आगरा : मोहब्बत की निशानी ताजमहल में रविवार दोपहर मुगल शहंशाह शाहजहां का 370वां उर्स गुस्ल की रस्म के साथ शुरू हो गया. ये सालाना तीन दिवसीय उर्स है, जिसमें तीसरे दिन मंगलवार शाम शाहजहां की कब्र पर हिंदुस्तानी सतरंगी चादर की चादरपोशी होगी. हिंदुस्तानी सतरंगी चादर दुनिया में हिंदू-मुस्लिम एकता और सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल है. हिंदुस्तानी सतरंगी चादर की आस्था और खासियत के बारे में ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट में जानते हैं. जो 100 मीटर की लंबाई से शुरू हुई थी. जो 43 साल में अब 1640 मीटर लंबी हो गई.
बता दें कि मुगल बादशाह शहंशाह शाहजहां का उर्स उर्दू माह रजब की 25, 26 और 27 तारीख को हर साल मनाया जाता है. इस साल 26, 27 और 28 जनवरी को रजब माह की 25, 26 और 27 तारीख है. इसलिए, इस साल ताजमहल में शहंशाह शाहजहां का 370वां उर्स 26 जनवरी (रविवार) दोपहर रस्मों के साथ शुरू हो गया है. उर्स में आखिरी दिन 28 जनवरी (मंगलवार) को कुल के छींटों के साथ कुरानख्वानी, फातिहा और चादरपोशी की शुरूआत होगी. इस दिन ही शाम को खास हिंदुस्तानी सतरंगी चादर रहेगी.
43 साल पहले चढ़ाई गई थी 100 मीटर की चादर : खुद्दाम-ए-रोजा कमेटी के प्रेसिडेंट ताहिरुद्दीन ताहिर ने बताया कि आज से करीब 43 साल पहले शाहजहां के उर्स में हमारे परिवार के सदस्यों ने सर्वधर्म समभाव और सद्भाव को लेकर चादरपोशी शुरू की थी. तब ताजमहल के दक्षिण गेट स्थित हनुमानजी के मंदिर से चादर शुरू होकर ताजमहल में पहुंची थी. उन्होंने बताया कि मैंने 28 साल पहले चादरपोशी का रूप बदल दिया. हमने तब पुरखों की शुरू की चादर का नाम हिंदुस्तानी सतरंगी किया. ये चादर पूरे हिन्दुस्तान की है. ये चादर हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई की है. इसलिए, हर साल उर्स से 20-25 दिन पहले सभी धर्म के लोग मिलकर ये हिंदुस्तानी सतरंगी चादर बनाते हैं. हर्ष और उल्लास के साथ उर्स में हिंदुस्तानी सतरंगी चादर की शाहजहां की असली कब्र पर चादरपोशी होती है.
इस साल 80 मीटर और लंबी हुई सतरंगी चादर : खुद्दाम-ए-रोजा कमेटी के प्रेसिडेंट ने बताया कि हर साल उर्स से 20-25 दिन पहले हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई धर्म के लोग अपनी-अपनी मन्नत पूरी होने पर अलग-अलग रंग कपड़ा लेकर आते हैं. जो लोगों की ओर से दिया गया कपड़ा होता है, उसे धुलते हैं, फिर कपड़े प्रेस करके चादर की सिलाई की जाती है. चादर की सुंदरता को बढ़ाने के लिए गोटा भी लगाते हैं. हर साल हिंदुस्तानी सतरंगी चादर से लोग जुड़ रहे हैं, जिससे की हिंदुस्तानी सतरंगी चादर की लंबाई भी बढ़ रही है. शाहजहां के 369वें उर्स के आखिरी दिन कब्र पर 1560 मीटर लंबी हिंदुस्तानी सतरंगी चादर चढ़ाई गई थी. इस साल की हिंदुस्तानी सतरंगी चादर 1640 मीटर लंबी हो गई है. इस साल हिंदुस्तानी सतरंगी चादर बीते साल के मुकाबले 80 मीटर हुई है.
देश की तरक्की और सांप्रदायिक सद्भाव की करेंगे दुआ : खुद्दाम-ए-रोजा कमेटी के प्रेसिडेंट ने बताया कि उर्स के आखिरी दिन हिंदुस्तानी सतरंगी चादर की चादरपोशी में मुख्य अतिथि सूफी अंसारी मिया लियाकती रहेंगे. हिंदुस्तानी सतरंगी चादरपोशी करके देश की तरक्की के साथ ही सांप्रदायिक सद्भाव की दुआ की जाएगी. इसके साथ ही विश्व में अमन-चैन की दुआ की जाएगी.
उर्स में दो दिन की रस्में : 27 जनवरी 2025 : उन्होंने बताया कि उर्स के दूसरे दिन सोमवार दोपहर दो बजे शाहजहां और मुमताज की क्रबों पर संदल चढ़ाया जाएगा. मिलाद उन नवी पढ़ा जाएगा. इसके साथ ही ताजमहल बंद होने तक कव्वाली होगी.
28 जनवरी 2025 : उन्होंने बताया कि उर्स के तीसरे दिन मंगलवार की सुबह कुल शरीफ के बाद कुरानख्वानी, फातिहा पढ़ा जाएगा. सुबह से शाम तक चादरपोशी, गुलपोशी और पंखे चढ़ाए जाएंगे. इसके साथ ही शाम को फोरकोर्ट में लंगर तकसीम किया जाएगा.
ताजमहल में इन सामानों पर प्रतिबंध : उर्स के दौरान जायरीन और आम पर्यटक अपने साथ ताजमहल में प्रतिबंधित वस्तु सिगरेट, बीड़ी, गुटखा, तंबाकू, पान मसाला, किसी भी प्रकार का झंडा, बैनर, पोस्टर, किताब, 36 इंच से बड़ा ढोल, बैंड-बाजा, पेंचकस, लाइटर, चाकू समेत अन्य सामान नहीं ले जा सकेंगे.
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