नई दिल्ली : दिग्गज बैडमिंटन खिलाड़ी पुलेला गोपीचंद और विमल कुमार ने 2026 ग्लासगो राष्ट्रमंडल खेलों से बैडमिंटन जैसे खेलों को बाहर करने के फैसले की आलोचना की और देश से अनुरोध किया कि वह इस आयोजन में अपनी टीम न भेजे, क्योंकि इसका उद्देश्य भारत की प्रगति को 'रोकना' है.
ग्लासगो खेलों में होंगे बैडमिंटन और हॉकी
राष्ट्रमंडल खेलों में भारत की पदक संभावनाओं को झटका देते हुए मेजबान शहर ग्लासगो ने हॉकी, बैडमिंटन, कुश्ती, क्रिकेट, टेबल टेनिस और निशानेबाजी जैसे प्रमुख खेलों को 2026 के आयोजन से बाहर कर दिया है, जिसने इस आयोजन को बजट के अनुकूल रखने के लिए सिर्फ 10 खेलों की एक छोटी लिस्ट जारी की है. लेकिन, इस लिस्ट ने भारतीय खेल जगत को चौंका दिया है, जिसे लेकर अब गोपीचंद और विमल ने सबसे कड़ी प्रतिक्रिया दी है.
कॉमनवेल्थ गेम्स की कोई जरूरत नहीं : विमल कुमार
भारत के पूर्व कोच विमल ने पीटीआई से कहा, 'कॉमनवेल्थ गेम्स की कोई जरूरत नहीं है. मेरी राय में, उन्हें इसे खत्म कर देना चाहिए. कॉमनवेल्थ गेम्स की तुलना में ओलंपिक और एशियाई खेलों का आयोजन करना बेहतर है. यह दयनीय है, मैं वास्तव में निराश हूं. कॉमनवेस्थ अपना आकर्षण खो रहा है, इसलिए मेरा दृढ़ विश्वास है कि हमें इन खेलों के लिए टीम नहीं भेजनी चाहिए, इसकी जरूरत नहीं है'.
उन्होंने कहा, 'राष्ट्रमंडल खेलों के बजाय ओलंपिक और एशियाई खेलों में एथलीटों को बेहतर सुविधाएं प्रदान करने के तरीकों पर विचार करना महत्वपूर्ण है. कॉमनवेल्थ गेम्स की जरूरत नहीं है. आपको कार्यक्रम में अच्छे शारीरिक खेल को शामिल करना होगा, अगर आप यह सब हटा देते हैं तो इसका क्या मतलब है'.
ग्लासगो खेलों से हटाए गए 9 खेल
अनुमानित लागत में वृद्धि के कारण विक्टोरिया के मेजबान के रूप में हटने के बाद स्कॉटिश राजधानी में स्थानांतरित किए गए खेलों में केवल 10 खेल शामिल होंगे, जो बर्मिंघम में 2022 में आयोजित पिछले संस्करण से 9 कम है. स्क्वैश और तीरंदाजी भी उन खेलों का हिस्सा नहीं हैं जिन्हें बड़े पैमाने पर छोटा किया जाएगा.