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अस्पतालों में 2 दिनों में पहुंचे 12 लावारिस शव, प्रशासन का गर्मी से मौत पर इनकार - 12 unclaimed bodies

कोटा के अस्पतालों में बीते दो दिनों में 12 अज्ञात शव पहुंचे हैं. इस मामले में जिला प्रशासन में साफ इनकार किया है कि इनमें से किसी की भी मौत गर्मी या लू तापघात से हुई है.

2 दिनों में पहुंचे 12 लावारिस शव
2 दिनों में पहुंचे 12 लावारिस शव (ETV Bharat GFX Team)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : May 27, 2024, 7:13 PM IST

अस्पतालों में पहुंचे 12 लावारिस शव (ETV Bharat Kota)

कोटा.मेडिकल कॉलेज के एमबीएस और नए अस्पताल में बीते दो दिनों में 12 अज्ञात शव पहुंचे हैं. इस मामले में जिला प्रशासन में साफ इनकार किया है कि कोई भी मौत गर्मी या लू तापघात से नहीं हुई है. जिला कलेक्टर डॉ. रविंद्र गोस्वामी ने इस संबंध में बयान दिया है कि एक भी मौत गर्मी से नहीं हुई है. उन्होंने कहा है कि 6 से 8 अज्ञात शव रोज पहुंच रहे थे. एक भी मौत की पुष्टि चिकित्सकों ने नहीं की है. इसके लिए पोस्टमार्टम के बाद ही पता चल सकता है. इन अनक्लेम बॉडी में से अधिकांश के परिजन बाद में आ जाते हैं. डॉ गोस्वामी का यह भी कहना है कि अधिकांश अज्ञात लोगों में बीमारी के चलते भी मौत होना सामने आता है. यह सब पोस्टमार्टम के बाद ही क्लियर हो पाएगा. इन सब को प्रोटोकॉल के तहत 48 घंटे रखना होता है, ताकि इनकी पहचान हो सके.

48.2 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच तापमान :दूसरी तरफ कोटा में भीषण गर्मी का दौर जारी है. आज तापमान 48.2 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया. तापमान में 1.1 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी हुई है, जबकि न्यूनतम तापमान 3.4 डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है. आज का न्यूनतम तापमान 36 डिग्री सेल्सियस रहा है, जबकि यह रविवार को 32.6 डिग्री सेल्सियस था. भीषण गर्मी के चलते सड़क पर आम जनजीवन अस्त-व्यस्त रहा. लोग जरूरत पड़ने पर ही घर के बाहर निकल रहे हैं. बाजार भी दिनभर सूनसान दिखाई दिए.

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बिजली कटौती पर आपत्ति :कोटा उत्तर के विधायक शांति धारीवाल ने प्रदेश सरकार पर भीषण गर्मी में बिजली कटौती पर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि प्रदेश के सरकार चुनाव प्रचार में अन्य राज्यों में व्यस्त है और जनता त्राहिमाम कर रही है. अस्पतालों में मरीजों को गर्मी से बचाने के लिए भी नाकाफी इंतजाम किए गए हैं. पूर्व विधायक चंद्रकांता मेघवाल ने भी मांग की है कि कोटा की चंबल नदी की दाईं और बाई नहर में पानी छोड़ा जाए, ताकि इन नहरों के आसपास रहने वाले लोगों को राहत मिल सके. उनके मवेशी और अन्य जीव जंतु भी यहां आकर पानी पी सकेंगे. इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और सिंचाई मंत्री सुरेश सिंह रावत को पत्र भेजा है. इसके अलावा अघोषित बिजली कटौती पर भी आपत्ति जताई.

अस्थाई रैन बसेरे शुरू करने की मांग :शहर के सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. दुर्गा शंकर सैनी भी बेघर और लावारिस लोगों को लेकर चिंता जताई है. उनका एक प्रतिनिधिमंडल प्रशासनिक अधिकारियों से मिला है. उन्होंने कहा कि अस्थाई रैन बसेरे तुरंत शुरू होने चाहिए, शहर में यूआईटी और नगर निगम के कई सामुदायिक भवन हैं, जहां पर कूलर पंखे लगाकर ऐसे लोगों को रहने के लिए इंतजाम किया जा सकता है, ताकि भीषण गर्मी से वो बच सकें. शहर के फुटपाथों पर सोने वाले लोगों को भी राहत इससे मिल जाएगी.

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