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'स्कूलों में मार्गदर्शिका उपलब्ध कराइए, ताकि शिक्षक भूमिका का निर्वहन कर सकें', ACS का सभी DEO को निर्देश - ACS S Siddharth

Bihar Education Department : बिहार के सरकारी स्कूल में शिक्षक सही ढ़ंग से अपने दायित्वों का निर्वहन करे, इसको लेकर विभाग तत्पर है. इस बाबत शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को पत्र भी लिखा है. पढ़ें पूरी खबर.

डॉ एस सिद्धार्थ
डॉ एस सिद्धार्थ (Etv Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Aug 9, 2024, 6:01 PM IST

पटना :शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ एस सिद्धार्थ ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारीयों को राज्य के सभी विद्यालयों में विभाग द्वारा जारी शिक्षक मार्गदर्शिका उपलब्ध कराने के लिए पत्र लिखा है. पत्र के माध्यम से उन्होंने निर्देशित किया है कि डीईओ राज्य के सभी विद्यालयों में शिक्षक मार्गदर्शिका उपलब्ध करवाना सुनिश्चित करें, ताकि शिक्षक उसका अनुपालन कर सकें. ऐसा इसलिए ताकि विद्यालय में शिक्षक अपनी भूमिका का समुचित निर्वहन कर सकें.

'बच्चों को श्रेष्ठ नागरिक बनाना शिक्षकों का दायित्व' :डॉ एस सिद्धार्थ ने पत्र के माध्यम से कहा है कि बिहार सरकार राज्य के सभी सरकारी विद्यालयों में शैक्षणिक गुणवत्ता सुनिश्चित करने और सभी विद्यार्थियों के समग्र विकास के लिए प्रतिबद्ध है. इस संबंध में विद्यालय में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका है. विद्यार्थियों की शैक्षिक उपलब्धि के साथ-साथ उनके सामाजिक और भावनात्मक व्यवहार का परिमार्जन कर उन्हें भविष्य का श्रेष्ठ नागरिक बनाना शिक्षकों का दायित्व है. यह आवश्यक है कि शिक्षक अपने विद्यालय और बच्चों के हित में अपने कर्तव्यों का समुचित निर्वहन करें.

एसीएस द्वारा निर्त पत्र. (ETV Bharat)

''एक आदर्श शिक्षक मोमबत्ती की तरह होता है, जो स्वयं जलकर दूसरों की राह प्रकाशित करता है. ऐसे में विद्यालयों में शिक्षकों की भूमिका और दायित्व को पांच श्रेणियों में विभाजित किया गया है. शिक्षक इसका दृढ़ता पूर्वक अनुपालन करें. इसके लिए जरूरी है कि विद्यालय में शिक्षकों को शिक्षक मार्गदर्शिका उपलब्ध हो. प्रत्येक प्रखंड से प्रतिमाह सबसे बेहतर करने वाले किसी एक शिक्षक और एक प्रतिभाशाली छात्र का चयन करें.''- डॉ एस सिद्धार्थ, अपर मुख्य सचिव, शिक्षा विभाग

यह हैं पांच श्रेणियां:-

  1. छात्र स्वरूप-शिक्षक या सुनिश्चित करेंगे की सभी विद्यार्थी विद्यालय की यूनिफॉर्म में और अपने बस्ती में विद्यालय के समय सारणी के अनुसार सभी विषयों की पाठ्य पुस्तक के पेंसिल बॉक्स पीने के पानी की बोतल लेकर विद्यालय आए. शिक्षकों को यह देखना होगा कि विद्यार्थी नियमित स्नान करके आए, बाल कटे हुए संवरे हुए रहे, बच्चों के नाखून अधिक बड़े ना हो.
  2. विद्यालय प्रबंधन-शिक्षकों को यह देखना होगा कि बच्चे क्लास शुरू होने से 10 मिनट पहले विद्यालय में उपस्थित हो और ई शिक्षाकोष एप पर शिक्षक अपनी उपस्थिति दर्ज कारण. चेतन सूत्र का संचालन करते हुए प्रतिदिन शिक्षक बच्चों के बीच नैतिक मूल्यों पर चर्चा करें. इसके अलावा शिक्षक अनिवार्य रूप से 6 दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण पूरा करना सुनिश्चित करें. साथी साथ विद्यालय में मेनू के अनुसार बच्चों को मिड डे मील उपलब्ध हो.
  3. कक्षा प्रबंधन-प्रतिदिन कक्षा के संचालन के दौरान शिक्षक श्यामपट (ब्लैकबोर्ड) पर दिनांक, दिन, विषय, उपस्थित छात्रों की संख्या अंकित करें. नोटबुक पर प्रतिदिन दिनांक लिखकर बच्चे आगे लिखें. छोटी कक्षा के विद्यार्थियों को शिक्षक उनकी मूलभूत साक्षरता एवं गणनात्मक कौशल के विकास पर बल दें. अलग-अलग विषयों के लिए बच्चे एक ही लेखन पुस्तिका का प्रयोग नहीं करें और पाठ योजना का दृढ़ता से पालन हो, यह शिक्षक सुनिश्चित करें.
  4. छात्र प्रबंधन-शिक्षक यह सुनिश्चित करें कि प्रतिदिन चेतना सत्र के संचालन में विद्यार्थियों की सहभागिता हो. नियमित रूप से विद्यालय के हेड गर्ल और सिर बुआ का चयन कर विद्यार्थियों को बारी-बारी से अवसर उपलब्ध कराया जाए. पढ़ने में कमजोर विद्यार्थी बेहतर प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों के साथ बैठे ताकि बच्चे बेहतर सीख सके. इसके अलावा शिक्षक विद्यार्थियों की शैक्षणिक उपलब्धियां के साथ-साथ उनके सामाजिक और भावनात्मक कौशल के विकास पर भी ध्यान दें.
  5. अभिभावक प्रबंधन-शिक्षक इस बात का ध्यान दें कि यदि कोई विद्यार्थी तीन दिन तक विद्यालय से अनुपस्थित है तो उसके अभिभावक से फोन के माध्यम से इस बात की जानकारी ली जाए. सकारात्मक परिणाम नहीं मिलने पर विद्यार्थी के घर जाकर स्थिति की समीक्षा करें. यदि अभिभावक संकेत है कि विद्यालय में निम्न स्तरीय व्यवस्था है तो शिक्षा का स्वस्थ करें कि सरकार विद्यालय में बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है. शिक्षक विद्यालय में नियमित रूप से अभिभावक शिक्षक बैठक करें और बच्चों के शैक्षणिक गतिविधियों के साथ-साथ सामाजिक और भावनात्मक व्यवहार की चर्चा करें.

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