लखनऊ:उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ उन शहरों में शामिल है, जहां पर प्रदूषण का स्तर मानक से कहीं ज्यादा है. शहर की आबोहवा में जहर घुला हुआ है. पर्यावरण प्रदूषण न फैले इसके लिए एक तरफ वन विभाग एक दिन में साढ़े 36 करोड़ पौधे रोपकर गिनीज बुक में रिकॉर्ड में दर्ज करा रहा है. वहीं, दूसरी तरफ वन विभाग के अधिकारी ही हरे पेड़ों पर आई चलवा रहे हैं.
मोहनलालगंज में निर्माण कार्य के लिए काटा पेड़ःलखनऊ शहर से करीब 20 किलोमीटर स्थित मोहनलालगंज में एक कंपनी निर्माण कार्य कर रही है. जिस जमीन पर निर्माण कार्य होना है, वहां पर आम के हरे-भरे 32 पेड़ दो दिन पहले तक खड़े थे. लेकिन गुरुवार रात में इन सभी पेड़ों पर आरी चल गई. बड़े-बड़े पेड़ जमींदोज कर दिए गए. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का सख्त निर्देश है कि हरे भरे पेड़ों को बिल्कुल भी काटा न जाए. अगर निर्माण कार्य में बाधक बन रहे हैं तो उन्हें अन्यत्र स्थापित किया जाए, लेकिन वन विभाग के अधिकारी ही मुख्यमंत्री के दिशा निर्देशों पर पानी फेर रहे हैं. मोहनलालगंज में रात के दो बजे से तीन बजे के बीच 32 हरे-भरे बड़े आम के पेड़ काट डाले. इन पेड़ों की कटान के पीछे अंदेशा अधिकारियों की मिलीभगत का अंदेशा जताया जा रहा है.
मोहनलाल गंज में काटे गए पेड़. (Video Credit; ETV Bharat) पहले अनुमति देकर निरस्त कर दिया थाः गीता सिंह का आरोप है कि जिस जमीन पर खड़े हरे पेड़ों को काटा गया, उन्हें काटने के लिए कंपनी की तरफ से वन विभाग से अनुमति मांगी गई थी. 13 सितंबर को डिस्ट्रिक्ट फारेस्ट ऑफिसर की तरफ से पहले अनुमति दी गई. लेकिन बाद में जब जांच कराई गई तो पाया गया कि पेड़ हरे भरे और काफी बड़े हैं. इसके बाद 17 सितंबर को अनुमति रद्द कर दी गई. निर्देश दिए गए कि पेड़ों को काटा नहीं जा सकता. लेकिन कंपनी के लोगों ने फिर जोर लगाया और जिस आदेश को हरे भरे पेड़ कहकर काटने से मना किया गया था, उस आदेश को ही दरकिनार कर दिया गया. सालों पुराने पेड़ों पर आरी चल गई.
वन विभाग के अधिकारी अनुमति देने की बात स्वीकार कीः"ईटीवी भारत" ने अवध वन प्रभाग के डिस्ट्रिक्ट फारेस्ट ऑफिसर सीतांशु पाण्डेय से 34 आम के हरे-भरे पेड़ों को रात में काटे जाने के बारे में पूछा तो पहले तो उन्होंने इस बात से साफ इनकार कर दिया. कहा कि उन्हें नहीं पता है, दिखवाते हैं. लेकिन बाद में फिर पूछा गया तो कहा कि पेड़ों को काटने की अनुमति दी गई थी. डिस्ट्रिक्ट फारेस्ट ऑफिसर सीतांशु पांडेय से जब पेड़ों को काटने की अनुमति देने का अनुमति पत्र मांगा गया तो ये कहकर पल्ला झाड़ लिया कि अभी ऑपरेशन टाइगर में व्यस्त हैं. बता दें कि खसरा नंबर 2072 पर कुल 32 पेड़ थे और कहा जा रहा है कि 27 पेड़ों को काटने की अनुमति थी, लेकिन सभी काट डाले गए. एक खास बात यह भी है कि कंपनी की तरफ से रजिस्ट्री में जो पेपर लगाए गए हैं, उसमें कहा गया है कि खसरा नंबर 2072 पर कोई पेड़ ही नहीं हैं.
जमीन को लेकर कोर्ट में चल रहा मुकदमाःजमीन की मालकिन निवासी गीता का कहना है कि मेरी जमीन पर कोर्ट में मुकदमा चल रहा है. जमीन पर हरे-भरे आम के पेड़ थे. इन्हें काटने की अनुमति नहीं थी, लेकिन वन विभाग के अधिकारियों से मिलकर कंपनी के लोगों ने रात में दो से तीन बजे के बीच सारे पेड़ कटवा डाले. शिकायत की गई तो पुलिस पल्ला झाड़ रही है. वन विभाग के अधिकारी भी कुछ नहीं बोल रहे हैं. अब प्रमुख सचिव से शिकायत की है. वन मंत्री और मुख्यमंत्री से भी शिकायत करूंगी. जमीन पर कब्जा करने के लिए यह सब किया जा रहा है. मेरे परिवार की जान को भी खतरा है.
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