शिमला: "हिमाचल में पुराने वाहनों से पर्यावरण को हो रहे नुकसान को देखते हुए ऐसे 7 हजार सरकारी वाहन स्क्रैप होंगे जिससे राज्य के महत्त्वपूर्ण विभागों के कामकाज पर असर पड़ेगा."डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने यह जानकारी दिल्ली में आयोजित परिवहन मंत्रियों की राष्ट्र स्तरीय बैठक में दी. उन्होंने स्क्रैपिंग पॉलिसी को सुचारू रूप से चलाने के लिए अधिक अनुकूल वित्तीय सहायता संरचना का भी आग्रह किया.
डिप्टी सीएम ने नई दिल्ली में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी की अध्यक्षता में आयोजित परिवहन मंत्रियों की राष्ट्र स्तरीय बैठक और परिवहन विकास परिषद की 42वीं बैठक में भाग लिया. इस दौरान उन्होंने हिमाचल प्रदेश में परिवहन क्षेत्र से संबंधित कई महत्वपूर्ण मामले उठाए और इनके समाधान के लिए केंद्र सरकार से सहयोग का आग्रह किया. उन्होंने वाहन स्क्रैपिंग नीति के वित्तीय बोझ का मामला भी उठाया. प्रदेश को अपनी भौगोलिक स्थिति और कम वाहनों की संख्या के कारण विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिससे स्क्रैपिंग के लिए वाहनों की असेंबली महंगी और पेचिदा हो जाती है.
विशेष केंद्रीय सहायता की समय सीमा बढ़ाने का भी आग्रह
उप-मुख्यमंत्री ने पूंजी निवेश के लिए विशेष केंद्रीय सहायता (एससीए) प्राप्त करने की समय सीमा को 31 मार्च, 2025 तक बढ़ाने का आग्रह किया. राज्य पर वित्तीय दबाव को कम करने के लिए स्क्रैपिंग प्रोत्साहन ऋण के बजाय अनुदान के रूप में प्रदान किए जाएं. स्क्रैपिंग नीति के सुचारू कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए अधिक अनुकूल वित्तीय सहायता संरचना का भी आग्रह किया. मुकेश अग्निहोत्री ने केंद्रीय मंत्री से एटीएस के तहत प्रोत्साहन प्राप्त करने और वाहनों को स्क्रैप करने की तिथि 31 जनवरी से बढ़ाकर 31 मार्च करने का आग्रह किया. केंद्रीय मंत्री ने मामले का संज्ञान लिया और कहा कि मामला विचाराधीन है.
उप-मुख्यमंत्री ने प्रदेश में संचालित अखिल भारतीय पर्यटक परमिट (एआईटीपी) बसों की ओर से उत्पन्न चुनौतियों पर भी चर्चा की. यह एआईटीपी बसें राज्य में स्टेज कैरिज बसों के रूप में चल रही हैं, हालांकि उनके पास कॉन्ट्रैक्ट कैरिज परमिट (एआईटीपी) है. एआईटीपी और स्टेज कैरिज के बीच करों की मात्रा में बहुत अंतर है.
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