कुल्लू: जिला कुल्लू के मुख्यालय ढालपुर में 3 दिवसीय कुल्लू साहित्य उत्सव का शुभारंभ बुधवार को किया गया. ये उत्सव हिमतरू प्रकाशन समिति और भाषा एवं संस्कृति विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया. जिसकी अध्यक्षता डीसी कुल्लू तोरूल एस रवीश ने की. उन्होंने कहा कि साहित्य का महत्व आज भी उतना ही है जितना पहले होता था. हालांकि समय के साथ इसमें बदलाव आते रहते हैं. डीसी कुल्लू ने कहा कि साहित्य देश-दुनिया की हर कड़ी को जोड़ता है और इतिहास को भी संजोए रखता है.
इस दौरान डीसी कुल्लू तोरूल एस रवीश ने मॉडर्न इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी के युग में साहित्य को पढ़ने और पढ़ाने के महत्व पर जोर दिया. बच्चों को बचपन से ही पाठ्यक्रम की किताबें को पढ़ने के साथ अन्य किताबें पढ़ने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि निरंतर अध्ययन न सिर्फ हमारे बौद्धिक विकास को बढ़ाता है बल्कि हमें समाज के प्रति संवेदनशील भी बनाता है.
डीसी कुल्लू ने कहा कि आज के आधुनिक युग में लोग डिजिटल माध्यम की ओर ज्यादा आकर्षित हो रहे हैं. ऐसे में किताबें पढ़ने और लिखने का महत्व और बढ़ गया है. वहीं, कुल्लू साहित्य उत्सव में मेंडा शेखर पाठक ने पहाड़ की चिंताए व हिमाचल विषय पर अपने शोध पूर्वक विचार रखे. इसके अलावा साहित्यकार बजरंग बिहारी तिवारी ने भी दलित विमर्श पर अपने विचार रखे.
हिमतरू प्रकाशन समिति के अध्यक्ष किशन श्रीमान ने बताया कि कुल्लू साहित्य उत्सव का समापन भाषा संस्कृति विभाग के निदेशक राकेश कंवर द्वारा माइंडस्केप आर्ट गैलरी हरिपुर में किया जाएगा. इस उत्सव में साहित्य पर चर्चा के अलावा समसामयिक मुद्दों, पर्यावरण, दलित विमर्श, स्त्री विमर्श, आदिवासी विमर्श आदि विषयों पर भी चर्चा होगी. जिसके लिए कई वक्ताओं को आमंत्रित किया गया है. किशन श्रीमान ने कहा कि इस महत्त्वपूर्ण साहित्य उत्सव में देश के विभिन्न भागों से प्रसिद्ध एवं चर्चित साहित्यकार, कवि, आलोचक, पर्यावरणविद, फिल्मकार शामिल होंगे और अपने विचार रखेंगे.
किशन श्रीमान ने कहा कि कुल्लू साहित्य उत्सव के जरिए प्रदेश के युवा साहित्यकारों, लेखकों, फिल्मकारों और नई पीढ़ी के लोगों के लिए एक मंच और दर्पण का काम करेगा. लोगों में साहित्य को लेकर रूचि और देश के अन्य सामाजिक मुद्दों से रूबरू करवाने में भी यह महत्त्वपूर्ण है. ये आयोजन छात्रों में साहित्य, लेखन व समाज के प्रति दायित्व को लेकर एक नई उम्मीद को जन्म देगा. उन्होंने कहा कि इस आयोजन के दौरान नवोदित लेखकों को वरिष्ठ एवं स्थापित लेखकों के साथ खुली बातचीत का मौका मिलेगा. इस उत्सव का उद्देश्य हिमाचल के दूर-दराज क्षेत्र में लोगों में साहित्य को लेकर रुचि पैदा करना है, ताकि विद्यार्थियों और साहित्य प्रेमियों में स्त्री, जाति, लोकतंत्र, पर्यावरण, आदिवासी आदि विमर्शों पर दृष्टिकोण विकसित हो सके.
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