पटना:राजधानीपटना की गर्दनीबाग धरना स्थल पर चल रहेबीपीएससी अभ्यार्थियों से मिलने शनिवार को सदर एसडीएम गौरव कुमार के नेतृत्व में अधिकारियों का डेलिगेशन पहुंचा. अधिकारियों ने अभ्यर्थियों से कहा कि पांच लोगों की टीम बनाइए. इनके माध्यम से आपकी बातों को अंजाम तक पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा.
आयोग के अध्यक्ष से मिलने से इनकार:पांच अभ्यर्थियों की टीम भी बन गई, लेकिन जब एसडीएम से पूछा गया कि कहां जाना है तो एसडीएम ने कहा कि आयोग के अध्यक्ष से इन्हें मिलवाया जाएगा. इसके बाद अभ्यर्थी नाराज हो गए और कहे कि उन्हें सिर्फ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलना है और इसके अलावा वह किसी से नहीं मिलेंगे.
'हमलोगों की तबीयत खराब है': वहीं जब अधिकारियों की टीम पहुंची तो शिक्षाविद गुरु रहमान ने कहा कि उनकी भी तबीयत खराब है और अभ्यर्थियों की भी तबीयत खराब है. नॉर्मलाइजेशन के विरोध में वह प्रदर्शन कर रहे हैं. वह मानते हैं कि पेपर लीक नहीं हुआ है लेकिन नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया अपनाने की कोशिश हो रही है जिसका विरोध है. उन्होंने कहा कि सरकार के प्रतिनिधि आ रहे हैं और यह आंदोलन की सफलता बता रहा है.
"सीएम नीतीश कुमार से मेरा अनुरोध है कि ये नॉर्मलाइजेशन का मुद्दा है लीक का नहीं. अध्यक्ष, सचिव झूठ बोल रहे हैं. इसे आप (नीतीश कुमार) किसी भी रूप में मत लीजिए. मेहरबानी करके इस परीक्षा का री एग्जाम कीजिए और एक ही साथ एक सीटिंग में परीक्षा लीजिए."- गुरु रहमान, शिक्षाविद
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलवाने की मांग:अभ्यर्थी रितेश कुमार ने कहा कि अधिकारियों का डेलिगेशन पहुंचा हुआ था जो उन्हें आयोग के अध्यक्ष से मिलवाने की बात कर रहा था. उन लोगों ने मना कर दिया है और उनकी एक ही मांग है कि उन लोगों की बात मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से करवाई जाए. 11 दिनों से वह प्रदर्शन आयोग के अध्यक्ष से मिलने के लिए नहीं कर रहे हैं.
"मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से हमारी वार्ता नहीं कराई जाती है तो आंदोलन यूं ही जारी रहेगा. जिस आयोग के अध्यक्ष ने प्रदर्शन करने वाले अभ्यर्थियों को उपद्रवी कहा, हम उनकी बातों को कैसे सुनेंगे."-रितेश कुमार, अभ्यर्थी
खाली हाथ लौटे एसडीएम:वहीं एसडीएम गौरव कुमार ने छात्रों को समझाया कि आयोग कांस्टीट्यूशनल बॉडी है. उसकी एक प्रक्रिया होती है और आयोग की कोई व्यवस्था से दिक्कत है तो उसके संबंध में आयोग के पास अपनी बातों को रखना पड़ेगा. लेकिन कोई भी अभ्यर्थी एसडीएम की बातों को सुनने को तैयार नहीं हुए. एसडीएम को खाली हाथ लौटना पड़ा.