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जिस स्कूल को नक्सलियों ने डायनामाइट ब्लास्ट कर उड़ाया था, वहां बनता है मतदान केंद्र, 4 साल से पढ़ाई बाधित - Naxal Affected School Of Gaya - NAXAL AFFECTED SCHOOL OF GAYA

Goverment School in Gaya: गया में नक्सली हमले में तबाह हुआ स्कूल आज भी अपने निर्माण के लिए गुहार लगा रहा है. आज चार साल पहले नक्सलियों ने इस स्कूल को डायनामाइट से उड़ा दिया था. जिसके बाद से आज तक इसका मलवा तक नहीं हटाया गया है. आगे पढ़ें पूरी खबर.

गया का सरकारी स्कूल
गया का सरकारी स्कूल

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Mar 30, 2024, 10:27 AM IST

Updated : Mar 30, 2024, 11:08 AM IST

आज तक नहीं बना ये सरकारी स्कूल

गया: बिहार के गया में एक स्कूल को नक्सलियों ने साल 2020 में डायनामाइट लगाकर उड़ा दिया था. इस सरकारी स्कूल का मलबा आज भी जस का तस पड़ा है. बड़ी बात है, यह है कि यहां मतदान केंद्र भी बनता है. 2020 में विधानसभा और फिर पंचायत चुनाव का मतदान यहां किया गया था. अब लोकसभा चुनाव 2024 के तहत इसी स्कूल में बूथ बनेगा और वोट डाले जाएंगे.

नक्सलियों ने डायनामाइट से उड़या: गया का यह सरकारी स्कूल बांकेबाजार प्रखंड अंतर्गत सोनदाहा गांव में स्थित है. बताया जाता है कि सोनदाहा उत्क्रमित मध्य विद्यालय में सीआरपीएफ का अस्थाई कैंप था. 6 फरवरी 2020 को विद्यालय में रेह रहा अस्थाई कैंप खाली हुआ था और अपने नए भवन में शिफ्ट हो गया था. सुरक्षाबलों का कैंप होने के कारण इस सरकारी विद्यालय को नक्सली संगठन ने टारगेट पर रखा था. जैसे ही कैंप खाली हुआ, वैसे ही चंद दिनों के बाद 20 फरवरी 2020 को नक्सलियों ने इस विद्यालय को टारगेट किया और डायनामाइट ब्लास्ट कर उड़ा दिया.

सरकारी स्कूल का हाल बेहाल

घटना के 4 साल बाद भी नहीं बदली विद्यालय की सूरत: घटना के 4 साल होने को है, लेकिन इस विद्यालय की सूरत नहीं बदली. हालांकि पुलिस कैंप खाली होने और नक्सलियों द्वारा उड़ाए गए इस विद्यालय के क्षतिग्रस्त भवन में ही मतदान केंद्र बनाए गए. 2020 में चुनाव हुआ, तो काफी संख्या में लोगों ने मतदान किया. वोट प्रतिशत भी काफी अच्छा रहा. उत्क्रमित मध्य विद्यालय सोनदाहा में विधानसभा और त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव हुआ, जिसमें वोटिंग काफी अच्छी हुई.

बार-बार याद दिलाता है नक्सलियों की करतूत:स्थानीय लोग बताते हैं कि यहां इस बार भी लोकसभा चुनाव 2024 में मतदान केंद्र बनाए जाने हैं. इस विद्यालय को डायनामाइट लगाकर नक्सलियों द्वारा ब्लास्ट कर उड़ा दिया गया था, इसमें मतदान केंद्र बनाया जाता है. विद्यालय के पास पड़े मलबे से होकर लोग वोट देने के लिए पहुंचते हैं. ग्रामीण बताते हैं कि नक्सली घटना के बाद मलबे को नहीं हटाया गया. बड़े पैमाने पर आज भी मलबा पड़ा हुआ है. दूसरी बात कि स्कूल को बनाने की भी पहल नहीं हुई, जिसके कारण पढ़ाई बाधित हो रही है और बच्चे स्कूल नहीं जा पाते हैं.

ध्वस्त हुई बिल्डिंग

दूसरे गांव शिक्षा लेने जाते हैं बच्चे: सोनदाहा गांंव के ग्रामीण वीरेंद्र यादव बताते हैं, कि नक्सलियों ने उत्क्रमित मध्य विद्यालय सोनदाहा को डायनामाइट ब्लास्ट कर उड़ा दिया था. इसमें पुलिस कैंप था, पुलिस कैंप जैसे ही खाली हुआ, वैसे ही कुछ दिनों के बाद विद्यालय को उड़ा दिया गया. नक्सली घटना के बाद आज तक मलबा नहीं हटाया गया. विद्यालय को बनाने की पहल भी नहीं की गई. सोनदाहा गांव में सैकड़ो घरों की बस्ती है, लेकिन यहां स्कूल नहीं है.

"पहले स्कूल में पुलिस कैंप था. पुलिस कैंप हटा तो नक्सलियों ने ध्वस्त कर दिया. अब बच्चों के पढ़ने लायक यहां कोई सरकारी विद्यालय नहीं है. यहां के बच्चों को पढ़ाई के लिए नदी पार कर दो से तीन किलोमीटर दूर बारा गांव जाना पड़ता है. इतना दूर बच्चों को भेजना मुश्किल काम है. यही वजह है, कि अधिकांश बच्चे स्कूल को नहीं जाते हैं."-वीरेंद्र यादव, ग्रामीण

4 साल से नहीं हुआ काम

क्या कहते हैं अधिकारी?: सोनदाहा उत्क्रमित मध्य विद्यालय अब तक नहीं बन पाने के संबंध में बांकेबाजार प्रखंड विकास पदाधिकारी अतुल कुमार ने बताया कि "यह अब तक क्यों नहीं बना है, इसकी विशेष जानकारी शिक्षा विभाग के द्वारा ही दी जा सकती है. क्योंकि यह विभागीय मामला है. इसलिए शिक्षा विभाग के अधिकारी ही इस संबंध में कुछ बता सकते हैं." वहीं इस मामले में गया जिला शिक्षा पदाधिकारी डॉ ओमप्रकाश ने बताया कि मामले की पूरी जानकारी लेकर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी.

"पिछले पखवाड़े ही गया में योगदान दिया हूं. इस संबंध में विशेष जानकारी नहीं है. मामले की पूरी जानकारी लेकर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी."-डॉ ओमप्रकाश, जिला शिक्षा पदाधिकारी, गया

नक्सलियों ने डायनामाइट से उड़ाई बिल्डिंग

सुध लेने नहीं आया कोई: वहीं अन्य ग्रामीण बताते हैं कि यहां सुध लेने भी कोई नहीं आता है. सरकारी अधिकारी क्यों नहीं आते हैं, यह नहीं पता. वो लोग आते तो यह विद्यालय अब तक का बन गया होता. गांव के लोग बताते हैं, कि पहले वे लोग वोट करने लुटुआ या आश्रम पर जाते थे, जो कि 10 किलोमीटर से अधिक की दूरी पर है लेकिन 2020 में यह मतदान केंद्र बना, जो कि क्षतिग्रस्त विद्यालय के भवन में ही था. हालांकि लोगों ने वोट का प्रयोग किया और पहली बार इस नक्सली क्षेत्र में बंपर वोटिंग दर्ज की गई.

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Last Updated : Mar 30, 2024, 11:08 AM IST

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