रांची: बिहार के समाजवादी नेता और अपने आचार विचार, ईमानदारी, सज्जनता की बदौलत आम लोगों के जननायक बने पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित करने के केंद्र सरकार के फैसले की चौतरफा सराहना हो रही है. कर्पूरी ठाकुर की 100वीं जयंती से ठीक एक दिन पहले मोदी सरकार ने उन्हें भारत रत्न से सम्मानित करने का फैसला लिया है.
उनकी 100वीं जन्मशताब्दी की खुशी में रांची के हीनू चौक पर अखिल भारतीय नाई संघ ट्रेड यूनियन ने कार्यक्रम आयोजित कर केंद्र सरकार के प्रति आभार प्रकट किया. इस मौके पर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री सह भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, विधायक सीपी सिंह, विधायक नवीन जायसवाल, राज्यसभा सांसद खीरु महतो समेत समाज के प्रबुद्धजनों ने कर्पूरी ठाकुर की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया.
यूनियन की ओर से बिरसा मुंडा चौक से हीनू चौक तक शोभायात्रा निकाली गई. संघ के जिला महामंत्री मनोज कुमार शर्मा ने बताया कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के अगले दिन दिल्ली से आए इस शुभ समाचार से समाज के लोग बेहद खुश और उत्साहित हैं. जननायक देश के इस सर्वोच्च सम्मान के हकदार थे. यह मांग लंबे समय से की जा रही थी. लेकिन मोदी सरकार ने उनकी मांग पूरी की. इस दौरान संघ ने नेताओं को गुलदस्ता देकर आभार जताया.
जननायक कर्पूरी ठाकुर का जन्म बिहार के समस्तीपुर में हुआ था. वह 1970 से 1979 के बीच दो बार बिहार के मुख्यमंत्री रहे. 1952 में पहली बार विधायक चुने जाने के बाद से वह आजीवन किसी न किसी सदन में सदस्य रहे. उनकी पहचान एक सच्चे समाजवादी के रुप में होती थी. उनके पास ना गाड़ी थी ना घर. परिवारवाद के कट्टर विरोधी रहे कर्पूरी ठाकुर ने अपने पूरे जीवनकाल में परिवार के किसी भी सदस्य को राजनीति में नहीं आने दिया. मंडल कमीशन लागू होने से पहले कर्पूरी ठाकुर बिहार की राजनीति में उस मुकाम तक पहुंचे जहां उनकी पृष्ठभूमि से आने वालों के लिए पहुंच पाना असंभव से कम नहीं था. उन्होंने पिछड़ों को जगाया. उनके हक की आवाज उठायी.