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काशी से मथुरा भेजा गया 3000 किलो का घंटा, 8 किलोमीटर तक सुनाई देगी आवाज, जानें क्या है खासियत - 3000 kg bell - 3000 KG BELL

शिव नगरी में तैयार अद्भुत घंटे की आवाज अब श्रीकृष्ण की नगरी में गूंजेगी. यह घंटा मथुरा स्थित रमणरेतीधाम परिसर स्थित रमनबिहारी मंदिर में लगाया जाएगा. इसके साथ ही सात और घंटे लगाए जाएंगे जो कि सात सुरों में बजेंगे. शिव की नगरी काशी में बना यह घंटा 3000 किलो का है.

काशी में तैयार 3000 किलो का घंटा.
काशी में तैयार 3000 किलो का घंटा. (PHOTO CREDIT ETV BHARAT)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : May 23, 2024, 8:18 PM IST

वाराणसी :शिव नगरी में तैयार घंटे की आवाज अब श्रीकृष्ण की नगरी में गूंजेगी. यह घंटा मथुरा स्थित रमणरेतीधाम परिसर स्थित रमनबिहारी मंदिर में लगाया जाएगा. इसके साथ ही सात और घंटे लगाए जाएंगे जो कि सात सुरों में बजेंगे. शिव की नगरी काशी में बना यह घंटा 3000 किलो का है. ऐसा घंटा काशी में पहली बार बनाया गया है. यह घंटा गुरुवार को मथुरा पहुंच जाएगा. इसे बजाने के लिए मशीन का प्रयोग किया जाएगा. इसकी आवाज 8 किलोमीटर दूर तक सुनाई देगी.

ऐसा पहली बार हुआ है कि काशी में इतना वजनी घंटा बनाया गया है. घंटा भेजने से पहले कबीरनगर स्थित श्रीउदासीन कार्ष्णि आश्रम से ट्रस्टी स्वामी ब्रजेशानंद सरस्वती ने घंटे का विधिवत पूजन किया. इसके बाद घंटा मथुरा के लिए रवाना किया गया. इस घंटे को पूजन-अर्चन के साथ रमणरेतीधाम परिसर स्थित रमनबिहारी मंदिर में लगाया जाएगा.

नष्ट होंगी नकारात्मक शक्तियां, देवताओं का होगा आगमन

स्वामी ब्रजेशानंद सरस्वती ने बताया कि इस घंटे की आवाज जहां तक जाएगी, वहां तक नकारात्मक शक्तियां नष्ट हो जाएंगी. देवताओं का आगमन होगा. इस घंटे को बजाने के लिए एक मशीन लगाई जाएगी. मथुरा में सरोवर के पास एक स्तंभ बनाया गया है. उसी के ऊपर इसे स्थापित किया जाएगा. उन्होंने बताया कि सुबह-शाम आरती के समय इसे मशीन से बजाया जाएगा. इसकी आवाज 8 किलोमीटर दूर तक सुनाई देगी. इस घंटे को मथुरा भेजने से पहले इसका पूजन-अर्चन किया गया है.

15 माह का समय लगा

घंटे को बनाने वाले कारीगर प्रताप विश्वकर्मा ने बताया कि, इस घंटे को बनाने में 15 महीने से अधिक का समय लगा है. इसे बनाने के लिए 10 कारीगर लगे हुए थे. कभी-कभी 30 से 50 कारीगर भी लगकर काम करते थे. यह घंटा पीतल समेत तमाम धातुओं से बना हुआ है, जिसका वजन 3000 किलोग्राम है. यह जब भी बजाया जाएगा नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करेगा. इसको बनाने में अष्टधातु का इस्तेमाल किया गया है और मथुरा आश्रम से ही सभी धातुएं लाई गई थीं.

बंशी, मयूर, हाथी, कमलदल की खूबसूरत नक्काशी

उन्होंने बताया कि, काशी में पहली बार तीन टन वजन का घंटा बनाया गया है. यह 6 फीट ऊंचा और 5 फीट चौड़ा है. इसमें पीतल की मात्रा ज्यादा है. मंदिरों में बने घंटे बिना नक्काशी के होते हैं. वहीं संयोजक निधिदेव अग्रवाल ने बताया कि, यह ऐसा पहला घंटा है जिसपर बंशी, मयूर, हाथी, कमलदल, कमलकलश, माखन हांडी, गोमाता आदि की नक्काशी की गई है. स्वामी ब्रजेशानंद सरस्वती ने बताया कि, मंदिर में इस घंटे के साथ सात और 150 किलो वाले घंटे लगाए जाएंगे. ये सात सुरों में बजेंगे.

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