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53 'अवैध' घरों में सरकार ने दिया बिजली-पानी, पक्के मकान बनाए, अब हाई कोर्ट ने दिए बुलडोजर चलाने के आदेश - HOUSES Built ON PASTURE LAND

जयपुर के सांभरलेक उपखंड में 53 घरों में रहने वाले 250 लोगों को सिर से छत छिन जाने का डर सता रहा है. इन घरों में सरकारी योजना के तहत बिजली कनेक्शन मिला, पीने का पानी मिला, कच्चे से पक्के मकान बने. पढ़िए इतने सालों बाद हाई कोर्ट ने इन्हें अतिक्रमण बताकर क्यों बुलडोजर चलाने के आदेश दिए हैं...

53 आशियानों पर चलेगा बुलडोजर!
53 आशियानों पर चलेगा बुलडोजर! (ETV Bharat Jaipur)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 23, 2024, 11:54 AM IST

जयपुर: जिले के सांभरलेक उपखंड क्षेत्र के राजस्व गांव मोरसर में चरागाह भूमि में बसे घरों के ऊपर बुलडोजर चलने वाला है. ऐसे में इन घरों में रहने वाले लोगों को दिन-रात आशियाना उजड़ने का डर सता रहा है. वर्षों पहले चरागाह भूमि पर लोगों ने अपनी जिंदगी भर की पूंजी लगाकर आशियाने बना लिए, लेकिन हाई कोर्ट के आदेश के बाद आशियानों पर बुलडोजर चलने वाला है. यहां बसे 53 कच्चे और पक्के मकानों में 250 लोग रहते हैं. ऐसे में लोग सरकार से अपने आशियाने को बचाने की गुहार लगा रहे हैं.

हाई कोर्ट के आदेश पर 53 अतिक्रमण चिह्नित किए गए थे, जिनमें 23 पक्के मकान थे. 12 सितंबर को अतिक्रमण हटाने की तारीख थी, लेकिन पुलिस जाप्ता नहीं मिलने के चलते कार्रवाई नहीं हो सकी. आगे आदेश पर कार्रवाई की जाएगी. अगर इन लोगों के पास पुराने पट्टे बिल आदि दस्तावेज हैं तो हमें दें ताकि हम हाई कोर्ट में पेश कर सकें.: कृष्णा शर्मा, सांभरलेक तहसीलदार

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पंचायत-प्रशासन की लापरवाही का खामियाजा :चैनपुरा ग्राम पंचायत के राजस्व गांव मोरसर में चरागाह में बसे घरों में वर्षों पहले बिजली के कनेक्शन हो चुके हैं. जल मिशन योजना के तहत घर-घर में पानी का कनेक्शन पहुंच चुका है. लोगों के राशन कार्ड और आधार, वोटर कार्ड भी बन गए. इतना ही नहीं प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्के मकान भी बन गए. ऐसे में बड़ा सवाल उठता है कि जब चरागाह की भूमि थी तो प्रशासन से सरकारी सुविधा कैसे मिली?

गांव में आबादी नहीं थी तो वर्षों पहले लोग यहां बस गए. सरकार की ओर से इन्हें पट्टे दे दिए, जहां हमने पक्के मकान बना लिए. अब हम लोगों को बेदखल करने की कार्रवाई की जा रही है. परिवार के लोग, बच्चे कहां जाएंगे? सरकार को हमारी पुनर्वास की व्यवस्था करनी चाहिए. : भागचंद, स्थानीय निवासी

ग्रामीणों ने पट्टों के आधार पर बनाए आशियाने :मोरसर गांव की चरागाह भूमि में बसे लोगों ने कहा कि उनके पूर्वज भी इन्हीं घरों में रहते थे. उनके पास जागीरी और 40 साल पहले ग्राम पंचायत प्रशासन के पट्टे और विक्रय पत्र भी हैं, तभी तो लोगों ने यहां पक्के घर बनाए हैं. अब हाई कोर्ट के आदेश के बाद घरों पर बुलडोजर चलाने की कार्रवाई की जा रही है. ग्रामीण सरकार से उनके घर बचाने की मांग कर रहे हैं

हमारे बुजुर्ग भी यहां रह रहे थे. जागीरदार के द्वारा साइन किए हुए कागजात भी हैं. ग्राम पंचायत चैनपुरा और पंचायत समिति मोजमाबाद की ओर से पट्टे दिए हुए हैं. उन्हीं के आधार पर कच्चे मकानों को तोड़कर पक्के मकान बनाए गए. हमारी दो तीन पीढ़ियां यहीं रह रही हैं. मैं खुद 75 साल का हो गया. मैं खुद भी यहीं जन्मा हूं. अब सरकार हमको बेदखल करने जा रही है. सरकार से मांग है कि हमें बेदखल न करें. : शंकर दान, ग्रामीण

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स्थानीय निवासी दिलीप सिंह ने बताया कि मोरसर ग्राम पंचायत में आजादी से पहले के जागीरी और ग्राम पंचायत पंचायत समिति सांभर के पट्टे बने हुए थे. इसी के आधार पर लोग यहां रह रहे थे. कुछ समय से इन्हें बेदखल करने के लिए एसडीएम, तहसीलदार, पटवारी आते हैं और इन्हें बेदखल करने के लिए कह जाते हैं. इनके पास रहने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. घर में छोटे-छोटे बच्चे हैं.

ग्रामीण सीता देवी ने बताया कि उनका परिवार 50 साल से यहां रह रहा है. पहले कच्चे मकान थे. प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत उनके पक्के मकान बनाए गए. अब सरकार इन्हें तोड़ने जा रही है. सरकार से मांग है कि हमें यही स्थापित किया जाए. बता दें कि चंद्र मोहन शर्मा और महेंद्र सिंह मेहता शिकायतकर्ता ने वर्ष 2022 में हाई कोर्ट में चरागाह भूमि से अतिक्रमण हटाने की अपील की, जहां हाईकोर्ट ने 12 सितंबर 2024 को तहसील प्रशासन को अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए हैं.

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