आगरा: डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के केएमआई स्थित अभिलेख धरोहर संग्रहालय (Museum) एवं शोध केंद्र को आम जनता और शोधार्थियों के लिए खोल दिया गया है. संग्रहालय में पांडुलिपियों के डिजिटाइजेशन का कार्य भी किया जा रहा है. जिससे क्यूआर कोड स्कैन करते ही एक क्लिक पर पांडुलिपि और अन्य की पूरी जानकारी मिल जाएगी. म्यूजियम में 1403 पांडुलिपियां, प्राचीन सिक्के, प्राचीन नक्शे हैं, जो भोजपत्र, ताड़-पत्र पर हस्तलेख, ज्योतिष, चिकित्सा, गणित, संगीत, विभिन्न लिपि, भाषा एवं साहित्य और भक्ति साहित्य के चित्रित हस्तलेखों के अतिरिक्त प्राचीन सिक्के भी इस संग्रहालय में संग्रहीत हैं. संग्रहालय में हर पांडुलिपि पर एक क्यूआर कोड होगा. इसके साथ ही यमनुा किनारे का दुर्लभ और दिल्ली के लाल किला नक्शा है, जो अब लोग देखने पहुंचने रहे हैं. संग्रहालय में रखीं पांडुलिपियों को डिजिटलाइजेशन किया जा रहा है.
सन 1957 में बना था केएमआई संस्थान:डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के पालीवाल परिसर में 1957 में केएमआई की स्थापना हुई थी. जिसके पहले निदेशक प्रो. विश्वनाथ प्रस्खद बने थे. संस्थान के निदेशक जहां भी जाते थे, वहां से भोजपत्र, ताड़ पत्र पर हस्तलेख, ज्योतिष, भाषा एवं साहित्य और भक्ति साहित्य के चित्रित हस्तलेखों के साथ ही प्राचीन सिक्के संग्रह के लिए लेकर आते थे. इसके साथ ही कई पांडुलिपि और सिक्कों को नीलामी में खरीद कर लाए.
केएमआइ निदेशक प्रो. प्रदीप श्रीधर ने बताया कि 2022 में कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने केएमआई का निरीक्षण किया था. तब उन्होंने संस्थान में मौजूद पांडुलिपियों के बारे में जानकारी दी गई थी. जिस पर कुलाधिपति ने पांडुलिपियों को संरक्षित करने के साथ ही डिजिटलाइजेशन दिए. जिस पर कुलपति प्रो. आशु रानी के सहयोग से संस्थान के संग्राहलय में दुर्लभ 1403 पांडुलिपियों का संरक्षण किया गया. अब हेरिटेज फाउंडेशन की टीम आगरा आकर संस्थान की पांडुलिपियों को स्कैन करके क्यूआर कोड बना रही है.
उन्होंने कहा कि यहां कई पांडुलिपि के क्यूआर कोड बन गए हैं. जिसमें भोजपत्र, ताड़-पत्र पर हस्तलेख, ज्योतिष, चिकित्सा, गणित, संगीत, विभिन्न लिपि, भाषा एवं साहित्य और भक्ति साहित्य के चित्रित हस्तलेखों के अतिरिक्त प्राचीन सिक्के भी हैं. संस्थान ने संग्रहालय के अलग भवन के लिए पांच करोड़ रुपये का प्रस्ताव बनाकर संस्कृति मंत्रालय को भेजा है. जहां से स्वीकृति मिलते ही भवन का निर्माण शुरू किया जाएगा.
सिक्कों का अद्भुत संग्रह:डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय का कन्हैया लाल माणिकलाल मुंशी (केएमआई) अभिलेख धरोहर संग्रहालय एवं शोध केंद्र में सिक्कों का अनोखा संग्रह है. संग्रहालय में प्रथम शताब्दी के इंडो-बैक्ट्रीयन शासनकाल का भी सिक्का के साथ ही बंगाल के महान पाल वंश के सोने के सिक्के, कनिष्क काल, सिकंदर लोधी, अकबर, ईस्ट इंडिया कंपनी के समय 1835 में जारी तांबा किया सिक्का, महारानी विक्टोरिया, सहित सोनी, चांदी, तांबे, गिलट के सिक्कों का संग्रह है.
प्राचीन इंडो-चैक्ट्रीयन सिक्का बेहद खास:संग्रहालय में पाल राजवंश के जो दो स्वर्ण धातु के सिक्के हैं. इन सिक्कों के एक तरफ देवनागरी लिपि में पाल तथा छोटे आकार में हाथी या घोड़ा और दूसरी तरफ देवी या देवता का चित्र अंकित है. ऐसे ही संग्रहालय में सबसे प्राचीन इंडो-चैक्ट्रीयन सिक्का है. यह सिक्का बैक्टीरिया साम्राज्य से संबंधित है. ये साम्राज्य उत्तरी अफगानिस्तान और आक्सस नदी के दूसरी ओर तक फैला हुआ था. इन इंडो-बैष्ट्रीयन सिक्कों के मूल डिजाइन के अग्रभाग पर शासक और दूसरी तरफ ग्रीक देवता का चित्र अंकित है. इस पर ग्रीक भाषा के लेख भी लिखे मिलते हैं. ये सिक्का लगभग प्रथम शताब्दी ईसा पूर्व से प्रथम शताब्दी ईसा के मध्य का है.