प्रयागराज : महाकुंभ में कथावाचक देवकी नंदन ठाकुर के शांति सेवा शिविर में हुई धर्म संसद में बड़ा फैसला लिया गया है. धर्म संसद सनातन बोर्ड के गठन का प्रस्ताव पास हो गया है. अब इसे हिंदू अधिनियम 2025 के नाम से जाना जाएगा. सभी धर्माचार्यों ने प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कर इसे पारित किया. धर्म संसद में सनातन हिंदू बोर्ड एक स्वतंत्र निकाय के रूप में स्थापित होगा. इसके साथ ही 11 सदस्यों के अध्यक्ष मंडल का गठन होगा. जिसमें चारों संप्रदायों के प्रमुख जगतगुरु, तीन सदस्य सनातनी अखाड़ों के प्रमुख, एक सदस्य संरक्षक मंडल द्वारा नामित, तीन सदस्य प्रमुख संत, कथावाचक और धर्माचार्य होंगे.
सनातन बोर्ड के कार्य: सनातन बोर्ड का मुख्य कार्य मठ-मंदिरों को सरकार से मुक्त कराना, मठ-मंदिरों में गौशाला और गुरुकुल की स्थापना करना होगा. इसके साथ ही मंदिरों में पुजारियों की नियुक्ति, सनातन धर्म से जुड़े गरीब परिवारों को आर्थिक सहायता और लव जिहाद और धर्मांतरण को रोकने के लिए सनतान बोर्ड गठन करेगा.
सनातन बोर्ड के गठन को बड़ा झटका लगा है. अखाड़ा परिषद ने प्रयागराज महाकुंभ में आज बुलाई गई धर्म संसद में शामिल होने से इंकार कर दिया है. कथा वाचक देवकीनंदन ठाकुर के नेतृत्व में आज मेला क्षेत्र में सनातन धर्म संसद का आयोजन होने जा रहा है. सेक्टर 17 के शांति सेवा शिविर में यह कार्यक्रम दोपहर 12 बजे से होना है. इसमें सनातन बोर्ड के गठन को लेकर संत आवाज बुलंद करेंगे. इस कार्यक्रम के शुरू होने से पहले ही अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने इससे किनारा कर लिया है.
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने धर्म संसद में शामिल होने से इंकार कर दिया है. उनका कहना है कि धर्म संसद में शामिल होने और सनातन बोर्ड के गठन के मुद्दे पर सभी अखाड़ों के प्रमुख संतों ने अपनी रजामंदी नहीं दी है. यही कारण है कि पहले से तय होने के बावजूद अब अखाड़ा परिषद धर्म संसद में शामिल नहीं होगा.
धर्म संसद शुरू होने के ठीक एक दिन पहले अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ने अपने फैसले से सबको चौंका दिया. देवकी नंदन के साथ मिलकर धर्म संसद के जरिए सनातन बोर्ड के गठन की रूपरेखा तैयार करने और लागू कराने के लिए कार्य करने का ऐलान किया गया था. इसके बाद अचानक से महंत रवींद्र पुरी ने अपना फैसला बदल दिया.
उनका कहना है कि महाकुंभ में काफी भीड़ उमड़ रही है. सभी अखाड़ों के प्रमुख संतों ने धर्म संसद में सनातन बोर्ड के गठन के मसले पर चर्चा करने और उसके गठन पर सहमति नहीं प्रदान की है. 13 अखाड़ों के प्रमुख संतों ने सहमति नहीं दी. इससे धर्म संसद में शामिल न होने का फैसला किया गया है.
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