. चाहे वह आम जनता के लिए विधानसभा को खोलना हो, चाहे गैर सरकारी संगठनों द्वारा विधानसभा में कार्यक्रम करने की इजाजत, चाहे महापुरुषों की जयंती मनाने की बात हो, चाहे कोरोना के दौरान पहली बार विधानसभा परिसर में रामलीला के आयोजन की, हमने यह सब करने का अवसर दिया.''
सूर्यास्त के बाद जैन मुनि विधानसभा में सोए थे: रामनिवास गोयल ने कहा कि सबसे बड़ा, सुखद आश्चर्य की बात करूँ, तो भगवान महावीर की जयंती का कार्यक्रम था. उसमें छह-सात जैन मुनि आए हुए थे. कार्यक्रम देरी से समाप्त हुआ. सूर्यास्त के बाद जैन मुनि कहीं आते-जाते नहीं है, उन्होंने अपनी स्वेच्छा से कहा कि वह विधानसभा में सोएंगे. यहां मेजें हैं, उन मेजों पर जैन मुनि सोए. यह ऐसा हुआ जो आज से पहले शायद ही किसी विधानसभा में हुआ होगा. विधानसभा अध्यक्ष ने कहा यह मेरे लिए एक बहुत बड़ा सुखद, आश्चर्यजनक अनुभव रहा.
अपने 10 वर्षों के दौरान के दो खट्टे अनुभव साझा करते हुए विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने कहा; ''विधानसभा में कामकाज को बेहतर बनाने के लिए "दिल्ली असेंबली रिसर्च सेंटर (डार्क)" के लिए फेलो की नियुक्ति की थी. तीन साल तक बिना किसी परेशानी के इन्होंने बेहतर काम किया, दो साल पहले अचानक उपराज्यपाल ने उन सबको हटाने का आदेश दे दिया. इसका दुःख है.''
विधानसभा के सिल्वर जुबली कार्यक्रम में नहीं आए थे आडवाणी: अपने कार्यकाल के दूसरे सबसे बुरे अनुभव को ईटीवी भारत से साझा करते हुए विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने कहा कि दलगत की राजनीति से ऊपर उठकर हमलोग कब काम करेंगे, यह सोचना होगा. 15 दिसंबर 2018 को दिल्ली विधानसभा को अस्तित्व में आए 25 साल पूरे हुए थे, परिसर में बड़े धूमधाम से सिल्वर जुबली का कार्यक्रम मनाने का फैसला लिया. इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि के तौर पर हमने भारत के पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी को आमंत्रित किया था. उनको इसलिए आमंत्रित किया गया था कि वह दिल्ली विधानसभा के स्पीकर रह चुके हैं. उन्होंने हमारा निमंत्रण सहर्ष स्वीकार किया. इस कार्यक्रम के लिए हमने आडवाणी जी को मुख्य अतिथि और अरविंद केजरीवाल को विशिष्ट अतिथि बनाया था. निमंत्रण पत्र भी छप गए. प्रोग्राम के जब तीन दिन बाकी थे तब लालकृष्ण आडवाणी जी के यहां से संदेश आया और उन्होंने कार्यक्रम में आने पर असमर्थता जता दी.
इतनी गंदी राजनीति नहीं होनी चाहिए: रामनिवास गोयल ने बताया कि बीजेपी के दो और कांग्रेस के पुराने विधायकों को छोड़कर कोई नहीं आया. फिर हमने विधानसभा के पूर्व स्पीकर रहे पुरुषोत्तम गोयल को मुख्य अतिथि के तौर पर बुलाया था. इतनी गंदी राजनीति है जो विधायक यहां से निकले, आगे बढ़े. यह एक ऐसा मंदिर है सिल्वर जुबली के कार्यक्रम में उनको आना चाहिए था. रामनिवास गोयल ने कहा कि, मुझे खुशी हुई थी कि हमारे असम के राज्यपाल जगदीश मुखी जो दिल्ली के जनकपुरी से विधायक भी रहे हैं, उनका फोन आया कि मैं कार्यक्रम में आऊंगा. उन्होंने बोला कि, वे राज्यपाल हैं तो राज्यपाल के नाते व्यवस्थाएं होनी चाहिए. गोयल ने कहा कि निर्देशानुसार विधानसभा के गेट से लेकर कार्यक्रम स्थल तक रेट कारपेट बिछाई, बैंड बाजे वालों को बुलाया. लेकिन वह भी पार्टी के बंधन में बंधकर रह गए, और नहीं आए. गोयल ने कहा कि वो इस घटना को वे जीवन भर नहीं भूल पाएंगे. इतनी बड़ी त्रासदी, इतनी बड़ी घटना, कौन इसको रोक रहा था? कौन नहीं रोक रहा था? वह सब वे समझ रहे थे. यह बात दुखद भी था और आश्चर्यचकित करने वाला. यह बात विधानसभा के इतिहास में काले अक्षरों में लिखी जाएगी.
रामनिवास गोयल ने बताया आगे का प्लान: अब रामनिवास गोयल सक्रिय राजनीति में नहीं रहेंगे तो आगे क्या करने का प्लान है? इस सवाल पर विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने कहा कि पार्टी जो जिम्मेदारी देगी वह करेंगे. मेरा समाज सेवा से जुड़ा बहुत सारे काम हैं, अब उसमें समय देने की कोशिश करेंगे. उन्होंने कहा कि यह उनका निजी फैसला था. परिवार में पत्नी-बच्चे नहीं चाहते थे कि वे अब चुनाव नहीं लड़ें. अब उनकी आयु 77 वर्ष होने जा रही है. वर्ष 2023-24 में कई बार वह बीमार पड़े और अस्पताल में भी रहे. इसलिए सक्रिय राजनीति में चुनाव नहीं लड़ने का फैसला लिया.
बता दें कि सातवीं विधानसभा की पहली बैठक 24 फरवरी 2020 को आयोजित की गई थी और 4 दिसंबर 2024 को इसकी 14वीं बैठक आयोजित की गई. सातवीं विधानसभा के प्रश्न काल में कुल 1095 प्रश्नों को सूचीबद्ध किया गया और विधायकों को पूरक प्रश्न पूछने का पर्याप्त अवसर दिया गया. नियम 280 के तहत विशेष उल्लेख के 702 मामले उठाए गए और सदस्यों को अपने विचार व्यक्त करने का पूरा अवसर दिया गया. इस पूरे कार्यकाल के दौरान कुल 28 विधायक पारित किए गए. कुल चार सरकारी संकल्प और 14 अन्य संकल्प भी पारित किए गए थे.
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