चंडीगढ़: हरियाणा में आम आदमी पार्टी के बुरी हार मिली है. सूबे की सभी 90 विधानसभा सीटों पर आम आदमी पार्टी ने अकेले दम पर चुनाव लड़ने का फैसला किया था. बीच में उन्होंने कांग्रेस से गठबंधन की कोशिश की, बात सिरे नहीं चढ़ी तो आम आदमी पार्टी ने हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों में से 88 पर उम्मीदवार उतारे, लेकिन एक भी उम्मीदवार जीत नहीं सका. हालांकि पांच सीटें ऐसी रही. जिस पर आप पार्टी ने कांग्रेस के साथ खेला कर दिया. मतलब ये कि अगर हरियाणा में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी गठबंधन के तहत चुनाव लड़ती तो बीजेपी को पांच सीटों से ज्यादा का नुकसान हो सकता था.
हरियाणा में क्यों फेल हुई बीजेपी? हरियाणा चुनाव में आम आदमी के पास मजबूत नेतृत्व की कमी दिखाई दी. जैसे बीजेपी में नायब सैनी, मनोहर लाल, अनिल विज, कांग्रेस में भूपेंद्र हुड्डा, कुमारी सैलजा. इन नेताओं की टक्कर का कोई भी चेहरा आम आदमी पार्टी में नहीं है. जिसकी वजह से आप पार्टी हरियाणा के चुनाव में उतना प्रभाव नहीं डाल सकी. दूसरी वजह से चुनाव प्रचार भी है. आम आदमी पार्टी का चुनाव प्रचार फीका रहा है. खुद अरविंद केजरीवाल भी उनती ताकत नहीं झोंक सके जिससे की आम आदमी पार्टी हरियाणा में खाता खोल पाती.
कांग्रेस को कितना नुकसान? आम आदमी पार्टी ने करीब पांच सीटों पर कांग्रेस को डेंट डाला है. ये पांच सीटें उचाना कलां, असंध, डबवाली, दादरी और महेंद्रगढ़ शामिल हैं. अगर हरियाणा विधानसभा चुनाव में दोनों पार्टी गठबंधन के तहत चुनाव लड़ती तो बीजेपी को सीधा नुकसान होता, लेकिन आम आदमी पार्टी कांग्रेस का वोट काटने में कामयाब रही. इन सीटों पर जितने वोट आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों को मिले हैं. उससे ज्यादा वोटों से कांग्रेस उम्मीदवारों की हार हुई है. अगर दोनों पार्टी गठबंधन के तहत चुनाव लड़ती तो नुकसान बीजेपी को होता.
जल्दबाजी में किया उम्मीदवारों का चयन: आम आदमी पार्टी हरियाणा चुनाव कांग्रेस से साथ गठबंधन कर लड़ना चाहती थी. आप पार्टी कांग्रेस से दस सीटें मांग रही थी. दस सीटों पर आम आदमी पार्टी के पास मजबूत उम्मीदवार भी थे, लेकिन कांग्रेस ने नामांकन के अंतिम क्षण में अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा की. जिसके बाद आम आदमी पार्टी ने जल्दबाजी में बिना किसी सर्वे के 88 सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया. जिसका खामियाजा उन्हें उठाना पड़ा.