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हरियाणा के पुलिस अधिकारियों को नहीं मिलेगा वीरता पुरस्कार, केंद्र ने लौटाई फाइल, जानिए ऐसा क्यों हुआ - Haryana Police Gallantry Award - HARYANA POLICE GALLANTRY AWARD

Haryana Police Gallantry Award: हरियाणा पुलिस के 6 अधिकारियों को अब वीरता पुरस्कार नहीं मिलेगा. केंद्र सरकार ने इन अधिकारियों की फाइल हरियाणा सरकार को लौटा दी है. आखिर इन पुलिस अधिकारियों को क्यों नहीं मिलेगा पुरस्तार, जानने के लिए पढ़िए पूरी खबर.

Haryana Police Gallantry Award
हरियाणा के पुलिस अधिकारियों को नहीं मिलेगा वीरता पुरस्कार (File Photo)

By ETV Bharat Haryana Team

Published : Aug 9, 2024, 10:53 PM IST

चंडीगढ़:हरियाणा के उन 6 पुलिस अधिकारियों को अब वीरता पुरस्कार नहीं दिया जा सकेगा, जिनकी किसानों को दिल्ली जाने से रोकने में भूमिका थी. मामले में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि हरियाणा सरकार की तरफ से जिन नामों की सिफारिश की गई, उन पर आपत्ति लगाकर फाइल राज्य सरकार को वापस भेज दी गई है. केंद्र सरकार ने बताया कि पुलिस अधिकारियों के नाम की सिफारिश देर से की गई, ऐसे में उन्हें पुरस्कार नहीं दिए जाएंगे. इस जवाब के बाद हाईकोर्ट ने दायर याचिका को खारिज कर दिया है.

स्वतंत्रता दिवस पर नहीं होंगे सम्मानित

हरियाणा के इन छह पुलिस अधिकारियों को अब स्वतंत्रता दिवस पर सम्मानित नहीं किया जाएगा. इन पुलिस अधिकारियों को वीरता पदक की सिफारिश के खिलाफ पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. वकीलों के एक गैर सरकारी संगठन लॉयर्स फार ह्यूमनिटी के प्रधान आरएस बस्सी ने हरियाणा सरकार की 2 जुलाई की अधिसूचना को रद्द करने की मांग की थी.

आईपीएस समेत 6 अधिकारियों के नाम

हरियाणा सरकार ने अधिसूचना के तहत हाल ही में केंद्र को भेजी अपनी सिफारिश में वीरता पुलिस पदक के लिए प्रदेश के छह पुलिस अधिकारियों के नाम की सिफारिश की थी. इनमें तीन आइपीएस अधिकारी और तीन हरियाणा पुलिस सेवा में सेवारत हैं. वीरता पुरस्कारों के लिए भेजे गए नाम की सूची में अंबाला के पुलिस कमिश्नर आईजी शिबास कबिराज, करनाल के पूर्व एसपी जश्नदीप रंधावा, जींद के एसपी सुमित कुमार शामिल हैं. इनके अलावा राज्य पुलिस सेवा के तीन डीएसपी नरेंद्र कुमार, राम कुमार और अमित बतरा का नाम शामिल था.

पंजाब सरकार ने भी जताई थी आपत्ति

हरियाणा सरकार द्वारा उक्त पुलिस अधिकारियों को पुरस्कृत करने की सिफारिश का पता लगने पर पंजाब सरकार द्वारा भी विरोध दर्ज कराया गया था. सभी राजनेताओं द्वारा इसका विरोध किया गया और पंजाब की विधानसभा के स्पीकर कुलतार सिंह संधवां ने मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भी लिखा. इसमें उन्होंने हरियाणा पुलिस द्वारा वीरता पुरस्कारों के लिए भेजे गए नाम पर पुनर्विचार किए जाने की बात कही थी. क्योंकि इन अधिकारियों द्वारा शंभू बार्डर पर संघर्षरत किसानों को दिल्ली जाने से रोका गया था. पत्र में कोई फैसला लेने से पहले शंभू बॉर्डर पर पंजाब-हरियाणा सीमा पर बने हालातों को ध्यान में रखने की बात कही गई थी.

किसानों पर दमनकारी कार्रवाई

दायर याचिका में आरोप लगाए गए थे कि इन पुलिस अधिकारियों ने किसानों को दिल्ली जाने से रोकने के लिए उनके खिलाफ दमनकारी कार्रवाई करते हुए भारी बल का प्रयोग किया. बावजूद इसके सरकार उन्हें पुरस्कृत करने के प्रयास में है.

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