लखनऊ : परिवहन विभाग ने इस साल जनता को घर बैठे विभाग से संबंधित कामों के लिए ऑनलाइन सेवाओं का विकल्प दे दिया. घर बैठे लर्नर लाइसेंस तो बन ही रहे थे, आरटीओ से संबंधित और भी काम ऑनलाइन कर दिए गए. इनमें ड्राइविंग लाइसेंस के अलावा वाहन से संबंधित काम शामिल हैं. इससे लोगों को बड़ी राहत मिली है.
परिवहन निगम ने इस साल तेजी से निजीकरण की तरफ कदम बढ़ा दिया. प्रदेश के 19 डिपो को निजी कंपनियों के हवाले कर दिया गया. 23 बस स्टेशनों को पीपीपी मॉडल पर बनाने के लिए निजी फर्म को दे दिया गया. यात्रियों के हित में सिर्फ इतना ही हुआ कि इस साल परिवहन निगम ने यात्रियों पर किराए का बोझ नहीं डाला. साल जाते-जाते निगम ने एसी बसों का किराया कम कर यात्रियों को राहत जरूर दी. नगरीय परिवहन निदेशालय ने पहली बार इलेक्ट्रिक एसी डबल डेकर बस को लखनऊ की सड़कों पर उतारा.
ये व्यवस्थाएं हुईं ऑनलाइन : इस वर्ष परिवहन विभाग की ड्राइविंग लाइसेंस, वाहन और परमिट संबंधी 46 सेवाओं को ऑनलाइन किया गया. इनमें से 16 सेवाएं ऐसी हैं जिनमें ऑटो अप्रूवल की व्यवस्था बनाई गई. ऑटो अप्रूवल वाली सेवाओं के लिए आवेदकों को आरटीओ कार्यालय आने की जरूरत नहीं होगी. लर्नर लाइसेंस में पता बदलने, लर्नर लाइसेंस में फोटो व साइन बदलना, डुप्लीकेट लर्नर लाइसेंस जारी करना, लर्नर लाइसेंस निकलवाने का प्रावधान करना, ड्राइविंग लाइसेंस का नवीनीकरण (जिसमें वाहन चलाने की दक्षता जांचने की जरूरत नहीं है), ड्राइविंग लाइसेंस में बायोमेट्रिक्स बदलना, ड्राइविंग लाइसेंस में फोटो व साइन बदलना, लाइसेंस से वाहन का श्रेणी समर्पण, डुप्लीकेट सार्वजनिक सेवा वाहन (पीएसवी) बैज जारी करना, कंडक्टर लाइसेंस का नवीनीकरण, कंडक्टर लाइसेंस निकलवाने का प्रावधान करना, कंडक्टर लाइसेंस में पता बदलना, कंडक्टर लाइसेंस में बायोमेट्रिक्स बदलना, पंजीकरण प्रमाणपत्र शुल्क जमा करना, पंजीकरण प्रमाणपत्र में पता बदलना जैसी सेवाएं शामिल हैं. वाहन फोर से सम्बंधित पांच सेवाओं, सारथी फोर से सम्बंधित 22 सेवाओं और परमिट से सम्बंधित छह सेवाओं को पोर्टल पर लाइव किया गया है. प्रदेश में ड्राइविंग लाइसेंस बनाने के लिए नए सेवा प्रदाता के चयन को लेकर टेंडर प्रक्रिया शुरू की गई है. तकनीकी बिड में सफल हुई कंपनियों के प्रपत्रों का वेरीफिकेशन की प्रक्रिया जारी है.
इन व्यवस्थाओं से मिली राहत : ड्राइविंग लाइसेंस नवीनीकरण के लिए स्वास्थ्य प्रमाण पत्र (मेडिकल सर्टिफिकेट) ऑनलाइन अपलोड करने की व्यवस्था शुरू की गई है. सीएमओ की ओर से 12 चिकित्सकों के अधिकृत पैनल की तरफ से मेडिकल सर्टिफिकेट दिया जाएगा. चिकित्सक आरटीओ की ओर से दिए गए लॉग इन आईडी और पासवर्ड के जरिए मेडिकल सर्टिफिकेट सारथी पोर्टल पर अपलोड करेंगे. इसके साथ ही वाहन के लोन क्लीयरेंस का सर्टिफिकेट बैंक की तरफ से ऑनलाइन अपलोड करने की व्यवस्था भी शुरू की गई है. वाहन पोर्टल से बैंकिंग एआई डाटा बेस जुड़ने के बाद फार्म 35 की प्रक्रिया ऑनलाइन की गई है. लोन अदा होने पर एनओसी व फार्म 35 वाहन पोर्टल पर ऑनलाइन बैंक की तरफ से अपलोड किया जाएगा.
निजी हाथों में कॉमर्शियल वाहनों की फिटनेस की व्यवस्था : कामर्शियल वाहनों की फिटनेस की व्यवस्था निजी हाथों में देने को लेकर लाइसेंस जारी किए जा रहे हैं. ऑटोमेटेड टेस्टिंग सेंटर (एटीएस) के अब तक 50 से अधिक लाइसेंस जारी किए जा चुके हैं. कई जनपदों में एटीएस का निर्माण भी पूरा हो चुका है. एक जनपद में अधिकतम तीन आटोमेटेड टेस्टिंग सेंटर (एटीएस) के लाइसेंस दिए जाने की व्यवस्था बनाई गई है.
अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण का गठन : प्रदेश में जल परिवहन व पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए इस वर्ष यूपी अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण का गठन भी किया गया. इसके तहत दो पहिया, चार पहिया व कॉमर्शियल वाहनों की तर्ज पर जलयानों के पंजीकरण के साथ नंबर अलॉट किए जाएंगे. जलयानों के पंजीकरण का अधिकार सभी 19 संभागों के संभागीय परिवहन अधिकारी (आरटीओ) को दिए गए हैं. वाहन और सारथी पोर्टल की तर्ज पर जलयानों के पंजीकरण के लिए भारत सरकार की ओर से अलग से पोर्टल बनवाया जा रहा है. जलयानों के पंजीकरण की फीस अलग से निर्धारित होगी. कॉमर्शियल वाहनों की तर्ज पर जलयानों की भी फिटनेस होगी. इसके लिए मरीन इंजीनियर्स तैनात किए जाएंगे, जो जलयानों का सर्वे करेंगे.
16 ड्राइविंग ट्रेंनिंग इंस्टीट्यूट होंगे सरकारी : प्रदेश में ड्राइविंग लाइसेंस की व्यवस्था भी निजी हाथों में सौंपने की प्रक्रिया शुरू की गई है. आवेदकों के डीएल आरटीओ की जगह ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर में बनेंगे. इसके लिए डीटीआई और डीटीसी का निर्माण किया जा रहा है. उत्तर प्रदेश में 16 ड्राइविंग ट्रेंनिंग इंस्टीट्यूट सरकारी होंगे जो प्रदेश के अलग-अलग जिलों में बनकर तैयार हो रहे हैं. ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर इन 16 जनपदों को छोड़कर अन्य जनपदों में बनाए जा रहे हैं. ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर का ऑटोमेशन और संचालन निजी कंपनी करेगी. निजी कंपनी ही लाइसेंस की प्रक्रिया संपादित करेगी. ड्राइविंग लाइसेंस को अप्रूवल की जिम्मेदारी आरआई पर होगी. डीटीसी का निर्माण कार्य एक साल में पूरा करना होगा.
शुरू नहीं हुए स्क्रैप सेंटर : उत्तर प्रदेश में पुराने वाहनों को स्क्रैप करने के लिए स्क्रैप सेंटर के लाइसेंस जारी किए गए हैं. प्रदेश में करीब 50 से अधिक संख्या में स्क्रैप सेंटर के लाइसेंस जारी किए जा चुके हैं, हालांकि प्रदेश में एक भी स्क्रैप सेंटर शुरू नहीं हो सका है. 15 वर्ष पुराने सरकारी वाहनों को ही स्क्रैप करने का आदेश जारी किया गया है. इनमें भी एंबुलेंस, अग्निशमन वाहन समेत आकस्मिक सेवा वाले विभागों को इससे छूट दी गई है. इसके अलावा लखनऊ समेत सात जनपदों के काॅमर्शियल लाइसेंस रायबरेली स्थित डीटीटीआई में बनने की शुरूआत भी हुई है. परिवहन निगम के बस बेड़े में नई साधारण बसें तो जुड़ीं, लेकिन एक भी इलेक्ट्रिक बस नहीं आ पाई.
पीपीपी मॉडल पर 23 बस स्टेशन : उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम ने अपने 23 बस स्टेशन पीपीपी मॉडल पर बनाने के लिए निजी फर्मों को सौंप दिए. इसके अलावा लखनऊ के अवध डिपो समेत 19 डिपो प्राइवेट हाथों में सौंप दिए गए. नए साल से इन डिपो में प्राइवेट फर्म अपना काम शुरू कर देंगी.
'जनता को मिलेंगी सुविधाएं' : उत्तर प्रदेश के ट्रांसपोर्ट कमिश्नर चंद्रभूषण सिंह का कहना है कि जनता को सुविधाएं देने के लिए परिवहन विभाग लगातार अपनी सेवाओं को ऑनलाइन कर रहा है. इसका जनता को बड़ा फायदा भी मिल रहा है. ज्यादातर सेवाएं ऑनलाइन हो गई हैं, जो शेष रह गई हैं उन्हें नए साल में ऑनलाइन कर दिया जाएगा. व्यवस्थाओं में बदलाव किया जा रहा है, जिससे भविष्य में जनता को सुविधाएं मिलेंगी.
'पहले सप्ताह में बेड़े में जुड़ेंगी इलेक्ट्रिक बसें' : परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक मासूम अली सरवर का कहना है कि परिवहन निगम लगातार यात्रियों को सेवा देने के प्रयास कर रहा है. नई साधारण बसें बेड़े में जुड़ चुकी हैं. अब साल के पहले सप्ताह में ही पहली बार रोडवेज के बेड़े में इलेक्ट्रिक बसें भी जुड़ेंगी, जिससे वहां जाने वाले श्रद्धालुओं को बड़ी राहत मिलेगी. यात्रियों को जो भी सुविधाएं देनी हैं उसके लिए हम प्रयासरत हैं.