विनेश ने भावुक पोस्ट से दिए वापसी के संकेत, संघर्ष को याद कर कोच और सपोर्ट स्टाफ के लिए कही दिल छू लेने वाली बात - Vinesh Phogat
पहलवान विनेश फोगाट ने शनिवार को कहा कि, अलग परिस्थितियों में वह 2032 तक खुद को प्रतिस्पर्धा करते हुए देख सकती हैं, क्योंकि उनमें अभी भी काफी कुश्ती बाकी है, लेकिन अब वह अपने भविष्य को लेकर अनिश्चित हैं, क्योंकि चीजें शायद फिर कभी वैसी नहीं होंगी. उन्होंने अपने सोशल मीडिया पर एक लंबा और भावुक पोस्ट लिखा है. पढ़िए पूरी खबर..
नई दिल्ली: भारतीय पहलवान विनेश फोगट ने शुक्रवार को सोशल मीडिया पर एक लंबी पोस्ट लिखी है. इसमें उन्होंने अपने रिटायरमेंट के बयान पर संभावित यू-टर्न का संकेत दिया है. यह पोस्ट पेरिस ओलंपिक में संयुक्त रजत पदक के लिए उनकी अपील खारिज होने के दो दिन बाद शेयर की गई है.
भारत लौटने से एक दिन पहले भारतीय पहलवान ने सोशल मीडिया पर एक लंबी और भावुक कर देने वाली पोस्ट लिखी है, जिसमें लिखा है कि शायद अलग परिस्थितियों में मैं खुद को 2032 तक खेलते हुए देख पाऊंगी.
बता दें कि पेरिस ओलंपिक 2024 विनेश का तीसरा ओलंपिक था.विनेश स्वर्ण पदक मुकाबले की सुबह अधिक वजन होने के कारण 50 किलोग्राम महिला फ्रीस्टाइल कुश्ती के फाइनल से अयोग्य घोषित कर दिया गया था. जिसके बाद उन्होंने कुश्ती से संन्यास की घोषणा की और फिर सीएएस से संयुक्त रजत पदक देने की अपील की थी, लेकिन उन्हें सीएएस से भी कोई सफलता नहीं मिली क्योंकि एड-हॉक डिवीजन ने विनेश फोगट की अपील को खारिज कर दिया.
विनेश फोगट ने अपने सहयोगी स्टाफ डॉ. वेन पैट्रिक लोम्बार्ड, कोच वोलर अकोस और फिजियोथेरेपिस्ट अश्विनी जीवन पाटिल के साथ-साथ भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के सीएमओ और डॉ. दिनशॉ पारदीवाला का आभार जताया है.
समय और किस्मत ने हमारा साथ नहीं दिया दिल टूटने के बारे में बात करते हुए विनेश फोगट ने कहा, 'कहने को बहुत कुछ है, लेकिन शब्द कभी भी पर्याप्त नहीं होंगे. मैं बस इतना कहना चाहती हूं कि हमने हार नहीं मानी, हमारे प्रयास बंद नहीं हुए लेकिन घड़ी रुक गई और समय ने साथ नहीं दिया. यही मेरी किस्मत थी'.
2032 तक खेलना जारी रख सकती थी विनेश ने आगे लिखा, 'मेरी टीम मेरे साथी भारतीयों और मेरे परिवार को ऐसा लगता है, जिस लक्ष्य के लिए हम काम कर रहे थे और जिसे हासिल करने की हमने योजना बनाई थी, वह अधूरा है. कुछ हमेशा कमी रह सकती है, और हो सकता है कि चीजें फिर कभी वैसी न हों पाएं'.
उन्होंने आगे लिखा, 'शायद अलग परिस्थितियों में, मैं खुद को 2032 तक खेलते हुए देख सकती हूं, क्योंकि मेरे अंदर लड़ाई और कुश्ती हमेशा रहेगी. मैं यह अनुमान नहीं लगा सकती कि भविष्य में मेरे लिए क्या होगा और इस यात्रा में आगे क्या होगा, लेकिन मुझे यकीन है कि मैं हमेशा उस चीज के लिए लड़ती रहूंगी जिस पर मेरा विश्वास है और जो सही है, उसके लिए लड़ती रहूंगी'.
ओलंपिक रिंग्स को याद कर कही दिल छू लने वाली बात विनेश ने अपने पोस्ट में लिखा, 'एक छोटे से गांव की छोटी लड़की के रूप में मुझे नहीं पता था कि ओलंपिक क्या है या इन रिंग्स का क्या मतलब है. एक छोटी लड़की के रूप में मैं लंबे बाल, हाथ में मोबाइल फोन लेकर घूमना और ऐसी चीजें करने का सपना देखती थी. जो कोई भी छोटी लड़की आमतौर पर सपने देखती है. यहां की मेरी यात्रा ने मुझे बहुत से लोगों से मिलने का मौका दिया है, जिनमें से अधिकांश अच्छे और कुछ बुरे हैं. पिछले कुछ वर्षों में मैट पर और उसके बाहर बहुत कुछ हुआ है. मेरे जीवन ने कई मोड़ लिए, ऐसा लगा कि जीवन हमेशा के लिए रुक गया है और हम जिस गड्ढे में थे, उससे बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं था, लेकिन मेरे आस-पास के लोगों में ईमानदारी थी, उनके पास मेरे लिए सद्भावना और भारी समर्थन था. ये लोग और मुझ पर उनका विश्वास इतना मजबूत था, यह उनकी वजह से ही है कि मैं चुनौतियों का सामना कर सकी और पिछले 2 वर्षों में सफल हो सकी'.
विनेश ने कोच वोलर अकोस को लेकर बोली बड़ी बात उन्होंने कहा, 'मैं उनके बारे में जो कुछ भी लिखूंगी, वह हमेशा कम होगा. महिला कुश्ती की दुनिया में, मैंने उन्हें सबसे अच्छा कोच, सबसे अच्छा मार्गदर्शक और सबसे अच्छा इंसान पाया है, जो अपनी शांति, धैर्य और आत्मविश्वास के साथ किसी भी स्थिति को संभालने में सक्षम है. उनके शब्दकोश में असंभव शब्द नहीं है और जब भी हम मैट पर या उसके बाहर किसी कठिन परिस्थिति का सामना करते हैं, तो वह हमेशा एक योजना के साथ तैयार रहते हैं'.
विनेश ने कहा, 'मैं उन्हें वह पहचान देना चाहती हूं जिसके वे हकदार हैं, मैं जो कुछ भी करूंगी. वह उनके बलिदानों, उनके परिवार से दूर बिताए समय के लिए उनका आभार व्यक्त करने के लिए कभी भी पर्याप्त नहीं होगा. मैं उनके दो छोटे लड़कों के साथ बिताए गए समय का कभी भी बदला नहीं चुका सकती. मुझे आश्चर्य है कि क्या वे जानते हैं कि उनके पिता ने मेरे लिए क्या किया है और क्या वे समझते हैं कि उनका योगदान कितना महत्वपूर्ण है. आज मैं बस इतना ही कर सकती हूं कि दुनिया को बता दूं कि अगर आप नहीं होते तो मैं मैट पर वह नहीं कर पाता जो मैंने किया है'.
विनेश ने अपनी यात्रा को बताया कठिन उन्होंने अंत में कहा, 'पिछले 2.5 वर्षों में वह मेरे साथ इस यात्रा से ऐसे गुजरी जैसे यह उसका अपना हो, हर प्रतियोगिता, जीत और हार, हर चोट और पुनर्वास यात्रा उतनी ही उसकी थी जितनी मेरी. यह पहली बार है जब मैं एक फिजियोथेरेपिस्ट से मिली जिसने मेरे और मेरी यात्रा के प्रति इतना समर्पण और सम्मान दिखाया है. केवल हम ही वास्तव में जानते हैं कि हमने प्रत्येक प्रशिक्षण से पहले, प्रत्येक प्रशिक्षण सत्र के बाद और बीच के क्षणों में क्या अनुभव किया'.