आगरा:ताजनगरी के सिकंदरा क्षेत्र के गांव लखनपुर में पकड़ी गईं जीजा-साला की अवैध दो फैक्ट्री में पशुओं की नकली दवाएं बनती थीं. ऑनलाइन आर्डर पर विदेशों में सप्लाई की जाती थी, जो मुंबई के डिस्ट्रीब्यूटर के माध्यम से भेजी जाती थीं. आगरा में दोनों ही फैक्ट्री से बनने वाली नकली दवाएं बाजार में 10 गुना अधिक दाम पर खपाई जाती थीं. इधर, पशुओं की नकली दवा बनाने वाली दोनों फैक्ट्रियों में 48 घंटे तक कार्रवाई चली, जिसमें करीब 4.5 करोड़ रुपए की अवैध व नकली मेडिसीन जब्त की गई हैं. औषधि विभाग को आरोपी जीजा और साले की फैक्ट्रियों में 434 तरह की दवाएं मिली हैं, जिनके सैंपल जांच के लिए गए हैं.
बता दें कि आगरा पुलिस कमिश्नरेट की सर्विलांस और एसओजी की निशानदेही पर सिकंदरा थाना क्षेत्र के गांव लखनपुर में मंगलवार रात पुलिस ने छापा मारा था. जहां एक फैक्ट्री तो बंद मैरिज होम में चल रही थी तो दूसरी एक मकान में संचालित हो रही थी. जहां पर पशुओं की नकली दवाएं बनाकर खपाई जा रही थीं. पुलिस ने दोनों फैक्ट्री से करीब 4.50 करोड़ रुपये से अधिक का माल, मशीनरी बरामद की. इसके साथ ही सिकंदरा थाना पुलिस ने विभव वाटिका, दयालबाग निवासी फैक्ट्री संचालक अश्वनी गुप्ता, उसकी पत्नी निधि, नरसी विलेस राज दरबार कॉलोनी निवासी फैक्ट्री संचालक साैरभ दुबे और मैनेजर उस्मान को पकड़ा था. गुरुवार देर रात तक औषधि विभाग की टीम दवाओं की गिनती की तो वहां पर करीब 434 तरह की दवाएं मिली हैं.
100 रुपये दवाएं 1100 रुपये में बिकती थी :डीसीपी सिटी सूरज राय ने बताया कि अवैध फैक्ट्री संचालक अश्वनी गुप्ता और साैरभ दुबे रिश्ते में जीजा-साले हैं. दोनों ने पूछताछ में खुलासा किया था कि दोनों ही फैक्ट्री में कोई विशेषज्ञ नहीं है. फैक्ट्री लाइसेंस भी आगरा का नहीं है. जीजा-साले ने फैक्ट्री पहले साझे में खोली थी. विवाद होने पर दोनों अलग हो गए. दोनों ही जगह पर दवाएं पशुओं की ही दवा बनती थी. यहां पर 90 से 100 रुपये की लागत एक दवा बनती है, जो बाजार में मूल्य 1100 रुपये में बेची जाती थी. औषधि विभाग की तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी. दोनों ने पूछताछ में बताया कि नकली दवाएं बनने के लिए दिल्ली से मशीनें खरीदी थीं. इसके साथ ही दिल्ली और मुम्बई से रॉ मेटेरियल मंगवाकर दवाएं बनाते थे.