नई दिल्ली: पूर्वी दिल्ली के विवेक विहार इलाके में 25 मई की रात बेबी केयर सेंटर में आग लगने की घटना के बाद हुई सात बच्चों की मौत के मामले में एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) द्वारा एलजी को सौंपी गई जांच रिपोर्ट में एक और नया खुलासा हुआ है. दरअसल, एसीबी ने उपराज्यपाल को आग लगने की घटना को लेकर तीन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की है. इन अधिकारियों में नर्सिंग होम सेल के चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर संदीप अग्रवाल, नर्सिंग होम सेल के पूर्व चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर आरएन दास और डॉक्टर नितिन शामिल हैं.
विवेक विहार अग्निकांड: एसीबी ने तीन अधिकारियों के खिलाफ की कार्रवाई की सिफारिश, जानिए इन पर क्या हैं आरोप - vivek vihar fire - VIVEK VIHAR FIRE
विवेक विहार अग्निकांड मामले में एंटी करप्शन ब्यूरो(एसीबी) ने तीन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की है. , जानिए कौन हैं ये अधिकारी.
Published : Jun 13, 2024, 10:38 PM IST
उल्लेखनीय है कि डॉक्टर आरएन दास नर्सिंग होम सेल के चिकित्सा अधीक्षक होने के साथ ही मौजूदा स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज के ओएसडी थे. एसीबी की जांच में डॉक्टर आरएन दास के न्यू बॉर्न बेबी केयर सेंटर के संचालक डॉक्टर नवीन खीची के साथ सांठ-गांठ भी सामने आई है. एसीबी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अगर नर्सिंग होम सेल द्वारा समय रहते नर्सिंग होम का निरीक्षण करके उसके लाइसेंस का नवीनीकरण कर दिया जाता तो शायद यह आग लगने की घटना नहीं होती.
डॉ नवीन खीची ने पहले 2021 में नर्सिंग होम का लाइसेंस लिया था जो मार्च 2024 तक वैध था. उसने लाइसेंस के नवीनीकरण के लिए फरवरी 2024 में आवेदन किया था. लेकिन, इन अधिकारियों द्वारा कई महीनाे तक लाइसेंस का नवीकरण नहीं किया गया था. अगर लाइसेंस का नवीनीकरण किया जाता तो उससे पहले होने वाले निरीक्षण के दौरान अस्पताल की कुछ खामियां भी सामने आती और उन खामियों को लाइसेंस देते समय पूरा दूर कर लिया जाता. इससे आग लगने की घटना की संभावना खत्म हो सकती थी. लेकिन अधिकारियों की लापरवाही से ऐसा नहीं हो सका.
बता दें कि विवेक विहार के नर्सिंग होम में आग लगने की घटना में सात नवजात बच्चों की मौत के बाद दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने 28 मई को एसीबी को दिल्ली के सभी अस्पतालों के लाइसेंस और अन्य आवश्यक दस्तावेजों व उपकरणों की जांच करने का आदेश दिया था. इसके बाद एसीबी ने 62 से ज्यादा अस्पतालों पर छापेमारी कर उनकी जांच की थी. इस दौरान चार अस्पताल अवैध रूप से चलते पाए गए जबकि 40 अस्पतालों में खामियां मिलीं. इनकी रिपोर्ट एसीबी ने सोमवार को उपराज्यपाल को सौंप दी थी. अब एसीबी इन अस्पतालों के खिलाफ दूसरे चरण की जांच में जुट गई है. एसीबी ने स्वास्थ्य विभाग और डीजीएचएस से भी इन अस्पतालों से संबंधित कई अन्य जानकारियां मांगी हैं.
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