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पानीपत के श्रम विभाग में 10 करोड़ का घोटाला! जिंदा को मुर्दा दिखाया, 3600 केस मिले फर्जी, 3 के खिलाफ FIR

10 crore scam in Panipat: पानीपत के श्रम विभाग में 10 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया है. तीन के खिलाफ मामला दर्ज हुआ है.

10 crore scam in Panipat
10 crore scam in Panipat (Etv Bharat)

By ETV Bharat Haryana Team

Published : Nov 23, 2024, 9:35 AM IST

Updated : Nov 23, 2024, 11:50 AM IST

पानीपत:हरियाणा के पानीपत जिले में 10 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया है. खबर है कि श्रम विभाग में श्रमिकों की भवन निर्माण योजना में अधिकारियों ने दलालों के साथ मिलकर करोड़ों रुपये का घोटाला किया है. इस मामले में पानीपत पुलिस ने श्रम विभाग के एक सहायक निदेशक और सहायक वेलफेयर अधिकारी के खिलाफ मामला दर्ज किया है. इस पूरा घोटाले का खुलासा एसआईटी की जांच में हुई है.

पानीपत श्रम विभाग में घोटाला! बताया जा रहा है कि निर्माण कार्यों में लगे श्रमिकों के नाम पर फर्जी कार्ड बनाए गए और हरियाणा बिल्डिंग एंड अंडर कंस्ट्रक्शन वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड के फंड में करोड़ों की राशि गबन की. एडवोकेट सुभाष चंद्र पाटिल ने बताया कि 20 हजार से अधिक फर्जी कार्ड बनाए गए. इसमें नोटरी बनाने वाले से लेकर श्रम विभाग के कर्मचारी व अधिकारी शामिल हैं. एडवोकेट ने पहली बार फरवरी 2020 में सीएम विंडो पर शिकायत की थी.

पानीपत के श्रम विभाग में 10 करोड़ का घोटाला! (Etv Bharat)

अधिकारियों पर गंभीर आरोप: वकील ने बताया कि श्रम विभाग की 21 योजनाओं का श्रमिक लाभ ले सकते हैं. जिनमें मातृत्व व पितृत्व लाभ, बच्चों की शिक्षा के लिए वित्तीय सहायता, कन्यादान योजना, मुख्यमंत्री महिला श्रमिक सम्मान योजना, सिलाई मशीन योजना से लेकर औजार खरीदने तक की योजना शामिल है. फर्जी श्रमिकों को खड़ा करके दलालों ने अफसरों से मिलीभगत करके बोर्ड से राशि निकलवाई. यहां तक कि मरने का झूठा प्रमाण पत्र भी बनवाकर 2 लाख रुपये की मदद ले ली.

तीन के खिलाफ मामला दर्ज: इस मामले में एक महिला पर केस भी दर्ज हो चुका है. शिकायतकर्ता का आरोप है कि जितनी बड़ी राशि बोर्ड से ली जाती है, उतना ज्यादा कमीशन दलालों का रहता है. 30 से 50 फीसदी तक कमीशन लिया गया. इस मामले में पानीपत श्रम विभाग के तत्कालीन सहायक कल्याण अधिकारी नरेंद्र कुमार सिंघल और तत्कालीन सहायक निदेशक हरेंद्र मान पर केस दर्ज हो चुका है. एडवोकेट सुभाष ने कहा कि उनकी शिकायत के बाद एसीएस ने संयुक्त निदेशक की देखरेख में एक कमेटी बनाई.

10 करोड़ के फर्जीवाड़े का आरोप: कमेटी ने एक महीने की जांच की, जिसमें एनके सिंघल और हरेंद्र मान और 15 कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही. साथ ही सिफारिश की कि इसकी उच्च स्तरीय एसआईटी बनाकर एक साल की जांच की जाए. इस पर एडिशनल निदेशक स्तर पर एसआईटी बनाई गई. एसआईटी ने सिर्फ तीन महीने की ही रिपोर्ट पेश की. उस रिपोर्ट में 3600 केस फर्जी मिले थे. इसमें 10 करोड़ का फर्जीवाड़ा मिला था. बावजूद, इसके अफसरों पर कार्रवाई नहीं हुई. शिकायतकर्ता ने हाई कोर्ट में याचिका लगाई.

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Last Updated : Nov 23, 2024, 11:50 AM IST

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