रायपुर: मेयर एजाज ढेबर ने शनिवार को प्रेस कांफ्रेंस कर राज्य सरकार को निशाने पर लिया. मेयर ने कहा कि नगर निगम और टाउन एंड कंट्री प्लानिंग का अमला वर्षों से काबिज दुकानदार और फुटकर व्यवसाय करने वाले लोगों को हटा रही है, पुनर्वास के लिए कुछ नहीं कर रही है. इसके साथ ही मेयर ने सरकार पर एक बड़ा आरोप भी लगा दिया. मेयर ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार में अमलीडीह में 9 एकड़ जमीन कॉलेज के नाम पर आवंटित थी. वहां पर भूमि पूजन भी कर दिया गया था. बावजूद इसके इस जमीन पर मॉल का निर्माण करने के लिए उस जगह को बेच दिया गया है.
सीबीआई जांच की मांग: मेयर एजाज ढेबर ने कहा कि राज्य सरकार ने कौड़ियों के भाव जो जमीन बेची है उस जमीन की वर्तमान में कीमत लगभग 350 करोड़ रुपए है. मेयर ने कहा कि उक्त जमीन पर कॉलेज के नाम पर भूमि पूजन भी कर दिया गया था. बावजूद इसके नियमों को दरकिनार करते हुए उक्त जमीन को माल बनाने के बिल्डर को दे दिया गया.
सीबीआई जांच की मांग (ETV Bharat)
करोड़ों की जमीन को कौड़ियों के भाव दिए जाने की जांच होनी चाहिए. मेरी मांग है कि पीएम मोदी इसकी जांच सीबीआई से कराएं. :एजाज ढेबर, मेयर, रायपुर
मेयर एजाज ढेबर ने लगाया आरोप: मेयर का आरोप है कि नगर निगम रायपुर के 70 वार्डों में पिछले कई वर्षों से फुटपाथ पर दुकान लगाने वाले दुकानदारों को हटाया जा रहा है. जिनको हटाया जा रहा है उनको दूसरी जगह तक नहीं दी जा रही है. दुकानों को हटाने का काम नगर निगम और टाउन एंड कंट्री प्लानिंग की टीम के द्वारा किया जा रहा है. इसकी जानकारी रायपुर मेयर के साथ ही परिषद को भी नहीं है. इस बात की चर्चा एमआईसी में भी नहीं हुई है.
एजाज ढेबर ने दिया नियमों का हवाला: मेयर ने कहा कि नियम के तहत जो पिछले 15 और 20 सालों से अपना व्यवसाय चल रहा है उसे पहले दुकान के लिए जगह आवंटित की जाती है फिर उसे जगह से उसे हटाया जाता है. रायपुर नगर निगम के लगभग सभी वार्डों में इस तरह की कार्रवाई चल रही है और यह बताने का प्रयास किया जा रहा है की रायपुर नगर निगम में कांग्रेस के महापौर बैठे हुए हैं, उनके द्वारा दुकानदरों को हटाया जा रहा है.
''ग्लोबल टेंडर नहीं हुआ'': शहर में मच्छरों की समस्या को लेकर मेयर ने कहा कि हमारी सोच अच्छी होने के कारण हम ग्लोबल टेंडर बुलाने वाले थे लेकिन अब अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि ग्लोबल टेंडर वगैरह कुछ नहीं हुआ. दुर्ग की एक एजेंसी को काम दे दिया गया जो पूरी तरह से इस मच्छर मारू कार्यक्रम में पूरी तरह से विफल रही है. 3 महीने के इस टेंडर में 2 महीने के भीतर 65 लाख रुपए भी निकल जाता है. 3 महीने का यह टेंडर डेढ़ करोड़ रुपए का था. उसका नाम भी पायलट प्रोजेक्ट रखा जाता है. इस बात की जानकारी ना ही पार्षद को है और ना ही सभापति को है. इसके साथ ही इस बात की जानकारी मेयर इन काउंसिल के सदस्य को भी नहीं है.