लखनऊ: चुनाव लड़ने वाले प्रत्येक प्रत्याशी को चुनाव परिणाम आने 30 दिनों के अंदर चुनाव में हुए खर्च का लेखा जोखा देना अनिवार्य होगा. ऐसा नहीं करने वाले प्रत्याशियों के खिलाफ चुनाव आयोग एक्शन भी लेगा. उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा ने बताया कि, परिणाम घोषित होने के 30 दिन के अंदर सभी प्रत्याशी जिला निर्वाचन अधिकारी के पास अपने चुनाव खर्च के संबंध में लेखा जोखा की सही प्रतिलिपि दाखिल करनी होगी. उन्होंने कहा कि बिना किसी ठोस कारण के निर्धारित समय सीमा के अंदर चुनाव खर्च का लेखा-जोखा दाखिल नहीं करने वाले प्रत्याशी को निर्वाचन आयोग की तरफ से 3 साल के लिए अयोग्य घोषित किया जा सकता है.
मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम-1951 की धारा-77(1) के तहत लोकसभा या विधानसभा के प्रत्येक प्रत्याशी के लिए उसके नामांकन की तारीख से निर्वाचन के परिणाम की घोषणा की तारीख तक उसकी ओर से किए गए सभी खर्च का अलग अलग एवं सही लेखा रखना अनिवार्य होगा. चुनाव के दौरान प्रत्याशी की ओर से किया गया खर्च लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम-1951 की धारा-77(3) के अधीन निर्धारित राशि से अधिक नहीं होना चाहिए.
मुख्य निर्वाचन आयोग ने कहा कि वर्तमान में प्रदेश के प्रत्येक संसदीय निर्वाचन क्षेत्र के लिए निर्वाचन खर्च की अधिकतम सीमा 95 लाख रुपये तथा प्रत्येक विधानसभा उप निर्वाचन क्षेत्र के लिए अधिकतम 40 लाख रुपये निर्धारित है. प्रत्याशियों की ओर से निर्वाचन में निर्धारित सीमा से अधिक खर्च किया जाना लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 123(6) के अंतर्गत भ्रष्ट आचरण की श्रेणी में आता है.
उन्होंने बताया कि ऐसे प्रत्याशी को लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा-10(क) के अंतर्गत आयोग की ओर से आदेश निर्गत किये जाने की तिथि से 3 वर्ष के लिए प्रतिबंधित किया जा सकता है. और आईपीसी की धारा-171(अ) के अंतर्गत जुर्माने से भी दण्डित किया जा सकता है. निर्वाचन व्यय की सीमा से अधिक खर्च किये जाने की स्थिति में लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा-8ए के अंतर्गत भ्रष्ट आचरण का दोषी पाये जाने पर उच्च न्यायालय द्वारा 6 वर्ष तक प्रतिबंधित किया जा सकता है. तथा संबंधित निर्वाचन भी निरस्त किया जा सकता है. वहीं आयोग के मुताबिक उत्तर प्रदेश राज्य के 121 व्यक्तियों को निर्वाचन लड़ने के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया है.